बुधवार, 18 जुलाई 2012

सेंट्रलाइज्ड किचन : उद्घाटन के लिए कब तक इंतजार करेंगे?


हमारे यहां सरकारी कामकाज की कछुआ चाल वाकई बेहद अफसोसनाक है। इसी वजह से एक तो प्रस्तावित योजना की लागत बढ़ जाती है, दूसरा उसे जिस मकसद से लागू किया जा रहा होता है, वह समय पर पूरा नहीं होता अर्थात समय पर उसका लाभ नहीं मिल पाता। तोपदडा स्थित शिक्षा विभाग परिसर में नवनिर्मित सेंट्रलाइज्ड किचन के मामले में यह बात पूरी तरह फिट बैठती है। उसे तैयार हुए अरसा बीत गया है, मगर वह महज इसी कारण शुरू नहीं की जा रही है, क्योंकि उसका शुभारंभ समारोह आयोजित नहीं हो पाया है। किसी नेता के हाथों उसका फीता नहीं काटा जा सका है।
यहां उल्लेखनीय है कि नांदी फाउंडेशन, हैदराबाद ने पिछले भाजपा शासनकाल में विधायक और सांसद कोटे से पैंतीस लाख रुपये की लागत से इसका निर्माण करवाया गया। भाजपा का राज चला गया और कांग्रेस के राज को भी तीन साल से ऊपर हो गया, मगर यह किचन अब भी शुभारंभ को तरस रही है। पिछले दिनों यह तथ्य सामने आया कि पानी-बिजली के कनैक्शन न हो पाने के कारण इसे शुरू नहीं किया जा सकता। काफी जद्दोजहद के बाद अब तो वह काम भी हो चुका है, मगर फिर भी यह शुभारंभ नहीं किया जा रहा। ऐसी उम्मीद जताई गई कि नया शिक्षण सत्र शुरू होने के साथ यह भी शुरू हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पोषाहार योजना में आए दिन होने वाली परेशानी से निजात पाने के लिए सेंट्रलाइज्ड किचन की योजना बनाई गई थी। इसमें डिस्टानिंग मशीन लगायी गयी है, जिसमें गेहूं और चावल ओटोमेटिक साफ होकर मशीन में लगी तीन चक्कियों से पिस कर बाहर आयेगा। किचन में बायलर, चपाती मशीन, वैजल्स, राइस और सब्जी बनाने की मशीनें भी लगायी गई हैं। जाहिर है यह किचन वाकई काम की है, मगर कारगर तभी होगी, जबकि इसका उपयोग होगा। देखते हैं सरकार की नींद कब खुलती है।
-तेजवानी गिरधर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें