मंगलवार, 1 मार्च 2011

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में मची लूट

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चंद दिन पहले ही 1 मार्च से प्लास्टिक पाउच में गुटकों की बिक्री पर रोक के आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन न तो निगम प्रशासन जागा और न ही गुटके बनाने वाली कंपनियों ने परवाह की। इसका परिणाम ये हुआ है कि करीब एक हफ्ते से जम कर ब्लैक मार्केटिंग हो रही है। जो गुटका मार्केट में ज्यादा चलता रहा है, उसके दाम तो आसमान छू रहे हैं। यदि गुटका बनाने वाली कंपनियों ने जल्द ही कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं निकाला तो आने वाले दिनों में लूट और भी बढ़ जाएगी। इसका फायदा नकली माल बनाने वाली कंपनियां भी उठाएंगी।
असल में जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश उजागर हुआ, मार्केट में एक ओर तो गुटकों की मांग यकायक बढ़ गई और दूसरा कालाबाजारियों ने माल को दबा लिया। गुटका खाने वालों ने यह सोच कर कि 1 मार्च से रोक लग जाएगी, इस वजह से अतिरिक्त गुटके खरीदना शुरू कर दिया। इस पर खुदरा विक्रेताओं ने उनका मूल्य बढ़ा दिया। मार्केट में एक रुपए का गुटका डेढ़ रुपये में बिकने लग गया। हालांकि होना तो यह चाहिए था कि प्लास्टिक के पाउच में पहले से पैक गुटकों का स्टॉक निकालने के लिए फैक्ट्री वाले ज्यादा से ज्यादा माल बाहर निकालते, लेकिन वे जानते थे कि इससे कंपीटीशन के मार्केट में माल की कीमत गिर जाएगी। वे यह भी जानते थे किसी और पैकिंग में गुटखा बनाने से उनका पुराना माल डंप हो जाएगा, इस कारण नई पैकिंग में गुटका बनाने की बजाय उन्होंने पुराने माल पर राशनिंग शुरू कर दी। परिणाम ये हुआ कि माल की कीमत बढ़ गई और स्टॉकिस्टों ने माल अधिक कीमत में धीरे-धीरे निकालना शुरू कर दिया। इसका फायदा खुदरा दुकानदारों ने भी उठाया और यह कह कर कि आगे न जाने किस पैकिंग में गुटका आएगा, इस कारण माल ही कम आ रहा है और उसकी कीमत बढ़ गई है। इस प्रकार जम कर ब्लैकमार्केटिंग होना शुरू हो गई। जाहिर है कि आम आदमी गुटके का आदी हो चुका है और उसे किसी भी कीमत में गुटका चाहिए, इस कारण वे एक रुपए का गुटका डेढ़ रुपए में खरीद रहा है।
हालांकि नगर निगम को भी जानकारी थी कि 1 मार्च से प्लास्टिक में पैक गुटकों पर रोक लग जाएगी, लेकिन उसने भी कोई ध्यान नहीं दिया। मेयर कमल बाकोलिया का बयान ही यह जाहिर करता है कि निगम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रति कितना गंभीर है। उनका कहना है कि पहले चरण में जागरूकता अभियान चला कर समझाइश की जाएगी। यानि जो दिन जागरूकता के लिए मिले थे, उसमें तो लूट की छूट दे दी और जिस दिन से रोक लगी है, उस दिन से जागरूकता की बात की जा रही है। साफ दिख रहा है कि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर निगम के अधिकारी भी लूट में शामिल हो जाएंगे। वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवला दे कर दुकानदारों को लूटने की कोशिश करेंगे। दुकानदार भी नगर निगम का डर दिखा कर छुप-छुप कर ज्यादा कीमन वसूलेंगे।
आश्चर्य की बात है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और धरातल की स्थिति में सामंजस्य बैठाने की जिम्मेदारी सरकार की होने के बाद भी वह मौन बनी रहती है। न तो ये पता किया जाता है कि अमुक दिन से रोक लगने पर मार्केट में स्टॉक की स्थिति क्या होगी और न ही ये ध्यान रखा जाता है कि संबंधित कंपनियां एक निश्चित दिन तक अपना पुराना माल खपा लें और नया माल मार्केट में भेजें। इसी का परिणाम होता है कि कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ती हैं, साथ ही कोर्ट के आदेश का डर दिखा कर ब्लैकमार्केटिंग होती है।



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