रविवार, 3 मार्च 2013

रावतों की नजर पुष्कर सीट पर भी है?

election 2013पुष्कर स्थित रावत समाज के मंदिर में रावत महासभा राजस्थान की आमसभा में प्रदेश के 15 रावत बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों से टिकट की दावेदारी का फैसला करने के साथ हालांकि यह खुलासा नहीं किया गया है कि वे कौन सी सीटें हैं, मगर रावत बहुल पुष्कर में सभा आयोजित करने और रावत नेताओं के रुख से तो यही लगता है कि उनकी नजर पुष्कर पर तो है ही। रावत बहुल ब्यावर विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत के जरिए कब्जा पहले से है ही।
यहां उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में ब्यावर से टिकट मिलने के बावजूद ज्यादा टिकटों की मांग कर रहे रावतों ने भाजपा का रायता ढोल दिया थ। यहां तक कि भाजपा सांसद प्रो. रासासिंह रावत व मगरा विकास बोर्ड के अध्यक्ष मदनसिंह रावत भी अपनी पार्टी की लुटिया डूबते हुए देखते रहे, मगर कुछ कर नहीं पाए। अकेले रावतों की बगावत के कारण भाजपा को पुष्कर, नसीराबाद और मसूदा सीट से हाथ धोना पड़ा था। पुष्कर में भाजपा के बागी श्रवण सिंह रावत के मैदान में आ डटने के कारण भाजपा के भंवर सिंह पलाड़ा को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस की नसीम अख्तर ने भाजपा के पलाड़ा को 6 हजार 534 मतों से हराया। नसीम को 42 हजार 881 व पलाड़ा को 36 हजार 347 वोट मिले। भाजपा के बागी श्रवणसिंह रावत को 27 हजार 612 वोट खा गए। अर्थात यदि श्रवण सिंह मैदान में नहीं होते तो पलाड़ा की जीत सुनिश्चित थी।
इसी प्रकार मसूदा में ग्यारसीलाल रावत के निर्दलीय रूप में मैदान में उतरने के कारण भाजपा के नवीन शर्मा हार गए थे। जरा परिणाम के आंकड़ों पर नजर डाल लीजिए। वहां निर्दलीय ब्रह्मदेव कुमावत ने कांग्रेस के रामचंद्र चौधरी को 7 हजार 655 मतों से हराया। कुमावत को 41 हजार 973 व चौधरी को 34 हजार 318 मत मिले। भाजपा के नवीन शर्मा को 31 हजार 80 मत मिले, जबकि निर्दलीय ग्यारसीलाल रावत ने 12 हजार 916 मतों का झटका दे दिया। अगर रावत मैदान में न होते तो कदाचित शर्मा जीत सकते थे।
अब नसीराबाद की बात कर लें। वहां कांग्रेस के महेन्द्र सिंह ने भाजपा के प्रो.सांवरलाल जाट को 71 मतों से पराजित किया। गुर्जर को 52 हजार 815 व जाट को 52 हजार 744 मत मिले। रावत समाज के शक्तिसिंह ने 6 हजार 535 वोट की सेंध मारी। अर्थात यदि शक्तिसिंह मैदान में नहीं होते तो प्रो. जाट आसानी से जीत सकते थे। वहां रावत समाज के फतवे की वजह से भाजपा के दोनो दिग्गज भाजपा नेता रासासिंह रावत व मदन सिंह रावत भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार तक नहीं कर पाए।
कुल मिला कर ऐसा प्रतीत होता है कि पिछले चुनाव में जो झटका रावत समाज ने दिया, उसी के प्लेटफार्म पर खड़े हो कर अब फिर दावेदारी की हुंकार भरी जा रही है। समाज अजमेर जिले में कम से कम दो सीटों पर तो कब्जा करना चाहेगा ही। ऐसे में पहले से कब्जे वाली ब्यावर सीट पर टिकट की प्रबल दावेदारी तो होगी ही, पुष्कर पर भी वे दमदार तरीके से दावा करेंगे। समाज के तेवर कितने तीखे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महासभा के प्रदेश मंत्री एडवोकेट राजेन्द्र रावत ने खुल कर कहा कि बाहरी प्रत्याशियों व गत चुनावों में समाज के प्रत्याशियों का विरोध करने वाले समाज के लोगों को अगले चुनाव में प्रत्याशी के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। समझा जा सकता है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, माहौल और गरमाएगा।
-तेजवानी गिरधर

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