सोमवार, 16 जून 2014

फिर कैसे उठा अजमेर-पुष्कर के बीच सुरंग का मसला?

हाल ही अजमेर आए सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान ने बताया कि अजमेर-पुष्कर घाटी के बीच सुरंग यानि टनल बनेगी और इसका लाभ शहरवासियों के साथ यहां आने वाले पर्यटकों को भी मिलेगा। हालांकि वे यह नहीं बता पाए कि सुरंग का काम कब शुरू होगा, मगर इसके लिए प्रयास करने की बात उन्होंने जरूर कही। बेशक अगर ऐसा होता है तो यह बहुत ही सुविधाजनक होगा, मगर इस सुरंग की बात यकायक आई कहां से ये पता नहीं लगा।
अब तक की जानकारी यही है कि इस सुरंग की बात पहले भी कोई चौदह साल पहले आई थी। सन् 1990 में तत्कालीन पुष्कर विधायक व भेड़ ऊन राज्यमंत्री रमजान खान ने सुरंग की मांग उठाई थी। इसके बाद 1998 से 2003 तक भी यहां के विधायक रहते उन्होंने फिर दबाव बनाया। भाजपा के वरिष्ठ नेता औंकार सिंह लखावत ने भी भरपूर कोशिश की। इस पर वन विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग और राजस्व विभाग ने सर्वे किया। सर्वे में नौसर स्थित माता मंदिर से पुष्कर रोड स्थित चमत्कारी बालाजी मंदिर तक के मार्ग का सुरंग बनाने के लिए चयन किया गया। इसमें नौसर से बालाजी के मंदिर तक पहाड़ी को काटते हुए सुरंग बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया। इस मार्ग की कुल लंबाई महज आधा किलोमीटर आई, जबकि घाटी से चलने पर यह रास्ता करीब ढाई किलोमीटर का होता है। मगर जानकारी यही है कि सर्वे में यह निकल कर आया कि ऐसी सुरंग बनाना संभव नहीं होगा। इसकी वजह ये बताई गई थी कि अजमेर व पुष्कर को अलग करने वाली पहाड़ी इतनी मजबूत व सख्त नहीं है कि वहां सुरंग खोदी जा सके। अगर सुरंग खोदी गई तो कभी भी ढ़ह सकती है। सुरंग के व्यावहारिक धरातल पर संभव न होने की वजह से ही अजमेर को पुष्कर से जोडऩे के लिए रेल लाइन के प्रस्ताव पर काम किया गया, जिसमें लखावत ने अहम भूमिका निभाई। ऐसे में जाहिर तौर पर सुरंग का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। अब जब कि सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान ने इसका जिक्र किया है तो संदेह होता है कि कहीं उन्हें अधिकारी वास्तविक जानकारी नहीं दे कर गुमराह तो नहीं कर रहे। कहीं अधिकारी उस वक्त छूटे किसी व्यावहारिक विकल्प की तो बात नहीं कर रहे? जो कुछ भी हो, बात उठी है तो आगे भी चलेगी। देखते हैं होता क्या है?

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