शनिवार, 7 अप्रैल 2012

अजमेर जिले में बिछने लगी नई सियासी बिसात?

अजमेर के सांसद व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट का जिले का दौरा चौंकाने वाला अनसुलझा सवाल छोड़ गया है। सवाल ये कि पिछले दो साल में पहली बार जिले के एक-दो कद्दावर विधायकों ने उनके दौरे के दौरान उनसे दूरी क्यों बनाए रखी? हाल ही एक और घटना भी चौंकाने वाली रही। वो ये कि सरकारी मुख्य सचेतक डॉ. रघु शर्मा को अचानक अजमेर के प्रभारी मंत्री का कार्यभार क्यों सौंप दिया गया? आपको याद होगा कि कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खासमखास रहे रघु शर्मा इस बार विधायक बने तो तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सी. पी. जोशी से नजदीकी के कारण वरिष्ठ होने के बाद भी नजरअंदाज किए जाते रहे थे। पिछले दिनों जब सत्ता व संगठन में तालमेल की कवायद हुई तो उन्हें मुख्य सचेतक बना दिया गया। हालांकि तब यह सुगबुगाहट रही कि वे केबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने के कारण असंतुष्ट हैं, इस कारण शपथ नहीं लेंगे, मगर ऐसा हुआ नहीं तो सभी चौंके कि रघु शर्मा शांत कैसे हो गए? बताया जाता है कि हाल ही केकड़ी में अस्पताल का शिलान्यास कार्यक्रम के बाद राजस्थान के प्रभारी मुकुल वासनिक के प्रयासों से गहलोत व शर्मा के बीच फिर पुराने संबंध सजीव हो उठे हैं। उसी का परिणाम है कि उन्हें उसी जिले का प्रभारी मंत्री बनाया दिया गया, जहां से वे विधायक हैं। हाल ही उन्होंने एक सरकारी बैठक की अध्यक्षता प्रभारी मंत्री के नाते ली। जाहिर सी बात है कि पुष्कर की विधायक व शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर के इससे कान खड़े हुए होंगे। कदाचित इसी वजह से उनके पति इंसाफ अली सरवाड़ शरीफ के चक्कर लगा रहे हैं, ताकि जरा सी भी भीतरघात हो तो पुष्कर का झटका केकड़ी तक जाए।
क्या यह कम चौंकाने वाली बात है कि जिस दिन पायलट का दौरा था, तब उनकी चापलूसी में आगे-पीछे घूमने की बजाय शर्मा व नसीराबाद विधायक महेन्द्र सिंह गुर्जर मगरा व पीसांगन में सरकार का महिमागान कर रहे थे। बताया जाता है कि एक साल पहले पायलट ने सभी कांग्रेसी विधायकों व सरपंचों को कह दिया था कि जिले भर में राजीव गांधी केन्द्रों का शुभारंभ वे ही करेंगे, बावजूद उसके मुख्य अतिथि का बदलना चौंकाने वाला ही है। ये घटनाएं जिले में नए राजनीतिक समीकरणों का तानाबाना बुने जाने के संकेत दे रही हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें