रविवार, 18 मार्च 2012

गांधी जी की तरह चर्चा में हैं सचिन पायलट के तीन


अजमेर में इन दिनों एक परचा चर्चा का विषय बना हुआ है। यह कांग्रेसियों व मीडिया कर्मियों को डाक से मिल रहा है। इसमें बिना किसी के नाम का उल्लेख किए नगर निगम मेयर कमल बाकोलिया, शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता व नगर सुधार न्यास के सदर नरेन शहाणी भगत को गांधी जी के तीन बंदरों की तरह अजमेर के सांसद व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट की कठपुतलियों की तरह दर्शाया गया है। इस सिलसिले में आपको बता दें कि तीनों नेताओं को सचिन पायलट का पिट्ठू करार दिए जाने की जनचर्चा तो पिछले काफी दिन से है, मगर किसी कुंठित कांग्रेसी नेता ने परचे के माध्यम से ऐसा कृत्य अब जाकर कृत्य किया गया है।
जाहिर सी बात है कि यह किसी भाजपाई की नहीं, बल्कि किसी कांगे्रसी की ही हरकत है। उसकी वजह ये है कि भले ही परचा जारी करने वाले ने अपनी भड़ास जम कर निकाली हो, मगर है उसके मन में कांग्रेस के प्रति सच्चा दर्द। तभी उसमें तीनों नेताओं की ओर से की जा रही कांग्रेस कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को यह कह कर उभारा गया है कि कांग्रेस की मत सुनो, कांग्रेस की मत देखो व कांग्रेस की मत करो।
पर्चा लिखने वाला कोई जज्बाती आदमी ही दिखता है, इस कारण संभव है उसकी बातें अतिशयपूर्ण हो गई हैं, मगर उससे आम कांग्रेस कार्यकर्ता की भावना तो सामने आ ही रही है। और कुछ नहीं तो कांग्रेस के अंदर सुलग रही आग का इशारा तो कर ही रही है। मजे की बात है कि पीडि़त को किसी एक से नहीं, बल्कि तीनों प्रमुख नेताओं से शिकायत है। ये कांग्रेस के लिए वाकई सोचनीय है। अगर दोनों प्रमुख स्थानीय निकायों के प्रमुखों व कांग्रेस अध्यक्ष के बारे में यह धारणा बन रही है तो कांग्रेस हाईकमान के लिए तो चिंतनीय है ही, उससे भी अधिक चिंता का विषय है सचिन पायलट के लिए। इसकी वजह ये है कि तीनों के कारण कांग्रेस को जो नुकसान हो रहा है, उससे कहीं अधिक सचिन पायलट की छवि को हो रहा है। कहां तो उनकी अजमेर को हाईटेक और सर्वसुविधा संपन्न बनाने की मंशा और कहां उनके तीनों प्रमुख सिपहसालारों की पहचान। अभी फाल्गुन महोत्सव में तो सचिन और उनके इन तीनों के बारे में बाकायदा एक झलकी दिखाई गई थी। यह बात दीगर है कि उस झलकी में सचिन के कपड़े फाड़ कर कुछ ज्यादा ही फाड़ दी। वह कुछ लोगों को नागवार भी गुजरी। जिस तरह समारोह के तुरंत बाद यह वाकया पेश आया है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि इसी झलकी को देख कर ही परचा जारी करने वाले को प्रेरणा मिली।
सचिन के लिए यह विषय गंभीर इस कारण है क्योंकि तीनों की हर विफलता सचिन के खाते में ही जा रही है, क्योंकि माना यही जाता है कि वे उनके इशारे पर ही काम करते हैं। पिछले दिनों जब चंदवरदायी नगए ए ब्लॉक एवं जवाहर की नाड़ी में मकान तोड़े जाने पर जब शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता के जांच कमेटी बनाने पर जो विवाद हुआ, उसे सचिन ने ही दखल दे कर शांत करवाया। सचिन की फटकार पर रलावता व बाकोलिया यकायत भगत के सुर में सुर मिलाने लगे। लब्बोलुआब शहर में संदेश यही गया कि तीनों ही उनके कहने में हैं।
सचिन के लिए यदि यह सुखद बात है कि उन्होंने स्थानीय कांग्रेस पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है, तो साथ ही दुखद बात ये है जिनके माध्यम से वे कांग्रेस संगठन व शहर का विकास करवाना चाह रहे हैं, वे अपनी ढ़पली अपना राग अलाप रहे हैं। ऐसा नहीं कि सचिन को इस बात की जानकारी नहीं है, मगर वे कर भी कुछ नहीं पा रहे। स्थानीय जो दिग्गज कांग्रेसी थे, उन्होंने सचिन के साम्राज्य का नकार दिया। मजबूरी में उन्हें दूसरा विकल्प ही अपनाना पड़ा। और वे जैसे हैं, हैं। आज भले ही यह परचेबाजी हंसी-ठिठोली का सबब बन जाए, मगर आगे चल कर यह सचिन के लिए दिक्कत पेश करेगा।

-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

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