सोमवार, 15 मई 2017

देवनानी व हेडा के बीच झूल रहा है एलीवेटेड रोड

काल्पनिक एलीवेटेड रोड
इसे अजमेर का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जिस एलीवेटेड रोड की अजमेर को सख्त जरूरत है, उसको लेकर अजमेर में भाजपा के दो दिग्गज शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी व अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेडा खींचतान कर रहे हैं। चूंकि एलीवेटेड रोड बनाना या न बनाना सीधे-सीधे प्राधिकरण के क्षेत्राधिकार में है, इस कारण देवनानी का दबाव में काम नहीं कर रहा।
ज्ञातव्य है कि गत दिवस स्वायत्तशासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी अजमेर आए तो एक समारोह के दौरान देवनानी ने जोर दे कर कहा कि एलीवेटेड रोड शहर की जरूरत है और इसके लिए खुद मुख्यमंत्री भी तैयार हैं। देवनानी के अनुसार सीएम ने तो यहां तक कहा है कि हुडको से इसके लिए लोन लिया जा सकता है, मगर कुछ लोगों की दुकानें इसमें बाधा बन रही है।
इस मांग को सिरे से खारिज करते हुए जवाब में हेडा ने कहा कि सड़क की चौड़ाई कम होने के कारण एलीवेटेड रोड बनाना उचित नहीं होगा और उनकी इस बारे में मुख्यमंत्री से बात हो चुकी है। इसके बदले वैकल्पिक रोड के रूप में पालबीचला वैकल्पिक मार्ग बनाया जा रहा है। जल्द ही कानूनी बाधा दूर कर ली जाएगी।
सवाल ये उठता है कि एक ही मुद्दे पर मुख्यमंत्री की राय भिन्न-भिन्न नेताओं के साथ भिन्न-भिन्न राय कैसे हैï? क्या दोनों में एक झूठ बोल रहा है? ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री को अजमेर की स्थानीय जरूरत का गहराई से अनुमान ही नहीं है। जब देवनानी उनसे मिल कर जोर देते हैं तो वे सहमति जता देती हैं और जब हेडा कोई कारण गिना कर उसे अनुपयुक्त बताते हैं तो भी सहमति दे देती हैं। मगर इन दोनों की इस मतभिन्नता के चलते अजमेर एलीवेटेड के अभाव को भुगत रहा है। ऐसा लगता है कि हेडा की रुचि इस कारण नहीं है कि यह प्रोजेक्ट काफी बड़ा है और इसके पूरा होने से पहले ही उनका कार्यकाल खत्म हो जाएगा और भविष्य में जो भी एडीए चेयरमैन होगा, वह के्रडिट लेगा। इसके अतिरिक्त शायद उन्होंने मुख्यमंत्री को सलाह दी हो कि यदि अभी इस पर काम किया तो चुनाव के आते-आते खुदाई आदि के कार्य के कारण पूरा शहर तकलीफ पाएगा और उसका नुकसान चुनाव में हो सकता है।
असल में एलीवेटेड रोड के लिए सर्वे का काम तो कांग्रेस शासनकाल में तत्कालीन न्यास चेयरमैन नरेन शहाणी भगत के दौरान ही हो गया, मगर वे बीच में ही हट गए। बाद में नई भाजपा सरकार आई तो एडीए सरकारी अफसरों के हवाले था। उन्होंने कोई रुचि नहीं ली। कोई दो साल बाद अध्यक्ष की नियुक्ति हो पाई। अगर सरकार के गठन के वक्त ही अध्यक्ष नियुक्त कर दिया जाता तो वह पूरी क्रेडिट लेने के लिए तीन साल में उसे पूरा करवाने का प्रयास करता।
खैर, अब जब कि हेडा ने इसे सिरे से ही खारिज कर दिया है तो उम्मीद करना व्यर्थ है। हां, इतना जरूर है कि आज नहीं तो कल एलीवेटेड रोड बनाना ही होगा। तब उसकी लंबाई भी बढ़ानी पड़ेगी।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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