गुरुवार, 8 सितंबर 2011

लो शशांक कोरानी भी आ गए दावेदारों में

लम्बे समय से राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे कांग्रेसियों का हौसला भी लाजवाब है। वे अब भी इसी उम्मीद में हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपना जादूई पिटारा आखिरकार खोलेंगे ही। अजमेर में सर्वाधिक उत्सुकता और इंतजार नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष पद को लेकर है। हाल ही महेन्द्र सिंह रलावता के शहर कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद न्यास अध्यक्ष के प्रथम पंक्ति के दावेदारों में से एक की कमी हो गई है। दूसरे प्रबल दावेदार नरेन शहानी भगत अपने आपको अब कुर्सी के बेहद निकट महसूस कर रहे हैं। यदि किसी सिंधी को अध्यक्ष बनाने का नीतिगत फैसला होता है तो वे पहले नंबर पर हैं। अन्य जितने भी सिंधी अपने आपको दावेदार मान भी रहे हैं तो वे कम से कम दूसरे, तीसरे या चौथे नंबर पर तो नहीं हैं। मगर इसी बीच सुना है कि एक नया नाम उभर आया है। कदाचित भगत के राजनीतिक समीकरणों में कोई कमी है, इसी का फायदा उठा कर पूर्व सूचना आयुक्त एम. डी. कोरानी के पुत्र शशांक कोरानी दावेदारी में उनके काफी करीब आ गए हैं। बताया जाता है कि ऑफर तो खुद एम. डी. कोरानी को की गई थी, लेकिन वे जितने बड़े पद से रिटायर हुए हैं, उनके लिए यह पद स्वीकारना करना शोभाजनक नहीं है। ऐसे में उनके पुत्र शशांक पर विचार किया जा रहा है। समझा जाता है कि ऐसा करके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक ओर तो सिंधियों को खुश करने की सोच रहे हैं, साथ ही अपनी पसंद को भी बरकरार रखना चाहते हैं।
वैश्य वर्ग भी चुप नहीं बैठा है
ऐसा नहीं है कि बात यहीं पर समाप्त होने वाली है। वैश्य वर्ग भी इस पद के लिए पूरी ताकत लगाए बैठा है। उसका तर्क ये है कि जब शहर की विधानसभा की एक सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है और दूसरी अघोषित रूप से सिंधियों के लिए तो कम से कम न्यास का अध्यक्ष पद तो वैश्य वर्ग को मिलना चाहिए। इसके लिए एक शर्त ये भी रखी जा रही है कि यदि कांग्रेस नाराज सिंधियों को ही खुश करना चाहती है तो भले ही यह पद किसी सिंधी को दे दिया जाए, मगर आगामी विधानसभा चुनाव में एक विधानसभा सीट वैश्य वर्ग के लिए रखी जाए। ऐसा करना कांग्रेस के लिए इसलिए संभव नहीं है क्योंकि यह प्रयोग करके कांग्रेस एक सीट गंवा चुकी है। अर्थात आगामी चुनाव में कांग्रेस यह प्रयोग दोहराने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगी। ऐसे में बेहतर यही है कि न्यास अध्यक्ष की सीट वैश्य वर्ग को दे दी जाए। वैश्य वर्ग में यूं तो पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती प्रबल दावेदार हैं, वरिष्ठ कांग्रेसी प्रकाश गदिया और डॉ. सुरेश गर्ग भी पूरी ताकत लगाए हुए हैं, लेकिन मुकेश पोखरणा भी अंदर ही अंदर पूरे समीकरण बैठा चुके हैं। देखते हैं क्या होता है?

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