मंगलवार, 13 मार्च 2012

कलैक्टर ने कैसे घोषित कर दिया अजमेर का स्थापना दिवस?



आखिरकार जिला कलैक्टर श्रीमती मंजू राजपाल ने अजमेर का स्थापना दिवस घोषित कर दिया। जिला पर्यटन विकास समिति की बैठक में उन्होंने अजमेर का स्थापना दिवस समारोह नव संवत्सर की प्रतिपदा यानि 23 मार्च को सादगी पूर्वक मनाने के निर्देश दिये हैं।
जिला कलेक्टर की इस घोषणा से शहर के बुद्धिजीवियों में चर्चा है कि आखिर उन्होंने किस आधार पर यह मान लिया कि अजमेर की स्थापना नव संवत्सर की प्रतिपदा को हुई थी। असल बात तो ये है कि उन्होंने स्थापना दिवस की घोषणा नहीं ही है, अपितु यह मानते हुए कि स्थापना दिवस के बारे में आम जनता को पहले से जानकारी है और उन्होंने तो महज उसे मनाने के बारे में निर्देश दिए हैं। सवाल ये उठता है कि उन्होंने बिना पूरी तहकीकात किए यह घोषणा कर कैसे दी, जबकि अब तक एक भी स्थापित इतिहासकार ने इस बारे में स्पष्ट कुछ नहीं कहा है। यहां तक कि अजमेर के इतिहास के बारे में कर्नल टाड की सर्वाधिक मान्य और हरविलास शारदा की सर्वाधिक विश्वसनीय पुस्तक में भी इसका कोई उल्लेख नहीं है। मौजूदा इतिहासकार शिव शर्मा का भी यही मानना रहा है कि स्थापना दिवस के बारे में कहीं कुछ भी अंकित नहीं है। उन्होंने अपनी पुस्तक में अजमेर की ऐतिहासिक तिथियां दी हैं, जिसमें लिखा है कि 640 ई. में अजयराज चौहान (प्रथम) ने अजयमेरू पर सैनिक चौकी स्थापित की एवं दुर्ग का निर्माण शुरू कराया, मगर स्थापना दिवस के बारे में कुछ नहीं कहा है। इसी प्रकार अजमेर के भूत, वर्तमान व भविष्य पर लिखित पुस्तक अजमेर एट ए ग्लांस में भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। यहां तक कि सांस्कृतिक गतिविधियों में सर्वाधिक सक्रिय भाजपा नेता सोमरत्न आर्य, बुद्धिजीवी राजनीतिकों में अग्रणी पूर्व मंत्री ललित भाटी भी अरसे से स्थापना दिवस के बारे में जानकारी तलाश रहे थे। आर्य जब नगर निगम के उप महापौर थे, तब भी इसी कोशिश में थे कि स्थापना दिवस का पता लग जाए तो इसे मनाने की शुरुआत की जा सके। भाटी की भी यही मंशा रही। राजनीतिक क्षेत्र में स्थापित सरस्वती पुत्र पूर्व राज्यसभा सदस्य औंकार सिंह लखावत ने तो बेशक नगर सुधार न्यास के अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में सम्राट पृथ्वीराज चौहान स्मारक बनवाते समय स्थापना दिवस खोजने की कोशिश की होगी। लखावत जी को पता लग जाता तो वे चूकने वाले भी नहीं थे। इनमें से कोई भी आधिकारिक रूप से यह कहने की स्थिति नहीं रहा कि यह स्थापना दिवस है।
ऐसा प्रतीत होता है कि जिला कलेक्टर ने मात्र पर्यटन विकास समिति के मनोनीत सदस्य महेन्द्र विक्रम सिंह के आग्रह पर इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज (इंटेक) के अजमेर चैप्टर के स्थापना दिवस मनाने के उस आग्रह को मान लिया है, जिसने कहा था कि अजमेर का स्थापना दिवस चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन 1112 को अजयराज चौहान ने की थी। संस्था ने बताया कि स्थापना दिवस इस साल आगामी 23 मार्च को है और प्रशासन से आग्रह किया कि इस अवसर को उत्सव के रूप में मनाया जाए। अर्थात अकेले महेन्द्र सिंह विक्रम सिंह ने ही अजमेर की स्थापना का दिवस तय कर दिया है और उस पर जिला कलैक्टर ने ठप्पा लगा दिया।
सवाल ये उठता है कि क्या जिला कलैक्टर ने संस्था और सिंह के प्रस्ताव पर इतिहासकारों की राय ली है? यदि नहीं तो उन्होंने अकेले यह तय कैसे कर दिया? क्या ऐतिहासिक तिथी के बारे में महज एक संस्था के प्रस्ताव को इस प्रकार मान लेना जायज है? संस्था के प्रस्ताव आने के बाद संबंधित पक्षों के विचार आमंत्रित क्यों नहीं किए गए, ताकि सर्वसम्मति से फैसला किया जाता? बहरहाल, अब जबकि सरकारी तौर पर अजमेर का स्थापना दिवस घोषित कर दिया गया है, यह इतिहासकारों की जिम्मेदारी है कि वे इस बारे में अपनी राय जाहिर करें।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
-tejwanig@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें