मंगलवार, 29 मई 2012

हम रोजाना मुद्रा का अपमान करते हैं, उसका क्या?

ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में शिरकत करने आए पाकिस्तानी जायरीन द्वारा स्थानीय सेन्ट्रल गल्र्स स्कूल में कव्वाली के कार्यक्रम के दौरान भारतीय मुद्रा को पैरों तले दबाकर अपमानित करने की घटना वाकई संगीन है। भाजपा की स्थानीय इकाई ने तो इसकी तगड़ी मजम्मत की है। असल में यह मामला इतना गंभीर है कि इसके लिए न केवल पाक जायरीन को माफी मांगनी चाहिए, अपितु वहां मौजूद अधिकारियों से भी जवाब-तलब किया जाना चाहिए कि वे वहां नौकरी को अंजाम दे रहे थे या कव्वालियों में मशगूल हो कर भारतीय मुद्रा का अपमान होते देख कर उसे नजरअंदाज कर रहे थे?
यह मुद्दा उठाने का श्रेय बेशक राजस्थान पत्रिका को जाता है, जिसके फोटोग्राफर ने पैनी नजर रखते हुए मौके की फोटो खींच ली। भाजपा का उस पर प्रतिक्रिया करना भी जायज है, मगर इस मामले में कांग्रेस की चुप्पी अफसोसनाक है। क्या पाक जायरीन द्वारा भारतीय मुद्रा का अपमान करने पर केवल भाजपा की ही बोलने की जिम्मेदारी है, कांग्रेस की नहीं? ये तो कोई सत्ता या विपक्षा का मसला नहीं है कि कांग्रेस चुप बैठी रहे। पाक जायरीन ने अपमान किया है तो उससे कांग्रेसियों को भी तकलीफ होनी चाहिए। इस वाकये की निंदा करना कोई अपनी सरकार के खिलाफ बोलना तो नहीं है। गलती वहां मौजूद अफसरान की है, उनकी खिंचाई होनी ही चाहिए। वे किसी पार्टी के तो है नहीं, जो उनके बारे में न बोला जाए। कांग्रेस की इस चुप्पी से तो लगता है कि देशभक्ति की जिम्मेदारी केवल भाजपा के पास ही रह गई है।
बहरहाल, यह मुद्दा वाकई संगीन है, मगर बात चली है तो हमें इस पर गौर करना चाहिए कि हम भी तो आए दिन भारतीय मुद्रा का अपमान करते रहते हैं। कव्वालियों व मुशायरों में हमारे यहां कव्वाल व शायद पर नोट उछालने की हमारे यहां परंपरा रही है। तब भी नोट हवा में उड़ कर पैरों के तले आ जाते हैं, कोई हवा से सीधे तिजोरी में तो नहीं चले जाते। अव्वल तो इस प्रकार भारतीय मुद्रा को उछालना भी अपने आप में उसका अपमान है। अलबत्ता दरगाह शरीफ के महफिलखाने में जरूर नोट की शक्ल में जो नजराना दिया जाता है, वह बड़े ही अदब के साथ दीवान तक पेश होता है।
इसी प्रकार हमारे यहां किसी बुजुर्ग की शवयात्रा के दौरान सिक्के उछालने की भी परंपरा है। उसमें भी सिक्के पैरों तले रोंदे जाते हैं, मगर हमें कत्तई भान नहीं होता कि भारतीय मुद्रा का अपमान हो रहा है। इसके अतिरिक्त दूल्हे को नोटों की माला पहनाने का भी चलन है, वह भी एक प्रकार से अपमान की श्रेणी में आता है। एक ओर जहां रिजर्व बैंक के निर्देश हैं कि नोटों पर कुछ नहीं लिखा जाना चाहिए और उन्हें पिनअप करने की भी मनाही है, मगर हम नोटों को कभी ध्यान नहीं देते। हो ये रहा है कि हमें खुद की अपने देश की मुद्रा के मान-अपमान की चिंता नहीं। इसी मनोवृत्ति का परिणाम है कि जब पाक जायरीन ने नोटों को रोंदा तो अफसरान को कुछ अटपटा नहीं लगा। मगर है ये अफसोसनाक।
आज के वाकये के बहाने से ही सही, पत्रिका की पहल के बहाने से ही सही और भाजपा की जागरूकता के बहाने से ही सही, हमें अपनी मुद्रा के सम्मान की फिक्र करने पर ध्यान देना चाहिए।

-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

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