मंगलवार, 13 मार्च 2012

डीएसओ से कांग्रेसी भी नाराज, यानि दाल में काला है ही


अजमेर के जिला रसद अधिकारी हरिशंकर गोयल की कार्यप्रणाली से भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल तो नाराज हैं ही, अब कांग्रेसी भी उनसे नाराज हो गए हैं। जाहिर सी बात है कि श्रीमती भदेल विपक्षी दल की हैं, इस कारण उन्होंने मौका लगते ही थोड़ा सा भी लिहाज नहीं रखा होगा, इस कारण उसे कदाचित राजनीतिक विरोध करार दिया जा सकता है, मगर अब यदि कांग्रेसी भी नाराज हैं, तो इसका यही मतलब है कि मामला गंभीर ही है। निश्चित रूप से कांग्रेसियों ने पहले तो खुद की सरकार होने के नाते गम खाया होगा, मगर जब पानी सिर से ऊपर से गुजरने लगा होगा तभी शिकायत की होगी।
यहां उल्लेखनीय है कि गोयल की कार्यप्रणाली को लेकर श्रीमती भदेल ने हाल ही विधानसभा में यहां तक कह दिया था कि अजमेर में खाद्य मंत्री की नहीं बल्कि गोयल की चलती है। स्पष्ट रूप से उनका कहना था कि कि वे मनमानी पर उतारू हैं। ये मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ है कि रसद विभाग की जिला स्तरीय सलाहकार समिति के सदस्य प्रमुख कांग्रेसी नेता महेश ओझा व शैलेन्द्र अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि गोयल समिति की उपेक्षा कर रहे हैं। जिला कलेक्टर श्रीमती मंजू राजपाल को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि गोयल उनके पत्रों का जवाब नहीं देकर उनकी उपेक्षा कर रहे हैं। नियमानुसार समिति की बैठक प्रति माह होनी चाहिए, लेकिन 5-6 माह बाद 1 फरवरी 2012 को बैठक आयोजित की गई, लेकिन अभी तक बैठक के कार्यवाही विवरण नहीं दिए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि डीएसओ सरकार की योजना को विफल करने में लगे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को शिकायत भेज कर उनके खिलाफ कार्यवाही करने व स्थानांतरण करने की मांग की है। सब जानते हैं कि ओझा व अग्रवाल चलते रस्ते पंगा मोल लेने वाले नेता नहीं हैं। मामला गंभीर होने पर ही उन्होंने अपनी सरकार की छत्रछाया में काम कर रहे डीएसओ की शिकायत की है। संभव है गोयल ने उनका कोई निजी काम नहीं किया हो, मगर असल सवाल ये है कि अगर वे सलाहकार समिति की उपेक्षा कर रहे हैं तो सरकार की ओर से गठित ऐसी समिति के मायने ही नहीं रह जाते। गोयल की शिकायत राज्यसभा सदस्य प्रभा ठाकुर ने भी मुख्यमंत्री से कर रखी है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि राशन की दुकानों के आवंटन की प्रणाली में धांधली बाबत अनेक शिकायतें सामने आई हैं। राशन वितरण संबंधी अनियमितताओं के कारण अजमेर की जनता परेशान है। जिले में गैस एजेंसियों की मनमानी व रसाई गैस की सरेआम कालाबाजारी के कारण उपभोक्ताओं को समय पर रसोई गैस नहीं मिलने की शिकायतें लगातार आ रही हैं। अनुरोध है कि जिला रसद अधिकारी का तत्काल स्थानांतरण किया जाए और उन्हें जनहित संबंधी जिम्मेदारी नहीं दी जाए।
वैसे एक बात है। गोयल लगातार अवैध कार्यों के खिलाफ अभियान चलाए हुए हैं। विशेष रूप से शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में तो उन्होंने जम कर धूम मचा रखी है। भ्रष्ट व्यापारियों में उनका जबरदस्त खौफ है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि गोयल बेहद ईमानदार और कड़क अफसर हैं। संभव है उसी के दौरान कोई ऐसा विवाद हुआ हो, जिसको लेकर कांग्रेसी नाराज हो गए हों। इसके विपरीत चर्चा ये भी है कि गोयल जितनी सख्ती दिखा रहे हैं, उसमें पर्दे के पीछे की बात और है। यानि की हाथी के दांत दिखाने के और व खाने के और हैं। पिछली दीपावली पर मिलावटी मावे को लेकर जब दबा कर छापे पड़े और मिठाई वाले बिक्री घटने से परेशान हो गए तो काफी जद्दोजहद के बाद समझौता हो गया था। यह एक कड़वा सच भी है कि व्यापारी ले दे कर मामला सुलटाने में विश्वास रखते हैं। पंगा नहीं लेते। चोरी या मिलावट भले ही करते हों मगर आमतौर पर व्यापारी हैं निरीह प्राणी, इस कारण गोयल के खिलाफ बोल नहीं पाते। पानी में रह कर भला मगरमच्छ से बैर कैसे लिया जा सकता है। मगर अब जब कि कांग्रेसियों ने भी गोयल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है तो उम्मीद की जा सकती है कि बात दूर तक जाएगी। वैसे जानकारी ये है कि गोयल के तार ऊपर तक जुड़े हुए हैं। खासकर के खाद्य मंत्री बाबूलाल नागर की उन पर विशेष कृपा रही। इस कारण वे कुछ ज्यादा की शेर हो गए। तभी तो कांग्रेसियों को नहीं गांठ रहे। कांग्रेस सांसद प्रभा ठाकुर तक की शिकायत का कोई असर नहीं हुआ।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
-tejwanig@gmail.com

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