मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

हॉट सीट है सीएमएचओ की कुर्सी

अजमेर में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी यानि सीएमएचओ की कुर्सी हॉट सीट है। इसकी गर्मी बर्दाश्त करना बेहद कठिन है। तभी तो अब मौजूदा सीएमएचओ डॉ. जवाहर लाल गार्गिया इस कुर्सी को छोडऩा चाहते हैं। जब से इस कुर्सी पर बैठे हैं उनका ब्लड पे्रशर बढ़ गया है। हर वक्त हाईपर टैंशन में रहते हैं। यह सीट कितना करंट मारती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिलेभर के लोगों के स्वास्थ्य का जिस पर जिम्मा हो, उसी का स्वास्थ्य काबू में नहीं रहता। किसी को हाइपर टैंशन हो जाता है तो किसी का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। तभी तो दो साल में चार सीएमएचओ बदले जा चुके हैं। सबसे ज्यादा तकलीफ पाई डॉ. बी.एल. फानन ने। पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के दौरे में लापरवाही के आरोप में उन्हें एपीओ किया गया। दुबारा फिर लगाए गए तो कांग्रेसियों ने उनका जीना हराम कर दिया। आए दिन उनके चैंबर में हंगामा होता रहा। हॉट सीट की वजह से उनका मिजाज भी इतना हॉट हो गया कि हर किसी को काटने को दौड़ते थे। आखिर उन्हें रुखसत करना पड़ा। पूर्व मंत्री लक्ष्मण सिंह रावत के करीबी डॉ. गार्गिया ने यह सीट हासिल तो कर ली, लेकिन स्वास्थ्य महकमा जिला परिषद के अधीन किए जाने के बाद यह सीट ज्यादा हॉट हो गई, इस कारण उसका करंट झेल नहीं पा रहे।
यूं तो इस सीट का स्वाद चखने को कोई चार डॉक्टर आतुर हैं, मगर मौजूदा डिप्टी सीएमएचओ डॉ. लाल थदानी उसी वक्त दावेदार थे। पूरी सैटिंग हो चुकी थी, मगर उनके आदेश जारी होते-होते रह गए और डॉ. गार्गिया ने बाजी मार ली। इस सीट को लेकर होने वाली राजनीतिक दखलंदाजी से परेशान हो कर उन्होंने अब सीट छोडऩे का मंशा जाहिर कर दी है।
बताते हैं कि यूं तो आरसीएएचओ डॉ. मधु विजयवर्गीय व नागौर सीएमएचओ डॉ. अखिलेश कुमार माथुर भी इस सीट के दावेदार हैं, मगर डॉ. लाल थदानी का पाया सबसे भारी है। यह सर्वविदित ही है कि वे पॉलिटिकल मैनेजमेंट में कितने सिद्धहस्त हैं। तभी तो पिछले कांग्रेस राज में राजस्थान सिंधी अकादमी के अध्यक्ष का पद हासिल करने में कामयाब हो गए। मौजूदा राज में भी उनके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से तार जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त कांग्रेसी नेताओं से अच्छे संबंधों के कारण उन्हें पता है कि सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों को कैसे संतुष्ट किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मीडिया फ्रंैडली होने के कारण मीडिया वालों को मैनेज करना भी उन्हें आता है। आज भी हालत ये है कि हैं वे डिप्टी सीएमएचओ, मगर सीएमएचओ से ज्यादा अखबारों में छाये रहते हैं। सोशल एक्टीविस्ट रह चुके हैं, इस कारण महज नौकरी करके संतुष्ट नहीं होते। कुछ न कुछ एडीशनल करते रहते हैं। उनकी मौजूदगी का ही परिणाम है कि आज स्वास्थ्य विभाग की गतिविधियां अखबारों में सुर्खियां पाती हैं। वस्तुत: कुछ न कुछ कर गुजरने की इच्छा के कारण हमेशा छाये रहते हैं। देखना ये है कि कांग्रेस सरकार उन्हें मौका देती है या नहीं।

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