बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

गहलोत जी, क्या जरा इधर भी ध्यान देंगे?


सम्माननीय अशोक गहलोत जी,
मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार
कुछ समारोहों के सिलसिले में आप अजमेर आ रहे हैं। ऐसे में अजमेरनामा की ओर से चंद प्रमुख बिंदुओं पर आपका ध्यान आकर्षित किया जा रहा है:-
तीर्थराज पुष्कर व दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज और किशनगढ़ की मार्बलमंडी के कारण यूं तो अजमेर जिला अन्तरराष्टï्रीय मानचित्र पर उपस्थित है, मगर आज भी प्रदेश के अन्य बड़े जिलों की तुलना में इसका उतना विकास नहीं हो पाया है, जितना की वक्त की रफ्तार के साथ होना चाहिए था। अकेले पानी की कमी को छोड़ कर किसी भी नजरिये से अजमेर का गौरव कम नहीं रहा है। चाहे स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने का मुद्दा हो या यहां की सांस्कृतिक विरासत की पृष्ठभूमि, हर क्षेत्र में अजमेर का अपना विशिष्ट स्थान रहा है। इसे फिर पुरानी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए जरूरत है तो केवल इच्छाशक्ति की। दुर्भाग्य से आजादी के बाद राजस्थान राज्य में विलय के बाद कमजोर राजनीतिक नेतृत्व के कारण यह लगातार पिछड़ता गया। पेश हैं, कुछ प्रमुख बिंदु, जो अजमेर के लिए बेहद जरूरी हैं:-

दरगाह विकास योजना का क्या हुआ?
केन्द्र सरकार की पहल पर कुछ समय पूर्व अजमेर में आयोजित होने जा रहे 800 वें उर्स के मद्देनजर, 300 करोड़ रुपये की एक महत्वाकांक्षी परियोजना बनाई गई थी। प्रस्तावित परियोजना में समूचे शहर के विकास के लिये अनेक उपयोगी एवं महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। इस विशेष योजना के लिए हुई अनेक बैठकों के बाद भी फूटी कौड़ी तक जारी नहीं की गई है। असल में तकरीबन तीस सौ करोड़ रुपए की योजना बीरबल की खिचड़ी की तरह ऐसी पकी है कि उस पर उर्स से पहले अमल न होने की आशंका उत्पन्न हो गई थी। इसी कारण उसे अलग-अलग चरणों में पूरा करने का निर्णय किया गया। पहले चरण में अस्सी करोड़ के काम कराने का तय किया गया और कामों की सूची भी राज्य सरकार को भेज दी गई, मगर अफसोस कि अब तक सरकारी अधिकारी राशि आने का ही इंतजार कर रहे हैं। अब तो इतना कम समय बचा है कि अगर अस्सी करोड़ जारी भी हो गए तो महज लीपापोती हो कर रह जाएगी।

हवाई अड्डा आखिर कब बनेगा?
पर्यटन की दृष्टि से विश्व मानचित्र पर अहम स्थान बना चुके अजमेर शहर के लिये यह विडम्बना की ही बात है कि यहां अभी तक हवाई अड्डा नहीं बन पाया है। किशनगढ़ में स्थान चिन्हित हो जाने के बावजूद चयनित भूमि के कानूनी विवाद में पड़ जाने के कारण यह कार्य फिर से अटक गया है। अजमेर जिले को आपसे उम्मीद है कि आप इस मसले का भी कोई समाधान निकलवाएंगे।

चंबल से पानी लाया जाए
यह सर्वविदित ही है कि अजमेर के विकास में पानी की कमी बड़ी रुकावट शुरू से रही है। हालांकि बीसलपुर योजना से पेयजल की उपलब्धता हुई है, मगर औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए बीसलपुर पर्याप्त नहीं है। एक बार पूर्व उप मंत्री ललित भाटी ने यह तथ्य उजागर किया था कि मध्यप्रदेश से राजस्थान के हिस्से का पानी हमें अभी प्राप्त नहीं हो रहा है और वो 'सरप्लस वाटरÓ बगैर उपयोग के व्यर्थ बह रहा है। उन्होंने सुझाया था कि उस 'सरप्लस वाटरÓ को लेकर अजमेर व अन्य शहरों के लिए पेयजल, कृषि एवं औद्योगिक उपयोग के लिए भैंसरोडगढ़ या अन्य किसी उपयुक्त स्थल से पानी अजमेर तक पहुंचाया जाकर उपलब्ध कराया जा सकता है। चंबल के पानी से कृषि, औद्योगिक एवं पेयजल की जरूरतें पूरी हो सकती हैं। भाटी के प्रयासों से इस दिशा में एक कदम के रूप में सर्वे भी हुआ, मगर उस पर कार्यवाही जरूरत है। इस सिलसिले में पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने भी कई बार पुरजोर मांग की है और हस्ताक्षर अभियान तक चलाया है। अगर इस मांग पर अमल में लाया जाए तो यहां औद्योगिक विकास के रास्ते खुल सकते हैं।

स्पेशल इकॉनोमिक जोन बने
अजमेर जिले की ढ़ेर सारी अन्य विडम्बनाओं में से एक यह भी रही है कि औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा होने के बावजूद यह जिला पिछड़े जिलों को मिलने वाले अनुदान एवं अन्य लाभ नहीं ले पाया है। जिले को औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा घोषित न करने के पीछे यहां रेलवे एवं एच.एम.टी. जैसे कारखानों की मौजूदगी का तर्क दिया जाता रहा, जबकि एच.एम.टी. का अब कोई वजूद नहीं तथा रेलवे का अजमेर को कभी कोई वास्तविक लाभ नहीं मिला। इतना ही नहीं अजमेर जिले में अनेक औद्योगिक क्षेत्र घोषित होने के बावजूद जमीन के महंगे दाम, बिजली कनैक्शन मिलने में असाधारण देरी, अनावश्यक एन.ओ.सी. की लम्बी प्रक्रिया, लोन एवं सब्सीडी के अभाव के कारण कोई उद्यमी उद्योग लगाने का साहस ही नहीं जुटा पाता।
अजमेर में औद्योगिक विकास को नए आयाम देने के लिए स्पेशल इकॉनोमिक जोन (सेज) बनाया जा सकता है। विशेष रूप से इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का स्पेशल इकोनोमिक जोन बनाने पर ध्यान दिया जाए तो उसमें पानी की कमी भी बाधक नहीं होगी। जाहिर तौर पर शैक्षणिक स्तर ऊंचा होने से आई.टी. उद्योगों को प्रतिभावान युवा सहज उपलब्ध होंगे। वर्तमान में इन्फोसिस व विप्रो जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में अजमेर के सैकड़ों युवा कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त आई.टी. क्षेत्र की बड़ी कम्पनियों को अजमेर की ओर आकर्षित करने की कार्य योजना बनाई जा सकती है। इसी प्रकार खनिज आधारित स्पेशल इकोनोमिक जोन भी बनाया जा सकता है। जिले में खनिज पर्याप्त मात्रा में मौजूद है।

पर्यटन विकास की विपुल संभावनाएं
जहां तक पर्यटन के विकास की बात है, यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की भरपूर गुुंजाइश है। धार्मिक पर्यटकों का अजमेर में ठहराव दो-तीन तक हो सके, इसके लिए यहां के ऐतिहासिक स्थलों को आकर्षक बनाए जाने की कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए। इसके लिए अजमेर के इतिहास व स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय योगदान एवं भूमिका पर लाइट एण्ड साउंड शो तैयार किए जा सकते हैं। आनासागर की बारादरी, पृथ्वीराज स्मारक और तीर्थराज पुष्कर में उनका प्रदर्शन हो सकता है। इसी प्रकार ढ़ाई दिन के झोंपड़े से तारागढ़ तथा ब्रह्मïा मंदिर से सावित्री मंदिर पहाड़ी जैसे पर्यटन स्थल पर 'रोप-वेÓ परियोजना भी बनाई जा सकती है। साथ ही पर्यटक बस, पर्यटक टैक्सियां आदि उपलब्ध कराने पर कार्य किया जाना चाहिए। पर्यटक यहां आ कर एक-दो दिन का ठहराव करें, इसके लिए जरूरी है कि सरकार होटल, लॉज, रेस्टोरेन्ट इत्यादि लगाने वाले उद्यमियों को विशेष सुविधाएं व कर राहत प्रदान कर उन्हें आकर्षित व प्रोत्साहित करने की दिशा में कार्ययोजना तैयार करे।

यातायात के मास्टर प्लान की जरूरत
यातायात भी एक बड़ी समस्या है। अब अव्यवस्थित व अनियंत्रित यातायात को दुरुस्त करने के लिए यातायात मास्टर प्लान की जरूरत है। इसके लिए आनासागर चौपाटी से विश्राम स्थली या ग्लिट्ज तक फ्लाई ओवर बनाया जा सकता है, इससे वैशालीनगर रोड, फायसागर रोड पर यातायात का दबाव घटेगा। झील का संपूर्ण सौन्दर्य दिखाई देगा। उर्स मेले व पुष्कर मेले के दौरान बसों के आवागमन में सुविधा होगी और बी.के. कौल नगर, हरिभाऊ उपाध्याय नगर, फायसागर क्षेत्र के निवासियों को शास्त्रीनगर, सिविल लाइन्स, कलेक्टे्रट के लिए सिटी बस, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा मिल सकेगी। ग्रामीण बस सेवा का उपयोग करने वाले यात्रियों के लिए सब-अर्ब स्टेशनों को संचालित किया जाना चाहिए, जिससे अनावश्यक बसों का प्रवेश रुक सके। अन्तर जिला बस सेवाओं के लिए भी सब-अर्ब स्टेशन संचालित किए जाने चाहिए यथा कोटा, झालावाड़, बूंदी, उदयपुर, चित्तौडग़ढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा के लिए परबतपुरा बाईपास पर बस स्टैण्ड संचालित किया जा सकता है। इससे भी यातायात दबाव शहरी क्षेत्र में कम होगा।
उम्मीद है आप अजमेर आएंगे तो इन सुझावों पर जरूर ध्यान देंगे। अजमेर के जनप्रतिनिधियों व संस्थाओं से भी उम्मीद है कि वे आपसे मिल कर इस सुझावों पर अमल का आग्रह करेंगी।

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