गुरुवार, 20 जनवरी 2011

पोखरणा भी टॉप के दावेदारों में शामिल

अजमेर नगर सुधार न्यास के सदर पद के लिए चल रही दौड़ में अब तक तो नरेन शहाणी भगत, दीपक हासानी, डॉ. श्रीगोपाल बाहेती व महेन्द्र सिंह रलावता के नाम ही प्रमुख रूप से उभर कर आए थे, मगर अब एक ऐसे दावेदार का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है, जिसकी अब तक कोई चर्चा ही नहीं हुई है। कदाचित राजनीति में भी यह नाम नया ही है।
महाशय का नाम है मुकेश पोखरणा, और वे वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्ञानचंद पोखरणा के पुत्र हैं। अन्य दावेदार चूंकि जाने-पहचाने हैं, इस कारण उनकी गतिविधियों पर प्रेस की नजर है और कौन कहां गया, किससे मिला, किससे पैरवी करवा रहा है, किस पर किसका हाथ है आदि सब कुछ पता लग रहा है, मगर पोखरणा गुपचुप तरीके से ही कवायद कर रहे हैं। जैसा कि सुनाई दिया है, इस पद से पार्टी की ठीक से सेवा करने वाले को ही नवाजा जाएगा, उस पहलु पर भी वे खरे उतरते हैं। उनका फाइनेंस का ही काम है, इस कारण साधन संपन्न हैं। केवल संपन्नता ही नहीं है, अपितु समर्पण भाव भी है। इसके अतिरिक्त एक और फैक्टर में भी वे फिट बैठ रहे हैं। जैसा कि अनुमान है, सरकार सिंधी या वणिक वर्ग में से किसी पर हाथ रखने वाली है, वे वणिक वर्ग से हैं। यूं भी सरकार के पास वणिक वर्ग से मुख्य रूप से केवल पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती का नाम है। उनके बारे में यह साफ है कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहली पसंद हैं, मगर एक किंतु यह जुड़ा हुआ है कि क्या वे पिछले विधानसभा चुनाव में हार चुके प्रत्याशी को राजनीतिक नियुक्ति देने की रिस्क उठाएंगे? वणिक वर्ग से यूं डॉ. सुरेश गर्ग ने भी गुपचुप खूब पापड़ बेल रखे हैं, मगर वे लो प्रोफाइल में चल रहे हैं, इस कारण उनकी गिनती टॉप के दोवदारों में की नहीं जा रही। शायद उनकी जिद केवल इसी पद की नहीं है, वे कोई और पद भी मिल गया तो राजी हो जाएंगे। ऐसे में भगत व रलावता के नाम ही मेरिट पर माने जा रहे हैं। रहा सवाल हासानी का तो वे चूंकि मुख्यमंत्री गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के दोस्त हैं और उन्होंने एडी-चोटी का जोर लगा रखा है, इस कारण वे भी मेरिट पर आ गए। संपन्नता के मामले में तीनों अव्वल हैं। मूल रूप से डॉ. बाहेती सहित इन्हीं तीनों के बीच प्रतिस्पद्र्धा है। केवल प्रतिस्पद्र्धा ही नहीं, बल्कि पूरी टांग खिंचाई है। बाकायदा एक-दूसरे के खिलाफ पुलिंदे के पुलिंदे भेजे जा रहे हैं। गढ़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं। जिसके हाथ जो मामला लग रहा है, वह तुरंत ऊपर भिजवा रहा है। इस राजनीतिक घमासान के बीच पोखरणा चुपचाप अपने काम पर लगे हुए हैं। उन्होंने इसमें भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई कि उनका नाम अखबारों में दावेदारों के रूप में आए। इसी कारण मीडिया से दूरी भी बना रखी है। जानते हैं कि जैसे ही नाम आया तो उनकी भी कारसेवा हो जाएगी। बताते हैं कि उन्होंने सरकार में दूसरे नंबर पर विराजमान शांति धारीवाल के जरिए पूरी ताकत लगा रखी है। उन्होंने राजगढ़ वाले चंपालाल जी महाराज से आशीर्वाद हासिल करने के बाद तो अपनी नियुक्ति पक्की ही मान रखी है। मगर पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है। इस नए नाम के सामने आने पर भले ही किसी को यकायक विश्वास न हो, मगर यदि उनकी नियुक्ति हो जाए तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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