रविवार, 12 फ़रवरी 2012

रलावता ने जमाई चुनाव लडऩे के लिए जाजम

शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता ने लंबे अरसे बाद आखिर अपनी कार्यकारिणी घोषित करवा ली। हालांकि मोटे तौर पर यही माना गया है कि यह स्थानीय सांसद व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट की टीम है, मगर हकीकत ये है कि इसमें रलावता की निजी पसंद के लोग ही ज्यादा हैं। ये दीगर बात है खुद रलावता भी पायलट की ही पसंद हैं। इसे इस अर्थ में लिया जा रहा है कि उन्होंने खुद के विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए बिसात बिछाई है।
कार्यकारिणी का पोस्टमार्टम किया जाए तो इसमें शहर कांग्रेस की पुरातन धड़ेबाजी के लिहाज से पूर्व मंत्री ललित भाटी को तरजीह देते हुए प्रमिला कौशिक को उपाध्यक्ष बनाया गया है, जबकि पूर्व अध्यक्ष जसराज जयपाल व पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती गुट को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। इसकी आशंका पहले से ही थी, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव के समय से ही यह गुट पायलट के निशाने पर आ गया था। हालांकि नगर सुधार न्यास अध्यक्ष नरेन शहाणी भगत का कोई निजी गुट नहीं है, लेकिन उनका एक भी आदमी नहीं लिया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि उनसे कोई राय ली ही नहीं गई है। हालत ये है कि उनके सिंधी समाज के मात्र एक ही व्यक्ति राजकुमार तुलसियानी को स्थान मिल पाया है, वो भी मात्र कार्यकारिणी सदस्य के रूप में। तुलसियानी भी भगत के नहीं, बल्कि पायलट की निजी पसंद के हैं। उन्होंने की पायलट के चुनाव के दौरान अजयनगर में एक कोठी में ठहरने की व्यवस्था की थी। बाकी कांग्रेस में वह कोई जाना-पहचाना नाम नहीं है।
कार्यकारिणी पर विहंगम नजर डाली जाए तो साफ नजर आता है कि रलावता ने शतरंज की बिसात कुछ इस प्रकार बिछाई है कि आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट मांगने और टिकट मिलने पर उनका चुनाव लडऩा आसान हो जाए। ज्ञातव्य है कि वे पिछली बार टिकट हासिल कर ही चुके थे, मगर कांग्रेस के वैश्यवाद के चक्कर में पड़ जाने के कारण उनका नाम कट गया था। शहर अध्यक्ष बनने के बाद वे अपने आपको सबसे प्रबल दावेदार मानने लगे हैं। कार्यकारिणी गठन में इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि न्यास सदर बनने के बाद अपनी टिकट पक्की मानने वाले भगत की दावेदारी कमजोर हो जाए। कार्यकारिणी में शायद की कोई ऐसा हो, जो कि अजमेर उत्तर सीट के प्रबलतम दावेदार भगत की पैरवी करे। गर कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें टिकट दे भी दिया तो इस कार्यकारिणी के दम पर तो उन्हें चुनाव लडऩे में पसीने छूट जाएंगे। रलावता ने एक बात का और ध्यान रखा है। वो यह कि वैश्यवाद की मुहिम चलाने वाले अग्रवाल समाज को भी पूरी तरह से दरकिनार किया है। यहां तक कि पायलट की सिफारिश पर पिछली कार्यकारणी में उपाध्यक्ष बनेे डॉ. सुरेश गर्ग का पत्ता साफ कर दिया गया है। डॉ. गर्ग को हटाने के पीछे वजह ये रही होगी कि कहीं वे न्यास सदर की तरह टिकट की भी दावेदारी न करने लग जाएं। अग्रवाल समाज से जय गोयल को लिया गया है, लेकिन वह कोई जाना-पहचाना नाम नहीं है। यहां उल्लेखनीय है कि अजमेर उत्तर सीट पर पिछली बार जंग सिंधी बनाम वैश्य को लेकर हुई थी। वैश्यों में भी अग्रवाल ही ज्यादा मुखर थे। इस नई कार्यकारिणी से दोनों को हाशिये पर रख दिया गया है। ऐसा प्रतीत होता है रलावता पायलट के दिमाग में यह बात बैठाने में कामयाब हो गए हंै सिंधी व अग्रवाल परंपरागत रूप से भाजपा के साथ रहते हैं, अत: उन्हें तरजीह देने से कोई लाभ नहीं होगा।
कार्यकारिणी में एक विशेष बात ये है कि रलावता ने अपने यारों को पूरी तवज्जो दी है। कैलाश झालीवाल, राजनारायण आसोपा, राजेन्द्र नरचल, चंद्रभान शर्मा व विपिन बेसिल उनके रोजाना साथ उठने बैठने वाले लोग हैं। इससे भी अधिक रोचक बात ये है कि उन्होंने अंधा बांटे रेवड़ी, फिर फिर अपने को देय वाली कहावत को भी चरितार्थ कर दिया है। वरिष्ठ नेता प्रताप यादव को उपाध्यक्ष बनाया गया है, जबकि उनकी पत्नी श्रीमती तारा यादव को कार्यकारिणी सदस्य के रूप में फिट किया गया है। इसी प्रकार चंद्रभान शर्मा को शहर जिला सचिव बनाया गया है, जबकि उनकी पत्नी श्रीमती मंजू शर्मा को कोषाध्यक्ष पद से नवाजा गया है।
बहरहाल, देखना ये है कि नई कार्यकारिणी बनने के बाद क्या डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, जयराज जयपाल, नरेन शहाणी भगत व डॉ. सुरेश गर्ग वाकई चुप बैठ जाते हैं?

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