सोमवार, 27 दिसंबर 2010

ऊंट पर बैठे अश्फाक को काट खाया कुत्ता

कहते जब बुरा वक्त आता है तो ऊंट पर बैठे आदमी को भी कुत्ता काट खाता है। आप कहेंगे कि ऊंट पर बैठे आदमी को कुत्ता कैसे काट सकता है? असल में जब कुछ बुरा वक्त आता है तो ऊंट जमीन पर बैठ जाता है और उसी वक्त मौका देख कर कुत्ता काट खाता है। ऐसा ही कुछ हो रहा है इन दिनों नगर सुधार न्यास के सचिव अश्फाक हुसैन के साथ।
कभी तेज-तर्रार अफसर के रूप में ख्यात रहे अश्फाक दोधारी तलवार से गुजरने वाले दरगाह नाजिम पद पर बिंदास काम कर चुके हैं। दरगाह दीवान और खादिमों के साथ तालेमल बैठाने के अलावा दुनियाभर से आने वाली तरह-तरह की खोपडिय़ों से मुकाबला करना कोई कठिन काम नहीं है। पिछले कुछ नाजिम तो बाकायदा भी कुट चुके हैं, मगर अश्फाक ने बड़ी चतुराई से इस पद को बखूबी संभाला। किसी के कब्जे में न आने वाले कई तीस मार खाओं को तो उन्होंने ऐसा सीधा किया कि वे आज भी उनके मुरीद हैं।
इन दिनों अश्फाक ज्यादा उखाड़-पछाड़ नहीं करते, शांति से अफसरी चला रहे हैं, मगर वक्त उन्हें चैन से नहीं रहने दे रहा। सबसे ज्यादा परेशानी संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा से ट्यूनिंग नहीं हो पाने की वजह से है। आए दिन उनके गुस्से का शिकार होते हैं। शर्मा ने अवमानना के मामले में अश्फाक के लिए सजा का प्रस्ताव कर दिया, जिसे अश्फाक ने हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है। इन दो अधिकारियों के बीच क्यों नहीं बन रही, खुदा जाने। और तो और, कांग्रेसी भी उनके पीछे पड़ गए हैं। न्यास की पृथ्वीराज नगर योजना में पात्र आवेदकों को भूखंड नहीं देने और भूमि के बदले भूमि का आवंटन न करने को लेकर पहले तो एक अखबार में लंबी-चौड़ी खबर छपवाई और फिर दूसरे ही दिन उनके चैंबर में जा धमके। पहले तो वे कांग्रेसियों के गुस्से को पीते रहे, मगर जैसे ही उनके मुंह से निकला कि वे तो प्रस्ताव बना कर कई बार जयपुर के चक्कर लगा चुके हैं, सरकार आपकी है, वहीं मामले अटके हुए हैं तो कांग्रेसी भिनक गए। उन्होंने इसे अपनी तौहीन माना। सरकार से तो लड़ नहीं सकते, अश्फाक पर ही पिल पड़े। हालात इतने बिगड़ गए कि कांग्रेसियों ने उन्हें इस कुर्सी पर नहीं बैठने देने की चेतावनी तक दे डाली। कांग्रेसियों व उनके बीच टकराव की असल वजह क्या है, अपुन को नहीं पता, मगर लगता है मामला प्रॉपर्टी डीलरों से टकराव का है।
खैर, कांग्रेसियों के हमले पर अपुन को याद आया कि ये वही अश्फाक हुसैन हैं, जिनकी गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अपेक्षित एक सौ एक नानकरामों में से एक नानकराम को कांग्रेस का टिकट मिला था। गहलोत उनसे इतने खुश हुए कि अपने गृह जिले जोधपुर ले गए। आज भी उन पर गहलोत का आशीर्वाद है। उनके एक खासमखास अधिकारी गहलोत के पास ही लगे हुए हैं। ऐसे में कांग्रेसियों की तड़ी कामयाब होगी, इसमें अपुन को तो थोड़ा डाउट ही लगता है। खैर, अपुन को एक ही ख्याल आता है। अगर कांग्रेसी न्यास सचिव के कामकाज से इतने ही खफा हैं तो क्यों नहीं अपना अध्यक्ष न्यास में बैठा देते। मुख्यमंत्री पर तो जोर चलता नहीं है और अफसर पर अफसरी गांठते हैं।

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