बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

...तो क्या अखबार में खबर छपने पर ही जागते हैं विधायक?


जयपुर के मावठा तालाब को बीसलपुर के पानी से भरने पर नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन के ऐतराज करने पर कांग्रेस विचारधारा के सोनम किन्नर ने तो सियापा किया ही, अजमेर के दोनों भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल भी जाग गए हैं। असल में यह अजमेर जिले के सभी विधायकों की जिम्मेदारी है कि वे इस मामले पर एकजुट हो कर आगे आएं, मगर कांग्रेसी यदि पर्यटन मंत्री बीना काक से घबराते हों तो कम से कम भाजपा के विधायकों से तो उम्मीद की जा सकती है। जैन का बयान छपने के बाद भी जब देवनानी व अनिता चुप रहे तो आश्चर्य हुआ कि वे कैसे पीछे रह गए। हर छोटे-मोटे मुद्दे पर विज्ञप्ति जारी करने वाले इतने बड़े मुद्दे पर कैसे चूक गए? संभावना यही थी या तो वे विधानसभा सत्र के कारण व्यस्त होंगे या फिर सीधे विधानसभा में ही मामला उठाएंगे। ऐसा ही हुआ। देवनानी ने जहां विधानसभा अध्यक्ष के सामने 295 के तहत अर्जी लगाने की बात कही है, वहीं अनिता ने भी विरोध में बयान जारी किया है। बड़ी अच्छी बात है। मगर अहम सवाल ये है कि हमारे नेता सांप के चले जाने पर ही लाठी क्यों पीटते हैं? वस्तुत: जब राजस्थान पत्रिका में खबर छपी, तब जा कर हमारे नेताओं का होश आया कि अजमेर का हक मार कर मावठा तालाब भर दिया गया है। इससे साफ जाहिर है कि उन्हें पता ही नहीं लगा कि कब पानी ले लिया गया। इससे साबित होता है कि वे अपनी ओर से कोई खैर-खबर नहीं रखते। जब मीडिया जगाता है, तब जा कर जागते हैं। इस मामले में भी देवनानी व भदेल ने कोई अपनी ओर से पहल नहीं की है। वो तो चूंकि खबर राजस्थान पत्रिका में छपी थी और उसी पर धर्मेश जैन बोले तो वह पत्रिका का फॉलोअप बन गया। स्वाभाविक सी बात है कि संवाददाता ने उनसे संपर्क किया तो दोनों ने बयान दे दिया। अगर स्वतंत्र रूप से बयान जारी करते तो और अखबारों में भी बयान छपता। वैसे सच्चाई ये है कि ऐसे बयानों से होता जाता कुछ नहीं है। बस यह पता लगता रहता है कि हमारे नेता सोये हुए नहीं हैं। खैर, अब चूंकि वे सियापा कर रहे हैं तो उसका स्वागत किया ही जाना चाहिए। मगर एक सवाल आज भी मुंह बाये खड़ा है कि कभी अकेले धर्मेश जैन और कभी पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, मौजूदा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल के या फिर किसी और के इस प्रकार सियापा करने से होता क्या है? विशेष रूप से भाजपा नेताओं का यह सवाल कभी पीछा नहीं छोड़ेगा, जब उनकी ही पार्टी की सरकार ने अजमेर के हक का पानी जयपुर को देने का फैसला किया था, तब क्या कर रहे थे? यह एक कड़वी सच्चाई है कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान अजमेर जिले की भिनाय विधानसभा सीट के विधायक प्रो. सांवरलाल जाट ने जलदाय मंत्री रहते हुए बीसलपुर से जयपुर को पानी देने का फैसला होने दिया था। खैर, देखते हैं कि अब जब मावठा तालाब भरा जा चुका है तो देवनानी के लाठी भांजने से होता क्या है?
-tejwanig@gmail.com

1 टिप्पणी:

  1. अजमेर का यह दुर्भाग्य ही रहा है कि हमें अभी तक कोई समर्पित जप्रतिनिधि नहीं मिला है,जो भी व्यक्ति चुना जाता है वह या तो अपने पार्टी की भीतरी लड़ाई में उलझ के रह जाता है या फिर अपनी जेब भरने के जुगाड़ में मशगूल हो जाता है|
    इस में जितना दोष इन जनप्रतिनिधियों का है उतना ही हम जनता का भी है |
    हम ही जागरूक नहीं हैं,जब तक हम अपने कर्तव्यों या अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होंगे हमारा हक मारा जाता रहेगा |आवश्यकता है कि हम देख भाल के कार्यकर्ताओं को ही चुने और उन से अपना काम भी निकलवाना जानें|
    अब के चुनावों के लिए कमर कस लीजिये | अब की बार चुनाव मंच से सब उम्मीदवारों से उन के कार्यकाल में हुए कामों का ब्यौरा लिया जाएगा |

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