मंगलवार, 1 मार्च 2011

बिगड़ सकती है बोर्ड अध्यक्ष व कर्मचारी संघ की ट्यूनिंग


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत पदावनत कर्मचारियों को व्यवस्थार्थ उच्च पदों पर ही लगाए रखने को लेकर इन दिनों राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में तूफान मचा हुआ है। कर्मचारियों का एक गुट बोर्ड प्रशासन से सीधे भिड़ंत ले रहा है। उसे कर्मचारी संघ की मध्यस्थता तक पसंद नहीं है। नतीजतन बोर्ड अध्यक्ष और कर्मचारी संघ के बीच चल रही ट्यूनिंग बिगडऩे का खतरा उत्पन्न हो गया है।
वस्तुत: बोर्ड के इतिहास में यह पहला मौका है कि बोर्ड अध्यक्ष डॉ. सुभाष गर्ग की कूटनीतिक सफलता के चलते कर्मचारी संघ संतुष्ट नजर आता है। डॉ. गर्ग कोई भी निर्णय करने से पहले बड़ी चतुराई से कर्मचारी संघ के नेताओं से तालमेल बैठा लेते हैं, इसी कारण उनका हर निर्णय बड़ी ही शांति से लागू हो जाता है, भले ही कुछ कर्मचारियों में असंतोष हो। पिछले दिनों बोर्ड का एक भवन जयपुर में बनाए जाने का निर्णय विखंडन का ही एक रूप था, इसके बावजूद कर्मचारी संघ से ट्यूनिंग के कारण भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी के कड़े विरोध के बाद भी कोई विवाद नहीं हुआ। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ कर्मचारियों को बोर्ड अध्यक्ष व कर्मचारी नेताओं की यह ट्यूनिंग रास नहीं आ रही। वे कोई मौका तलाश ही रहे थे। जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया और उसके अनुरूप पदोन्नत हुए कर्मचारियों को पदावनत किया गया, लेकिन व्यवस्थार्थ उच्च पदों पर ही बनाए रखा गया, असंतुष्ट कर्मचारियों को विरोध करने का मौका मिल गया। वे जानते थे कि अगर कर्मचारी संघ के पास मसला ले गए तो बोर्ड अध्यक्ष से ट्यूनिंग के कारण टांय-टांय फिस्स हो जाएगा, इस कारण उन्होंने मौका ताड़ कर बोर्ड अध्यक्ष के बाहर जाते ही बोर्ड सचिव मिरजूराम शर्मा को घेर लिया। बेचारे शर्माजी क्या करते, वे तो खुद ही डॉ. गर्ग से तालमेल बैठा कर काम करते हैं और उनकी गैर मौजूदगी में कोई निर्णय नहीं करना चाहते। कर्मचारियों ने उन्हें उकसाया भी कि आप भी जिम्मेदार अधिकारी हैं, लेकिन वे उनके चक्कर में नहीं आए। उन्होंने डॉ. गर्ग के आने का इंतजार करने को कहा, लेकिन कर्मचारी नहीं माने। जब शर्मा ने कर्मचारी संघ के माध्यम से बात करने प्रस्ताव रखा तो उसे भी कर्मचारियों ने नकार दिया। इस प्रस्ताव पर तो वे लगभग उखड़ ही गए कि कर्मचारी संघ की ही माननी थी तो उनके पास सीधे क्यों आते। इस सिलसिले में जब मीडिया ने डॉ. गर्ग से फोन पर बात की तो वे भी यही बोले कि कुछ कर्मचारी माहौल खराब कर रहे हैं। इसका सीधा सा अर्थ है कि उन्हें कर्मचारी संघ पर तो पूरा भरोसा है कि वह कोई गड़बड़ नहीं करेगा। ताजा हालात में ऐसा प्रतीत होता है कि कर्मचारियों का एक वर्ग काफी ताकतवर हो गया है और वह डॉ. गर्ग व कर्मचारी संघ के बीच कुल्हड़ी में फोड़े जा रहे गुड़ को बर्दाश्त करने वाले नहीं हैं। यानि कि ट्यूनिंग की एक्सपायरी डेट नजदीक आने वाली है। वैसे डॉ. गर्ग राजनीति के कुशल खिलाड़ी हैं, संभव है वे आने पर कोई ऐसी गोटी चलें कि कर्मचारी संघ से अलग चल रहा गुट चारों खाने चित्त हो जाए।

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