बुधवार, 1 दिसंबर 2010

बेइज्जती दर बेइज्जती, अफसोसनाक है भाजपा की चुप्पी

अजमेर में भाजपाई जनप्रतिनिधियों का लगातार अपमान किया जा रहा है, मगर अफसोस कि भाजपा संगठन ऐसे चुप बैठा है, मानो उसका अस्तित्व ही नहीं है। शुक्रवार को पटेल मैदान में माई क्लीन अप अजमेर डे के मौके पर, जिसमें कि नगर निगम की भी प्रमुख भागीदारी थी, उप महापौर अजित सिंह राठौड़ को बोलने का मौका ही नहीं दिया गया। कदाचित इस वजह से कि वे भाजपा के हैं। यदि ऐसा जानबूझ कर नहीं किया गया हो तो भी इतना तो तय है कि उनकी अहमियत को नजरअंदाज तो किया ही गया। इतना भी ख्याल नहीं रखा गया कि वे नगर निगम में बहुमत वाली भाजपा के नेता हैं। हालांकि भाजपा पार्षद खेमचंद नारवानी सहित कुछ पार्षदों ने बाद में इस हरकत का विरोध किया, लेकिन वह सांप जाने के बाद लकीर पीटने जैसा ही था। यह तो ठीक है कि राठौड़ रिजर्व नेचर के हैं, इस कारण कुछ नहीं बोले, वरना कोई और होता तो हंगामा कर देता।
भाजपा जनप्रतिनिधियों के साथ लगातार ऐसा बर्ताव हो रहा है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में आयोजित नगर सुधार न्यास के कार्यक्रम में शहर के दोनों भाजपा विधायकों को ससम्मान नहीं बुलाया गया। सवाल उठा तो न्यास सचिव अश्फाक हुसैन ने कहा कि हमने तो बुलाया था। जाहिर है दोनो विधायकों को सामान्य सा निमंत्रण भेज दिया गया होगा, जैसा कि आम लोगों को भेजा जाता है। इसी प्रकार ग्रामीण परिवेश के अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेले के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुख्य आतिथ्य में आयोजित समापन समारोह में जिला प्रमुख श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा को आमंत्रण नहीं दिया गया, क्योंकि वे भाजपा की हैं। सवाल उठा तो जिला कलेक्टर राजेश यादव ने खुद का पल्लू झाड़ते हुए कह दिया कि आयोजक पशु पालन विभाग था, उसने निमंत्रण दिया होगा। उन्होंने इतना गैर जिम्मेदाराना जवाब दिया, मानो पशु पालन विभाग उनके अधीन नहीं आता है। इतना ही नहीं, उन्होंने यहां तक कह दिया कि ग्रामीण परिवेश का मेला है, उन्हें स्वयं ही आना चाहिए। मानो वे जिला प्रमुख नहीं हुईं, कोई सामान्य सी ग्रामीण महिला हो गईं। जिला प्रमुख को कम करके आंकने का यह एक ही मामला नहीं है। जब जिला परिषद की सीईओ शिल्पा मैडम टकराव कर रही हैं तो क्या जिला कलेक्टर की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे इसका समाधान निकालें, मगर वे तमाशबीन से बने हुए हैं।
जिला कलेक्टर राजेश यादव के इस रवैये से यकायक उनकी मानसिकता का ख्याल आ जाता है। इससे पहले वे पाली में भाजपा अध्यक्ष को थप्पड़ मार चुके हैं। पाठकों को याद होगा कि जब यादव को अजमेर लगाया गया था, तब चंद अखबारों में यह खबर शाया हुई थी कि उन्हें दोनों भाजपा विधायकों वाले अजमेर शहर के भाजपाइयों को कंट्रोल में रखने के लिए ही लगाया गया है। हालांकि उन्होंने अजमेर में तो तीखे तेवर वाली कोई हरकत नहीं की, मगर भाजपा जनप्रतिधियों की लगातार हो रही उपेक्षा के बीच उनकी चुप्पी संदेह तो उत्पन्न करती ही है।
खैर, जिला कलेक्टर जाने, उनका काम जाने, मगर खुद भाजपा संगठन ही अपने जनप्रतिधियों के अपमानित होने पर गैर जिम्मेदार बनी बैठा है, तो आश्चर्य होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि मौजूदा शहर जिला भाजपा अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा इस कारण कोई पंगा नहीं करना चाहते क्यों कि वे तो कुर्सी जाने के दिन गिन रहे हैं। रहा सवाल अन्य दिग्गज भाजपा नेताओं का तो वे आपस में ही लड़ कर खप रहे हैं। यही हाल रहा तो भाजपाई जनप्रतिनिधियों को और अधिक जलालत झेलनी पड़े तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए।

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