शनिवार, 21 अप्रैल 2012

...लो फिर बर्फ से निकल आए एडवोकेट राजेश टंडन

अपने हरफनमौला व्यक्तित्व की बदोलत सुपरिचित वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राजेश टंडन ने तीसरी बार अजमेर जिला बार एसोसिएशन का अध्यक्ष बन कर साबित कर दिया है कि अगर आदमी की जड़ जिंदा हो तो मौका पा कर वह फिर से हरा-भरा हो जाता है।
असल में टंडन पिछले काफी दिन से बर्फ में लगे हुए थे। कहलाते जरूर जाने-माने कांग्रेसी थे, मगर कांग्रेस में उनकी वखत कम सी हो गई थी। कम इसलिए कि उन्हें इस बार कांगे्रस सरकार के रहते ही कोई ढंग का पद नहीं मिल पाया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बार जिस तरह से अपने पिटारे का मुंह संकड़ा कर रखा है, उसके चलते कई नेता अपने घर तक ही कैद हो कर रह गए हैं। नरेन शहाणी भगत को भी तब जा कर न्यास अध्यक्ष पद मिला, जब कि लगभग हताश हो चुके थे। जहां तक संगठन का सवाल है, इन दिनों जिस तरह की कांग्रेस अजमेर में पैदा हुई है, उसमें टंडन सहित कई दिग्गज हाशिये पर चुपचाप बैठे हैं। उनका कोई जोर नहीं चल रहा। संपर्क उनके जरूर जयपुर-दिल्ली तक हैं, मगर सचिन पायलट के कारण कोई भी बड़ा नेता अजमेर का नाम आते ही तुरंत हाथ खींच लेता है। टंडन ठहरे उखाड़-पछाड़ वाले नेता, सो उन्हें यह स्थिति बेहद दुखी किए हुए थी। कांग्रेस से उम्मीद खत्म सी हो गई थी और अगली सरकार किसकी होगी, कुछ पता नहीं, सो आखिर उन्हें यही बेहतर लगा कि अपने पेशे की जमात में ही फिर से अपना कद कायम करें। इसी चक्कर में बार अध्यक्ष के चुनाव में उतर गए। उतर तो गए, मगर इस बार राह आसान नहीं थी। आसान की छोडि़ए, यूं कहिये कि प्रतिष्ठा दाव पर ही लग गई थी। एक तरफ पुराने दुश्मन और दूसरी ओर संघ के नेता भी आ डटे, फिश प्लेटें गायब करने को। जोर तो बहुत आया, मगर अपने पुराने रसूखात और मिजाज के दम पर नैया पार लगा ही ली।
कुल मिला कर अब जनाब फिर शहर की मुख्य धारा में आ गए हैं और वह भी दमदार तरीके से। दिलचस्प बात ये रही कि बार अध्यक्ष बनते ही सीधे जिला व सत्र न्यायाधीश से भिड़ंत की नौबत आ गई। इसे कहते हैं सिर मुंडाते ही ओल गिरना। खैर, इसे भी उन्होंने बड़ी दिलेरी और चतुराई से निभा लिया। कुल जमा बात ये है कि उन्होंने एक कविता की इन पंक्तियों को साकार कर दिया है कि जड़ अगर जिंदा रही तो फिर हरा हो जाऊंगा। उम्मीद है कि उनकी यह पारी कामयाब रहेगी। वैसे भी शहर के गिने-चुने बुद्धिजीवी राजनीतिज्ञों में उनकी गिनती होती है, सो उम्मीदें कुछ ज्यादा ही हैं।
आइये, जरा उनके व्यक्तिगत जीवन में भी झांक कर देख लें-
उनका जन्म 3 अक्टूबर 1951 को स्वर्गीय श्री प्रेम नारायण टंडन के घर हुआ। उन्होंने बी.ए. व एल.एल.बी. तक शिक्षा अर्जित की। वे 1968 से लगातार कांग्रेस जुड़े हुए हैं। वे 1972 में श्रमजीवी कॉलेज छात्र संघ व 1974 में लॉ एसोसिएशन, राजकीय महाविद्यालय के अध्यक्ष, 1977 से 1986 तक जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष व 1987 से 1995 तक जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रहे। 1978 में भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी को जेल भेजे जाने पर किए गए जेल भरो आंदोलन में भाग ले चुके हैं। वे 1998 से 2003 कई सरकारी समितियों के सदस्य रहे हैं। इसके अतिरिक्त सन् 1997 से लगातार अजमेर उत्तर से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्वाचित सदस्य रहे। वे 1997 से 2007 तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव भी रहे हैं। उन्होंने 8 नवंबर 1975 से वकालत करते हुए विशेष उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने पांच साल तक प्रदेश के खनन विभाग के लिए विधि सलाहकार के रूप में काम किया है और पर्यावरण संबंधी मसलों पर विशेष जानकारी रखते हैं। वे अजमेर संभागीय आयुक्त व गुंडा एंड आम्र्स एक्ट के लिए सरकारी वकील रहे हैं। उन्होंने एससी एसटी कोर्ट और टाडा कोर्ट में सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक के रूप में भी काम किया है। राजस्व मंडल व आबकारी महकमे में भी बतौर सरकारी वकील और नगर परिषद में विधि सलाहकार के रूप में काम किया है। वे एक लंबे अरसे से नोटेरी पब्लिक भी हैं।
वे पंडित जवाहर लाल नेहरू की ओर से स्थापित फ्रेंड्स सोवियत यूनियन के जिला अध्यक्ष, इंडो-चाइना सोसायटी की राजस्थान इकाई के महासचिव, राजस्थान स्टेट रेसलिंग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष, अजमेर जिला रेसलिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष, कला घर सोसायटी के सचिव और दूरभाष सलाहकार समिति के सदस्य रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

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