बुधवार, 17 अप्रैल 2013

स्थानीय के चक्कर में तो नहीं अटकी थी दरगाह कमेटी?


जैसे ही सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सालाना उर्स को नजदीक देख अरसे से लंबित पड़े दरगाह कमेटी के पुनर्गठन की मांग उठी, उसके दो-तीन दिन बाद ही कमेटी का गठन हो गया। अर्थात कमेटी के नए सदस्यों के नाम तो पहले ही तय हो चुके थे, मगर घोषित नहीं किए जा रहे थे, वरना मांग के दो-तीन दिन के अंदर देश के विभिन्न भागों के प्रतिनिधियों का चयन इतना जल्दी कैसे हो गया?
ज्ञातव्य है कि कमेटी नौ सदस्यों की होती है, मगर उसमें केवल सात ही नियुक्त किए गए हैं, बाकी के दो सदस्यों के नाम अभी तय नहीं हो पाए हैं। समझा जाता है कि ये दोनों अजमेर के होंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि कमेटी में इन्हीं स्थानीय सदस्यों की नियुक्ति को लेकर ज्यादा विवाद है, क्योंकि केवल इन्हीं को रोका गया है। जैसे ही उर्स की नजदीकी के कारण कमेटी के पुनर्गठन की जरूरत महसूस हुई और इसकी मांग भी उठी तो सात सदस्य तो घोषित कर दिए गए, मगर दो लंबित कर दिए गए। बेशक बाहर के सदस्यों को लेकर भी प्राथमिकता का सवाल रहा होगा, मगर उसको लेकर विवाद होने की कोई संभावना नहीं हो सकती। विवाद केवल स्थानीय सदस्यों को लेकर ही होगा। जानकारी के अनुसार दरगाह कमेटी में शामिल होने के लिए स्थानीय लोगों में पूर्व सदस्य इलियास कादरी के साथ ही खादिम सैयद नातिक चिश्ती, सैयद इकबाल चिश्ती, सैयद लियाकत हुसैन मोईनी व सैयद गुलाम किबरिया चिश्ती समेत करीब 20 लोगों ने भी आवेदन किया था। जाहिर सी बात है कि इन्होंने अपने-अपने रसूखातों का उपयोग किया है और चूंकि उनमें टकराव की नौबत आई होगी, इस कारण कमेटी की घोषणा जल्द करने की मजबूरी के चलते दो सदस्यों का नाम लंबित कर दिया गया। अब चूंकि दो स्थान खाली हैं, इस कारण इन पर काबिज होने के लिए खींचतान और बढ़ेगी और घोषणा में और अधिक देरी हो सकती है। संभव है अब ईद के बाद ही शेष सदस्यों की नियुक्ति हो। इन दो स्थानों पर काबिज होने के लिए खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद वाहिद हुसैन अंगारा शाह ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय में सचिव ललित के पंवार से भेंट कर दबाव बनाया है कि खादिमों को तवज्जो दी जाए, क्योंकि वे दरगाह की परंपराओं व रस्मों और जायरीन की जरूरतों को बेहतर जानते हैं। कुछ इसी तरह की बात युवा खादिम सैयद नातिक चिश्ती ने कही है। उनका कहना था कि जो व्यक्ति करीब होता है, वही बेहतर तरीके से अच्छाई-बुराई जानता है। खदिम से बेहतर जायरीन के बारे में किसे जानकारी हो सकती है। जिन लोगों को यहां भेजा जाता है, वे यहां के बारे में कुछ नहीं जानते। उन्होंने मांग रखी है कि कमेटी में 3 स्थानीय सदस्य शामिल होने चाहिए। इनमें एक गैर खादिम और दो खादिम होने चाहिए।
बहरहाल, अब देखना ये है कि स्थानीय स्तर पर कौन भारी पड़ कर अपना नाम कमेटी में शामिल करवा पाता है।
-तेजवानी गिरधर

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