रविवार, 12 फ़रवरी 2012

सचिन की बादशाहत स्वीकार नहीं

अजमेर के सांसद व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट की कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी से करीबी के कारण दिल्ली में चाहे जितनी धाक हो, मगर खुद उनके ही घर अजमेर में कई नेता ऐसे हैं, जिन्हें पायलट की बादशाहत बर्दाश्त नहीं है। ये वे नेता हैं, जो शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता को अब तक नहीं मचा पाए हैं। यहां तक तो ठीक है, मगर अचरज तब हुआ जब उन्होंने पायलट के पिता जाने-माने किसान नेता भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वर्गीय राजेश पायलट की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम से भी दूरियां बनाये रखी।

स्वर्गीय राजेश पायलट की जयंती पर शुक्रवार को कांग्रेस कार्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम की सूचना सभी कांग्रेसी नेताओं को दी गयी और समाचार पत्रों में भी प्रकाशित करवाई गयी, लेकिन पूर्व विधायक श्रीगोपाल बाहेती, पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष वरिष्ठ एडवोकेट जयराज जयपाल, डॉ. राजकुमार जयपाल, कुलदीप कपूर, फखरे मेाईन, महेश ओझा सहित कई नेताओं ने उसमें शिरकत करने की जरूरत महसूस नहीं की। कई पार्षद भी उपस्थित नहीं हुए। ऐस समझा जाता है कि उन्हें पायलट की बादशाहत पसंद नहीं है, मगर चूंकि शुरू से कांग्रेसी हैं, इस कारण हाशिये पर ही सही, चुपचाप बैठे हैं। एक समय था, जब इन्हीं का डंका बजता था, मगर क्या किया जाए, समय समय का फेर है, इसी का नाम अजमेर हैं। कांग्रेस कार्यालय में चर्चा थी कि स्वर्गीय राजेश पायलट केवल सचिन पायलट के पिता भर नहीं, बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे हैं। अगर अजमेर के प्रमुख नेता और पार्षदों को अपने नेता को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का समय नहीं है, तो ऐसे में कांग्रेस का हश्र क्या होगा।

यही सवाल जब शहर अध्यक्ष महेंन्द्र सिंह रलावता से किया गया तो उन्होंने अपनी राजनीतिक मजबूरी के चलते जो घुमा फिर कर जवाब दिया। हां, इतना जरूर है कि जिन नेताओं की निष्ठा सचिन पायलट से जुड़ी है, उन्होंने इस कार्यक्रम में मौजूद रह कर नंबर बढ़ाने की कोशिश की। कार्यक्रम में रलावता, नगर निगम मेयर कमल बाकोलिया, नगर सुधार न्यास अध्यक्ष नरेन शाहनी भगत, पूर्व उप मंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिव ललित भाटी, प्रमिला कौशिक, हाजी इंसाफ अली, सबा खान, प्रताप यादव आदि शामिल थे

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