रविवार, 31 मार्च 2013

मैं ब्राह्मण तू जाट भाया, दोनी करांला ठाठ भाया

जिले के ब्राह्नाण मतदाताओं ने राजनीतीक बिसात बिछाना शुरू की 
ajmer map thumbविभिन्न राजनीतिक पार्टियों में फर्श से लेकर अर्श तक परशुराम वंशजों का महत्वपूर्ण रोल रहता है। राज्य के शेखावाटी और मेवाड़ इलाके में तो राजनीति की बारहखड़ी ही पंडित लोग ही रट पाते हैं और बारहखड़ी को भुनाने में जाट भाइयों का साथ मिल जाता है। तभी तो अपने शेखावटी वाले वरिष्ठ पंडित भाभड़ा जी तो सार्वजनिक रूप से कहते हैं:-
राजनीति में नी काट भाया, लेवो लाटो लाट भाया,
मैं ब्राह्नाण तू जाट भाया, दोनीं कराला ठाठ भाया।
परन्तु अपने अजमेर जिले में पंडितों को राजनीति में सिर्फ श्राद्ध तर्पण या पुष्कर पूजन में ही याद किया जाता है। आठ विधानसभा क्षेत्रों में लगभग दो लाख वोटर ब्राह्नाण हैं, परन्तु इनका नेतृत्व तो केकड़ा प्रवृत्ति के लोगों के हाथों में हैं। ऐसे नेता किसी पार्टी में जवान को जिताने के लिये अपनी जाति के ही जवान को हरवा रहे हैं। और तो देहात के मुरझाये हुए फूल में बैठे एक पंडित जी तो अपने पंडित जी का रास्ता काटने दिखावटी मार्बल की खानों का नाप चौप कर रहे हैं। अब इन पंडितों को कौन समझाये यदि अपन लोग आपस में ही खींचतान करेंगे तो जो एक सीट अभी जिले में सांत्वना के रूप में मिली है, उससे भी हाथ धो बैठेंगे। आखिर जिले में दो लाख होने के बाद भी ब्राह्नाणों को दोनों ही प्रमुख दलों द्वारा उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है।
इस बार ब्राह्नाण समाज ने भीतर ही भीतर शेखावटी वाले वरिष्ठ पंडित भाभड़ा जी का फार्मूला अपनाने का मन बना लिया है और किसान भाइयों के साथ पुष्कर, केकड़ी, मसूदा, किशनगढ़ में गोपनीय बैठकों का दौर शुरू हो गया है। यदि सब कुछ सही रहा तो सभी अनुमानों को धत्ता बता कर जिले से 2 ब्राह्नाण व 3 जाट विधायक आगामी चुनावों में जीत कर जयपुर पहुंच सकते हैं।
-रवि चोपडा

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