शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2014

शहर भाजपा अध्यक्ष यादव पर है चारों ओर से दबाव

नवनियुक्त शहर भाजपा अध्यक्ष अरविंद यादव पर कार्यकारिणी के गठन को लेकर चारों ओर से दबाव है। संभवत: वे पहले ऐसे अध्यक्ष हैं, जिन पर इतना दबाव है। गनीमत ये है कि वे कूल माइंडेड हैं, इस कारण तनाव में नहीं आ रहे।
असल में पूर्व में विधायक द्वय प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल शहर भाजपा संगठन पर इतने हावी रहे हैं कि उनके अतिरिक्त अन्य नेताओं की पसंद कम ही चलती थी। चूंकि पूर्व सांसद प्रो. रासासिंह रावत इन दोनों विधायकों की आपसी सहमति से बने थे, इस कारण उन्होंने ज्यादा दिमाग लगाया ही नहीं और दोनों की ओर से दी गई लिस्ट में दिए गए नामों को ही ज्यादा तरजीह दी। दोनों विधायक इतने हावी रहे हैं कि पूर्व में जब शिवशंकर हेड़ा अध्यक्ष थे तो नगर निगम चुनाव में अधिसंख्य उनकी ही पसंद के दावेदारों को टिकट मिले। हेड़ा की तो कुछ चली ही नहीं।
बहरहाल, अब हालात अलग हैं। बेशक आज भी दोनों विधायक अपना दमखम रखे हुए हैं, मगर चूंकि अरविंद यादव की नियुक्ति राज्यसभा सदस्य भूपेन्द्र यादव की मेहरबानी से हुई है, इस कारण जाहिर तौर पर उनकी पसंदगी-नापसंदगी भी काउंट करेगी। इसके अतिरिक्त राजस्थान पुराधरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकारसिंह लखावत व पूर्व नगर परिषद सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत भी टांग अड़ाएंगे ही। चूंकि यादव पूर्व राज्य मंत्री श्रीकिशन सोनगरा के करीबी रहे हैं, इस कारण उनकी सिफारिश भी रोल अदा करेगी। कुल मिला कर स्थिति ये है कि यादव पर एकाधिक नेताओं का दबाव है। लोग मजाक में यह तक कहने से नहीं चूकते कि अध्यक्ष होते हुए भी अपनी खास पसंद के किसी कार्यकर्ता को भी स्थान दे पाएंगे या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता। बताया जाता है कि सभी ने अपनी पसंद की लिस्ट दे दी है और अब उस पर मंथन चल रहा है। वैसे माना ये जाता है कि यादव युवाओं की अच्छी टीम बनाने में कामयाब हो जाएंगे। ठंडे दिमाग के होने के कारण विवाद होने की आशंका कम है। उसकी एक वजह ये है कि उन पर सांसद यादव का वरदहस्त है, इस कारण कोई ज्यादा चूं-चपड़ करने की हिमाकम कर नहीं पाएगा।

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