मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

लो इंटेक ने ढूंढ़ ही लिया अजमेर की स्थापना का दिन


हाल ही इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज (इंटेक) के अजमेर चैप्टर ने तलाश कर बता दिया कि अजमेर का स्थापना दिवस चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन 1112 को अजयराज चौहान ने की थी। इतना ही नहीं उसने गणना कर यह भी बता दिया है कि अजमेर का स्थापना दिवस इस साल आगामी 23 मार्च को है और प्रशासन से आग्रह किया गया है कि इस अवसर को उत्सव के रूप में मनाया जाए। हालांकि यह निर्णय अथवा घोषणा चूंकि चैप्टर की बैठक में की गई है, इस कारण इसका श्रेय संस्था को ही जाता है, मगर ऐसा प्रतीत होता है कि यह संस्था के संयोजक महेन्द्र विक्रम सिंह की ही खोजबीन है। वे ही अरसे से इसकी तलाश कर रहे थे।

अजमेर का स्थापना दिवस ढूंढ़ कर निकालना निश्चित रूप से ऐतिहासिक घटना है। अब तक एक भी स्थापित इतिहासकार ने इस बारे में स्पष्ट कुछ नहीं कहा है। यहां तक कि अजमेर के इतिहास के बारे में कर्नल टाड की सर्वाधिक मान्य और हरविलास शारदा की सर्वाधिक विश्वसनीय पुस्तक में भी इसका कोई उल्लेख नहीं है। मौजूदा इतिहासकार शिव शर्मा का भी यही मानना रहा है कि स्थापना दिवस के बारे में कहीं कुछ भी अंकित नहीं है। उन्होंने अपनी पुस्तक में अजमेर की ऐतिहासिक तिथियां दी हैं, जिसमें लिखा है कि 640 ई. में अजयराज चौहान (प्रथम) ने अजयमेरू पर सैनिक चौकी स्थापित की एवं दुर्ग का निर्माण शुरू कराया, मगर स्थापना दिवस के बारे में कुछ नहीं कहा है। इसी प्रकार अजमेर के भूत, वर्तमान व भविष्य पर लिखित पुस्तक अजमेर एट ए ग्लांस में भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
सांस्कृतिक गतिविधियों में सर्वाधिक सक्रिय भाजपा नेता सोमरत्न आर्य और बुद्धिजीवी राजनीतिकों में अग्रणी पूर्व मंत्री ललित भाटी भी अरसे से स्थापना दिवस के बारे में जानकारी तलाश रहे थे। आर्य जब नगर निगम के उप महापौर थे, तब भी इसी कोशिश में थे कि स्थापना दिवस का पता लग जाए तो इसे मनाने की शुरुआत की जा सके। भाटी की भी यही मंशा रही। राजनीतिक क्षेत्र में स्थापित सरस्वती पुत्र पूर्व राज्यसभा सदस्य औंकार सिंह लखावत ने तो बेशक नगर सुधार न्यास के अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में सम्राट पृथ्वीराज चौहान स्मारक बनवाते समय स्थापना दिवस खोजने की कोशिश की होगी। लखावत जी को पता लग जाता तो वे चूकने वाले भी नहीं थे। इनमें से कोई भी आधिकारिक रूप से यह कहने की स्थिति नहीं रहा कि यह स्थापना दिवस है।
ऐसे में इंटेक की घोषणा का क्या आधार है, कुछ कहा नहीं जा सकता। उन्होंने जो खबर जारी की है, उसके साथ कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं दिया है। हां, इतना जरूर माना जा सकता है कि संस्था ने निर्णय दिया है कि 23 मार्च को स्थापना दिवस है। अब उसे कोई माने या नहीं। चूंकि इंटेक ने इस दिशा में पहल कर ही ली है तो इस मामले में रुचि रखने वालों को भी एक बार फिर पुरातात्विक संग्रहों को खंगालना चाहिए और सर्वसम्मति से कोई तिथि मान्य करनी चाहिए। यदि ऐसा हो पाता है तो यह अजमेर के लिए बहुत गौरव की बात होगी।

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