गुरुवार, 27 जनवरी 2011

परचा छपवाने वालों पर भी नजर है मुख्यमंत्री गहलोत की


शहर कांगे्रस के उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश गर्ग की लिखित शिकायत और एक गुमनाम परचे को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने अजमेर की पंचशील कॉलोनी में दीप दर्शन सोसायटी के नाम नगर सुधार न्यास की ओर से आवंटित 63 बीघा जमीन का आवंटन व लीज को रद्द तो कर दिया है, लेकिन परचे का मामला अब भी गरमाया हुआ है।
वस्तुस्थिति ये बताई जा रही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डॉ. गर्ग के शिकायती पत्र पर ध्यान दिया हो अथवा नहीं, मगर परचे को जरूर गंभीरता से लिया। इसकी वजह ये है कि उसमें मुख्यमंत्री गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत का जिक्र है। गहलोत भ्रष्टाचार के मामले में विशेष सतर्कता बररते हैं और कभी नहीं चाहते कि उनके अथवा उनके पारिवारिक सदस्य की वजह से वे किसी भी स्तर पर बदनाम हों, इस कारण उन्होंने आवंटन रद्द करने संबंधी कई कानूनी अड़चनों को नजरअंदाज कर एक झटके में ही कड़ा निर्णय लेते हुए आवंटन रद्द कर दिया। ऐसा करके उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से पाक साबित कर दिया है, लेकिन सुना है कि जैसे ही यह परचा गहलोत विरोधी लॉबी के हाथ आया है, उसने इस पर खेल करना शुरू कर दिया है। वे इस कोशिश में हैं कि मामला हाईकमान तक पहुंच जाए, ताकि गहलोत को डेमेज किया जा सके। हालांकि जिस तरह से परचे के गुमनाम होने और उसमें लिखे गए आरोप निराधार होने के बावजूद अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए गहलोत ने त्वरित कार्यवाही करते हुए अपने आप को बचा लिया है, लेकिन विरोधी फिर भी अपनी मुहिम में लगे हुए हैं।
बताया जाता है कि गहलोत इस प्रकार की हरकत को गंभीरता से ले रहे हैं। इन दिनों वैसे ही जमीन घोटालों को लेकर देशभर में माहौल बना हुआ है और बड़े-बड़ दिग्गज धराशायी हो रहे हैं। गहलोत को तकलीफ इस बात की है कि झगड़ा तो स्थानीय लोगों के बीच में था, जबकि उनके पुत्र को बेवजह घसीटा गया है। अत: उन्होंने विभिन्न सूत्रों से यह पता लगा लिया है कि यह परचा किसने छपवाया और किसने इसे वृहद स्तर पर बंटवाने की व्यवस्था की है। समझा जाता है कि इसमें शामिल लोग कांग्रेस से ही जुड़े हुए हैं और वे कोई न कोई राजनीतिक नियुक्ति पाने की लालसा में हाथ-पैर मार रहे हैं। गहलोत अब उनमें से किसी को भी कोई राजनीतिक लाभ देने वाले नहीं हैं। परचे से जुड़े लोगों को इस बात की तो खुशी है कि उनका असल मकसद कामयाब हो गया, मगर अतिरिक्त उत्साह में गहलोत के पुत्र का नाम भी शामिल करने की गलती का अहसास अब होने लगा है। जैसे ही उन्हें इसकी भनक पड़ी कि गहलोत इस हरकत को गंभीरता से ले रहे हैं, उन्होंने एक-दूसरे का नाम उस परचे से जोडऩे का षड्यंत्र शुरू कर दिया है। इसका परिणाम ये होना है कि काम भले ही किसी एक ने किया हो, मगर एक साथ कई लोग निपट जाएंगे।

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