रविवार, 1 अप्रैल 2012

वारदात के बाद ही क्यों हल्ला होता है पुलिस वेरिफिकेशन का?

दरगाह इलाके में खादिम की हत्या के बाद नौकर दंपती फरार
दरगाह इलाके में एक और हत्या हो गई, मगर अफसोस कि जिस नौकर-नौकरानी पर हत्या का शक है, वे फरार हैं और उनका पुलिस वेरिफिकेशन नहीं हो रखा है। अब पुलिस को उन तक पहुंचने में भारी मशक्कत करनी होगी।
ज्ञातव्य है दरगाह शरीफ के निकट स्थित छोटा चौक के साहिबजादा हाउस में गत दिवस अंजुमन के पूर्व सचिव महमूद चिश्ती के छोटे भाई सैयद अली हसन चिश्ती की गला घोंट कर नृशंस हत्या कर दी गई। मौके से करीब 5 लाख रुपए की नकदी और 8 लाख रुपए के जेवरात गायब मिले और मुंबई निवासी नौकर-नौकरानी भी नदारद थे। इस वजह से नौकर-नौकरानी पर ही हत्या का संदेह किया जा रहा है। दरगाह थाना पुलिस का कहना है नौकर दंपती का पुलिस वैरीफिकेशन नहीं हुआ है, जबकि हर बार शांति समिति और सीएलजी बैठकों में पुलिस अधिकारी नौकरों का वैरिफिकेशन करवाने के लिए कहती आ रही है।
सवाल ये उठता है कि हर बार जब कोई हादसा होता है, तब ही क्यों हल्ला होता है कि बाहर से यहां आने वाले जायरीन व यहां आ कर बस जाने वालों का पुलिस वेरिफिकेशन सख्ती से होना चाहिए? इससे पहले न तो पुलिस इस पर कोई गंभीरता दिखाती है और न ही होटल वाले व नौकर रखने वाले पूरा सहयोग करते हैं।
ज्ञातव्य है कि कुछ माह पूर्व ही बिना आईडी प्रूफ के गेस्ट हाउस में ठहर कर एक युवक द्वारा अपने साथ पत्नी बता कर लाई गई युवती की हत्या कर फरार हो जाने पर भी यही सवाल उठा था। तब भी यही बात आई थी कि न तो गेस्ट हाउस संचालक नियमों की पालना करने के प्रति गंभीर हैं और न ही पुलिस ने इससे पहले हुए एकाधिक मामलों से सबक लेते हुए अपने आप को मुस्तैद किया है। इससे जाहिर है कि गेस्ट हाउस संचालकों के केवल अपनी कमाई की चिंता है। न तो उन्हें कानून-कायदों की चिंता है और न ही अति संवेदनशील अजमेर शहर की सुरक्षा से कोई मतलब। आपको जानकारी में होगा कि इससे पहले भी बिना आईडी प्रूफ के होटल में ठहर कर एक दूल्हे ने खुदकशी कर ली थी।
दरगाह इलाके में इस प्रकार के वाकये होना साबित करता है कि मुंबई ब्लास्ट के मास्टर माइंड व देश में आतंकी हमले करने का षड्यंत्र रचने के आरोपी डेविड कॉलमेन हेडली से गच्चा खाने के बाद भी पुलिस ने सबक नहीं लिया है। भले ही पुलिस ऐसे मामलों के लिए गेस्ट हाउस संचालकों व नौकर रखने वालों को दोषी ठहराए मगर मगर ऐसा तभी तो संभव होता है न कि पुलिस आईडी प्रूफ व पुलिस वेरिफिकेशन की अनिवार्यता का कानून लागू करवाने में विफल हो रही है। पुलिस की लापरवाही का यह आलम तब है, जब कि दरगाह में एक बार बम विस्फोट हो चुका है। बेंगलुरु सीरियल बम ब्लास्ट का मास्टर माइंड व इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी उमर फारुख सहित कई अन्य संदिग्धों के बिना पहचान पत्र के ठहरने के सनसनीखेज खुलासे हो चुके हैं।
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि दरगाह और पुष्कर के कारण अजमेर एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल है और मेलों के अतिरिक्त भी यहां सालभर जायरीन व श्रद्धालुओं का आना जारी रहता है। जायरीन इतनी बड़ी तादात में आते हैं उन पर निगरानी रखना बेहद मुश्किल काम है। इसी का फायदा उठा कर आतंकी व संदिग्ध छुपने अथवा षड्यंत्र रचने के लिए यहां का रुख करते हैं। ऐसे अनेक मामले अब तक उजागर हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त मादक पदार्थों की तस्करी का भी अजमेर ट्रांजिट सेंटर बन चुका है। अनेक दरगाह व पुष्कर जैसे अंतर्राट्रीय ख्यातिप्राप्त धर्मस्थलों के अतिरिक्त पुष्कर स्थित यहूदी धर्मस्थल बेद खबाद को भी सदैव खतरा बना रहता है। यही वजह है कि सरकार ने यहां होटलों में ठहरने वालों पर निगरानी के लिए विशेष निर्देश दे कर आईडी प्रूफ हर हालत में लेने के आदेश दे रखे हैं।
आपको याद होगा कि हेडली वाला मामला होने पर यह बात भी आई थी कि कि पुलिस के पूरा स्टाफ नहीं है। इसी कारण विदेशियों पर तो थोड़ी-बहुत निगरानी जरूरी की जाती है, मगर आम लोगों के बारे में पुलिस को सभी खादिमों के यहां काम करने वाले बाहर के नौकारों व होटलों के रजिस्टर जांचने का वक्त ही नहीं मिलता। तब पुलिस अधीक्षक का कहना था कि सरकार को अतिरिक्त पुलिस नफरी के लिए लिखा हुआ है, मगर उस पर क्या कार्यवाही हुई, आज तक पता नहीं लगा। यही आलम रहा तो किसी दिन कोई बड़ा हादसा यहां कानून-व्यवस्था को तहस-नहस कर जाएगा।

-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

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