शुक्रवार, 18 मार्च 2011

अदिति मेहता की याद ताजा करेंगी मंजू राजपाल


हालांकि अजमेर की जिला कलेक्टर श्रीमती मंजू राजपाल का भीलवाड़ा का कार्यकाल लुंजपुुंज ही रहा, मगर सुना है कि अजमेर में आते ही उन्होंने अपना मिजाज बदल लिया है। जैसे ही उन्होंने अजमेर की पूर्व कलेक्टर श्रीमती अदिति मेहता के किस्से सुने हैं, उनके मन में भी उनके जैसा ही कुछ कर गुजरने की रणचंडी जाग उठी है।
हाल ही उन्होंने नगर निगम के नौसीखिये मेयर कमल बाकोलिया का डुलमुल रवैया देख कर फटेहाल निगम के कामकाज में टांग फंसाने का साहस कर दिखाया है। हालांकि इससे कुछ घाघ कांग्रेसी पार्षदों को बड़ी तकलीफ हुई और वे इसे निगम की स्वायत्तता पर हमला बता रहे हैं, लेकिन मंजू राजपाल ने भी तय कर लिया है कि शहर की यातायात व्यवस्था और अतिक्रमणकारी दुकानदारों को दुरुस्त करके ही रहेंगी। बताते हैं कि उन्होंने सीईओ सी. आर. मीणा को भी इशारा कर दिया है कि वे निगम की चरमराते ढांचे की ढ़ेबरी टाइट कर दें।
जहां शहर के विधायकों का सवाल है, वे दोनों ही विपक्षी दल के हैं, इस कारण उन्हें इस बात का डर भी नहीं कि वे सरकार को उनके खिलाफ रिपोर्ट देने की जुर्रत करेंगे। करेंगे भी तो सुनने वाला कौन है? दिलचस्प बात ये है कि राजनीतिक संगठनों की हालत भी इलायची बाई की याद दिलाती है। कांग्रेस के अध्यक्ष जसराज वैसे भी रिटायर्ड पीरियड काट रहे हैं, भाजपा ने भी राजनीति से लगभग रिटायर हो चुके रासासिंह को अध्यक्ष बना दिया है। ऐसे में मंजू राजपाल के सामने एक भी दबंग नहीं है और उन्हें अपना बिंदास कलेक्टर दिखाने का स्वर्णिम मौका मिला हुआ है। अजमेर वासी होने के नाते संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा भी उनकी मदद कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि वे स्टील लेडी अदिति मेहता को भी पीछे छोड़ देंगी। वैसे भी यह एक सार्वभौमिक सत्य है कि महिला अधिकारी के साथ एक्स फैक्टर जुड़ा हुआ होता है। यदि विश्वास न हो तो जिला परिषद की सीईओ शिल्पा का उदाहरण काफी है, जिन्होंने जिले के सर्वाधिक दबंग नेता भंवर सिंह पलाड़ा से छत्तीस का आंकड़ा बना कर एक नया रिकार्ड बनाया है। बुरा न मानो होली है

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