मंगलवार, 28 अगस्त 2012

नागौरा जी, एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला कहां गया?


हाल ही शहर कांग्रेस सेवादल के शहर संगठक पद से हटाए गए पार्षद विजय नागौरा सेवादल के बहुत पुराने नेता हैं। एक तरह से कहा जाए कि वे अजमेर में सेवादल की जान हैं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। और ही वजह है कि हाईकमान तक अपने रसूखात के दम पर सेवादल के महत्वपूर्ण पद पर फिर से काबिज हो गए हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय मुख्य संगठक महेन्द्र जोशी और सेवादल के राज्य प्रभारी रामजी लाल ने उन्हें शहर संगठक पद से हटाने के बाद दो दिन के भीतर ही प्रदेश संगठक बना दिया है।
कदाचित इस डवलमेंट से यह भ्रम हो सकता है कि नागौरा को नगर निगम में कांग्रेस पार्षद दल के नवनियुक्त नेता नरेश सत्यावना का विरोध करने की वजह से अनुशासनहीनता के चलते नहीं हटाया गया था। यह नियुक्ति की एक रूटीन प्रक्रिया थी। मगर असलियत ये है कि उन्हें हटाया तो अनुशासनहीनता के चलते ही था, हां, इतना जरूर है कि वे अपने पुराने रसूखात के दम पर फिर से नियुक्त हो कर आ गए। इसकी पुष्टि खुद नागौरा के बयान से हो जाती है। ज्ञातव्य है कि जब उन्हें हटाया गया तो उनसे उसका जवाब देते नहीं बना। इस पर उन्होंने कहा था कि उन्हें अनुशासनहीनता के कारण नहीं हटाया गया। बहाना यह बनाया कि चूंकि वे ब्लॉक कांग्रेस के भी अध्यक्ष हैं और एक व्यक्ति एक पद वाले सिद्धांत के तहत एक व्यक्ति का दो पदों पर रहना पार्टी की रीति-नीत के विरुद्ध है, इस कारण हटाया गया है। तर्क की दृष्टि से उनके बहाने में दम है, मगर अगर ऐसा ही था तो दो दिन बाद ही उन्हें सेवादल का प्रदेश संगठक कैसे बना दिया गया? क्या अब एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत समाप्त कर दिया गया है? साफ है कि हटाए जाने पर चूंकि उनके पास अपने बचाव का कोई रास्ता नहीं था, इस कारण सिद्धांत वाला तर्क दिया। मगर वे चुप नहीं बैठे और इसी सिद्धांत को ताक पर रख कर अपना रुतबा बरकरार रखने के लिए प्रदेश संगठक बन कर आ गए। असल में उन्होंने हटाए जाने वाले दिन ही इशारा कर दिया था कि उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है, मगर वह बात दम गई। अर्थात जैसे ही उन्हें हटाया गया उन्होंने अपने आकाओं के यहां दस्तक दी और आश्वासन पा लिया कि उनकी इज्जत बरकरार रखी जाएगी। और वही हुआ। अब नागौरा डंके की चोट पर फिर नियुक्ति करवा कर आ गए हैं। यानि कि अपुन का वह कयास तो गलत हो गया कि उनकी विधानसभा चुनाव में दावेदारी को झटका लगा है। इससे तो उनका दावा और मजबूत हो गया है। स्वाभाविक रूप से इससे उनके अजमेर के आका नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष नरेन शहाणी भगत की स्थिति भी मजबूत होगी।
बहरहाल, ताजा प्रकरण से एक बात यह भी साफ होती है कि सेवादल के बारे में अनुशासन वाली जो दुहाई दी जाती है, वह धरातल पर कोई अहमियत नहीं रखती। वहां भी नियुक्तियां उसी प्रकार होती हैं, जैसी कि राजनीतिक दलों में। सेवादल पर भी मातृ संगठन कांग्रेस की लचीली रीति-नीति हावी है। ऐसे में अगर सेवादल ये कल्पना करती है कि वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के समकक्ष दमदार बनेगी तो वह कभी पूरी नहीं होनी है। संघ भाजपा का छाया संगठन नहीं बल्कि भाजपा को इशारों पर नचाने वाला संगठन है।
-तेजवानी गिरधर

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