रविवार, 5 दिसंबर 2010

अब चुप क्यों हैं अतुल शर्मा?

एक प्रचलित जुमला है कि अमुख आदमी को गुस्सा क्यों आता है। मगर आपको ऐसा किस्सा सुना रहे हैं कि आप खुद कह उठेंगे कि अमुख आदमी का गुस्सा जल्द ठंडा क्यों हो जाता है।
नगर निगम के चुनाव हुए ही थे कि शहर में आवारा गायों को पकडऩे के लिए नए-नवेले मेयर कमल बाकोलिया से भी ज्यादा संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा सख्त हो गए। बाकोलिया का करंट में रहना इस कारण भी समझ में आ रहा था कि नया मुसलमान अल्लाह-अल्लाह ज्यादा करता है, मगर शर्मा की सक्रियता को देख कर सभी चकित थे। सक्रिय भी इतने हुए कि यदि निगम के सीईओ राजनारायण शर्मा थोड़ी सी भी ढ़ील बरतें तो गायों की जगह उनको बांध कर बाड़े में पटक दें। अतुल शर्मा के इस रवैये से एक बारगी तो लोगों पूर्व जिला कलैक्टर श्रीमती अदिति मेहता की याद आ गई। उनकी सख्ती को इस रूप में पेश किया गया कि चूंकि वे अजमेर के ही रहने वाले हैं, इस कारण उनका शहर के प्रति ज्यादा दर्द है। दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो बताते हैं कि उन्हें गायों से कोई लेना-देना नहीं था, वे तो रेलवे स्टेशन के बाहर बनाए गए ओवर ब्रिज को लेकर सीईओ शर्मा के रवैये से खफा थे, और रडक़ निकालना चाहते थे। चलो वे किसी भी कारण सख्त हुए, मगर उनकी सख्ती और सक्रियता मात्र चार दिन की चांदनी ही साबित हुई। ठीक उसी तरह जैसी कि यातायात नियमों की पालना करवाने और अतिक्रमण हटाने के मामले में लोग देख चुके हैं। लोगों को अच्छी तरह याद है कि सूचना केन्द्र व इंडिया मोटर सर्किल के आसपास के अतिक्रमण को उन्होंने एक झटके में हटवा दिया, मगर आज हालात जस के तस हैं। अब तो लोग कहने लगे हैं कि शर्माजी को करंट तो खूब आता है, मगर वे डिस्चार्ज भी जल्द ही हो जाते हैं। गायों के मामले वे डिस्चार्ज इस कारण हुए बताए कि केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट ने गुर्जर पशुपालकों की व्यवहारिक परेशानी को देखते हुए ज्यादा नौटंकी करने की हिदायत दे दी थी। और शर्माजी का उफान खाता गुस्सा पैंदे जा बैठा। बस तभी से शर्मा जी चुप हैं। भइया, नौकरी से बढ़ कर शहर थोड़े ही है।

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