मंगलवार, 10 मार्च 2020

सुरेश सिंधी होंगे एमएलए टिकट के दावेदार?

सिटी मजिस्ट्रेट पद से सेवानिवृत्त हुए अभी जुम्मा-जुम्मा आठ दिन भी नहीं हुए हैं कि राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के बीच यह चर्चा होने लगी है कि सुरेश सिंधी आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से एमएलए टिकट के दावेदार होंगे। यह चर्चा कहां से और कैसे उठी, किसने वायरल की, कुछ पता नहीं, क्या खुद उन्होंने कहींं संकेत दिया, ये भी खबर नहीं, मगर है, इसमें कोई दोराय नहीं। हाल ही पूज्य झूलेलाल जयंती समारोह समिति की ओर से आयोजित उनके अभिनंदन समारोह में मैने मंच से इस चर्चा का सवालिया जिक्र किया तो न तो उन्होंने से इसका सिरे से खंडन किया और न ही पुष्टि की। अपने उद्बोधन में वे मेरी जिज्ञासा को हजम ही कर गए।
खैर, यह चर्चा राजनीतिक जमीन पर कैसे प्रस्फुटित हुई, इस की पड़ताल की तो पहली बात ये सामने आई कि हालांकि वे एक जिम्मेदार प्रशासनिक पद पर थे, मगर उनका सहज-सरल स्वभाव और सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के कारण इस अनुमान को बल मिला। वैसे भी अजमेर का ये मिजाज है कि जैसे ही कोई व्यक्ति सामाजिक गतिविधियों में रुचि लेता है तो लोग यकायक यह कयास लगाते हैं कि कहीं उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा तो नहीं है? हालांकि अभी ये कहना मुश्किल है कि वे भाजपा टिकट के दावेदार होंगे या कांग्रेस के, मगर जैसा गणित है, उनके कांग्रेस टिकट का दावेदार होने की संभावना ज्यादा है। वो इसलिए कि भाजपा में तो पहले से लगातार चार बार जीत कर धरतीपकड़ साबित हो चुके प्रो. वासुदेव देवनानी पांचवीं बार भी खम ठोक कर खड़े हो जाएंगे। हों भी क्यों न, आखिर लगातार चार बार जीते हैं। उम्र की कोई बाधा न हो तो टिकट कटने का कोई कारण भी नहीं बनता। लोग तो यहां तक कहते हैं कि अगर उनको टिकट नहीं मिला तो वे अपने पुत्र को टिकट दिलवा देंगे। देवनानी के बाद नंबर वन कंवल प्रकाश किशनानी कौन सा हार मानने वाले हैं। महेन्द्र तीर्थानी खुल कर तो नहीं खेलते, मगर उनकी अंडर ग्राउंड सक्रियता किसी से छिपी नहीं है। इन सबसे बड़ी बात ये है कि भाजपा में यहां का टिकट आरएसएस तय करती है, और लगता नहीं कि वह सुरेश सिंधी पर दाव खेलने के बारे में सोचेगी भी। यानि कि उनकी दावेदारी कांग्रेस टिकट के लिए ही बनेगी। बनेगी इसलिए कि कांग्रेस टिकट के लिए सिंधी समुदाय की ओर से ढ़ंग से दावेदारी बनी ही नहीं। दावेदारी हुई जरूर, मगर दमदार नहीं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट यह प्रयोग करना चाहते थे, मगर वैसा हो न पाया। कुल जमा बात ये है कि कांग्रेस में प्रबल सिंधी दावेदारों का अभाव सा है। यही वजह है कि जैसे ही सुरेश सिंधी रिटायर हुए, तो ऐसा माना गया कि सुरेश सिंधी इस वेक्यूम को भर सकते हैं। दावेदारी में हर लिहाज से फिट भी बैठते हैं। लंबे समय तक भिन्न-भिन्न पदों पर अजमेर में ही रहे हैं, इस कारण सुपरिचित  चेहरा हैं। अजमेर की समस्याओं व जरूरतों से भलीभांति परिचित है। बेदाग हैं। ऊर्जावान हैं। ईमानदार हैं। कूल माइंडेड हैं। दिलेर हैं। एक बार भूतपूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रो. सावंरलाल से भिड़ंत के किस्से पब्लिक डोमेन में हैं। भूतपूर्व विधायक स्वर्गीय श्री नानकराम जगतराय की तरह लो-प्रोफाइल हैं। प्रदेश कांग्रेस हाईकमान तक पहुंच रखते हैं। अगर अगली बार फिर कोई धन्ना सेठ नोटों की बोरियां लेकर नहीं आया तो दावेदारों की अग्रिम पंक्ति में आसानी से खड़े हो सकते हैं। रहा सवाल पैसे का तो लगता नहीं कि जिस तरीके से ईमानदारी से नौकरी की, चुनाव के लायक पैसा जोड पाए होंगे।
अपनी समझ तो यही कहती है कि फिलवक्त तो वे यकायक राजनीति में सक्रिय नहीं होंगे और सरकारी तंत्र से ही जुड़ कर पार्ट टाइम काम करेंगे। और जब लगेगा कि उपयुक्त समय व मौका है तो राजनीतिक महत्वाकांक्षा जागृत हो भी सकती है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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