मंगलवार, 29 मई 2012

अब जगी ब्यावर को जिला बनाने की उम्मीद

प्रदेश में नए जिलों के गठन पर सरकार को सुझाव देने के लिए सेवानिवृत्त हाल ही आईएएस अधिकारी जी एस संधू की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जो कि 30 सितंबर तक सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। ज्ञातव्य है कि नए प्रस्तावित जिलों में ब्यावर का नाम भी है। इसकी मांग बहुत पुरानी है और कांग्रेस व भाजपा, दोनों के ही नेताओं ने चुनाव के दौरान वोट हासिल करने के लिए सरकार बनने पर इसे पूरा करने का आश्वासन दिया, मगर हुआ कुछ नहीं। अब जबकि इसके लिए समिति का गठन हो गया है, एक बार फिर उम्मीद जगी है कि ब्यावर वासियों का सपना साकार हो सकेगा। यहां ज्ञातव्य है कि समिति को जिला बनाने की मांग की पृष्ठभूमि या प्रस्तावना, पुनर्गठन का औचित्य या आवश्यकता, भौगोलिक विवरण, जनसंख्या संबंधी घटक, वर्तमान में उपलब्ध आधारभूत सुविधाएं और संसाधन, प्रशासनिक दृष्टि से जरूरत, प्रस्तावित जिले का प्रशासनिक ढांचा, जनता की मांग, जनप्रतिनिधियों का मत, आम लोगों से आपत्तियां, सुझाव, ज्ञापन और प्रस्ताव लेना, वित्तीय भार और स्थान विशेष की आवश्यकता और विशेषताओं को देखते हुए अन्य तथ्य, मूल जिले व प्रस्तावित जिले में समग्र रूप से संतुलन आदि पर रिपोर्ट बनानी है।
इस रिपोर्ट में मांगी गई जानकारियां ब्यावर निवासी जागरूक नागरिक सेवानिवृत्त बैंक कर्मी श्री वासुदेव मंगल ने बहुत पहले की अपनी वेब साइट www.beawarhistory.com में दे दी थीं। वे इस वक्त बहुत प्रासंगिक हैं।
प्रस्तुत है उनकी रिपोर्ट:-
1. स्थापना से ही ब्यावर - मेरवाड़ा स्टेट रहा 100 वर्ष तक।
2. ब्यावर भारत में अंगे्रजी राज में केन्द्र शासित प्रदेश रहा।
3. स्वतन्त्र भारत का भी केन्द्रशासित प्रदेश रहा।
4. 1952 से 31 अक्टूबर 1956 तक से श्रेणी का भारतवर्ष का अजमेर के साथ मेरवाड़ा नाम से अजमेर मेरवाड़ा स श्रेणी का स्वतन्त्र राज्य रहा।
5. 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान प्रदेश का सबसे बड़ा उपखण्ड बना जिसमें दो पंचायत समिति, 71 ग्राम पंचायतें व 360 राजस्व गांव रहे।
6. स्थापना से ही ऊन, रूई, सर्राफा व्यापार वायदा व हाजिर अनाज की राष्ट्रीय स्तर की मण्डी रही।
7. सूती कपड़े की तीन मिलों के कारण राजपूताना का मेनचेस्टर रहा। साथ ही 15-20 कॉटन जिनिंग व पे्रसिंग फैक्ट्रिज भी थी।
8. राजस्थान के मध्य में स्थित होने के कारण यह यातायात रेल व सड़क मार्ग और दूर संचार का प्रमुख केन्द्र है।
9. भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में ब्यावर के महत्वपूर्ण योगदान के साथ अग्रणी स्थान रहा है।
10. ब्यावर से कांगे्रस का सक्रिय आन्दोलन 1920 से आरम्भ हुआ।
11. ट्रेड यूनियन गतिविधियों का जनक रहा है।
12. सूचना के अधिकार के सफल संचालन का श्रेय ब्यावर को ही प्राप्त है।
13. जग प्रसिद्ध स्वादिष्ट व्यन्जन तिल पपड़ी का शहर।
14. धार्मिक सहिष्णुता का प्रमुख शहर।
15.दो राज्य स्तरीय प्रसिद्ध मेलों का शहर-लोक देवता तेजाजी महाराज व गुलाल का मन भावन बादशाह मेला।
16. आस-पास के क्षेत्र रायपुर, जैतारण, बदनोर सहित लगभग आठ लाख निवासियों का क्षेत्र।
17.बहमूल्य अनेक प्रकार की खनिज सम्पदा वाली क्षेत्र।
18. नैसर्गिक रावली अभ्यारण्य का समीवर्ती शहर कामली घाट व जारम घाट के साथ-साथ।
19.समीपवर्ती 3075 फीट ऊंचाई वाली ऐतिहासिक टाटगढ़ पर्वत की पीक चोटी।
20. समीपवर्ती मांगलियावास के कल्पवृक्ष अजमेर, पुष्कर, जोधपुर, जयपुर, रणकपुर, उदयपुर, चित्तौड़ पर्यटन स्थानों का केन्द्रीय स्थल।
21. शिक्षा और चिकित्सा का प्रमुख केन्द्र।
22. यहा से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 14 आरम्भ होकर काण्डला बन्दरगाह चार सौ किलोमीटर जाता है।
23. ब्यावर में नगर सुधार न्यास की स्थापना 1975 में की गई, जिसे 1978 में हटा दिया गया।
24. ब्यावर में ए.डी.एम. सहायक कलक्टर का पद सन 2002 में सृजित किया गया, परन्तु एक बार नियुक्ति के पश्चात सात साल से यह पद भी रिक्त चला आ रहा है।
25.ब्यावर में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कार्यालय 1 नवम्बर 1956 को स्थापित किया गया था, जिसे बिना कारण के 50 वर्षों बाद सन् 2006 में अचानक हटा दिया गया, जबकि ब्यावर आस-पास के लगभग 400 गांवों का एक्सीडेन्ट जोन है, जहां पर सन 1954 स अ श्रेणी का अमृतकोर चिकित्सालय कार्यरत है।
26.सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय, ब्यावर सन 1932 से राजपूताना का सबसे पुराना कामर्स कालेज है, जहां से विधि स्नातक की पढ़ाई हटा दी गई। अत: ला क्लासेज पुन: लगाई जानी चाहिये।
27. ब्यावर को जिला बनाने पर लगभग पांच पंचायत समिति, छह उपखण्ड, एक सौ पच्चीस ग्राम पंचायतें, पांच सौ से ज्यादा राजस्व गांव आयेंगे, जिससे इस प्रस्तावित जिले के चारों ओर के लगभग आठ लाख क्षेत्रिय निवासी लाभान्वित होंगे।
28.राज्य सरकार व कन्द्रीय सरकार के राजस्व प्राप्ति का भरपूर क्षेत्र। लगभग हजार आठ सौ करोड़ प्रति वर्ष एक्साइज व अन्य राजस्व।
29. उप-निदेशक जिला कृषि कार्यालय
30. रोजगार कार्यालय
31. उद्योग कार्यालय
32. सहायक जनसम्पर्क कार्यालय
33. जिला उपकारागृह
34.जिला कोष कार्यालय
35. चुनाव कार्यालय
36.प्रावधिक बीमा पेंशन कार्यालय
37. श्रम विभाग कार्यालय
38. क्षय निवारण केन्द्र
39. नर्सेज प्रशिक्षण केन्द्र
40. अ श्रेणी अमृतकौर हॉस्पिटल एवं चालिस निजी क्लिनिक
41. अ श्रेणी चांदमल मोदी आयुवेर्दिक औषधालय एवं छोटे बड़े दस ओषधालय
42. स्नात्तकोत्तर सं. ध. राजकीय महाविद्यालय
43. संस्कृत महाविद्यालय
44. स्नातक एस एम एस शैषणिक प्रशिक्षण महाविद्यालय
45. वर्धमान महिला महाविद्यालय
46. डी ए वी बालिका महाविद्यालय एवं लगभग एक सौ पचास छोटी-बड़ी स्कूलें सरकारी एवं निजी
47. केन्द्रीय विद्यालय एवं आई. टी. आई. कॉलेज
48. डाक अधीक्षक कार्यालय
49.अतिरिक्त पुलिस उप अधीक्षक कार्यालय
50. अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय
51. उपखण्ड अधिकारी कार्यालय
52. दिल्ली-अहमदाबाद ब्रोडगेज केन्द्रीय रेलवे स्टेशन
53. रोडवेज बस स्टैंड एवं कार्यशाला
54. कृषि उपज मंडी कार्यालय एवं सब्जी-मण्डी प्रांगण
55. नारकोटिक्स जिला आबकारी कार्यालय
56. केंद्रीय एक्साइज कार्यालय
57. वाणिज्य कर कार्यालय
58. आर. एफ. सी. कार्यालय
59. सैनिक विश्राम गृह
60. पशु अस्पताल
61. तोल, माप बाट कार्यालय
62. आठ न्यायालय
63. रीको के छ सेक्टर, लगभग तीन सौ छोटे-बड़े उद्योग एवं सीमेण्ट के तीन बड़े कारखाने
64. पी. एच. ई. डी. कार्यालय
65. विद्युत विभाग कार्यालय
66. रजिस्ट्रार कार्यालय
67. तहसील कार्यालय
68. जीवन बीमा निगम कार्यालय
69. जनरल इन्श्योरेन्स के चार कार्यालय
70. डाक तार विभाग
71. लगभग बीस सरकारी व निजी बैंक एवं लगभग तीन-चार हजार दुकानें, लगभग तीस कॉम्पलेक्स
72. मोबाइल फोन के 6 कम्पनी कार्यालय
73. सार्वजनिक निर्माण विभाग कार्यालय
74. सिचांई विभाग कार्यालय
75. ई. एस. आई. डिस्पेन्सरी
76. आस पास के क्षेत्रों के लगभग 400 गांवों की मंडी ब्यावर ही लगती है, जहां ग्रामीण अपने उत्पाद को बेचते हैं तथा उपभोग की वस्तुएं खरीदते हैं।
77. पहले सैनिकों की भर्ती का केन्द्र ब्यावर था, जिसको कि अजमेर कर दिया, फिर बाद में जयपुर कर दिया। पुन: ब्यावर किया जाये, क्योंकि मगरा सैनिकों की जन्मस्थली है।
78. ब्यावर मगरा मेरवाड़ा स्टेट को कोस्मोपोलिटिन-कल्चर सप्तरंगी इन्द्रधनुशी पुराने मिश्रित संस्कृति के लिये दुनिया भर में पहचाना जाता है, जहां पर चैईस मिश्रित किलो, नो दर्रों, बारह कोस की गोलाकार घाटी की सांस्कृतिक धरोहर आज भी विद्यमान है।
79. पुराना ब्यावर शहर परकोटे तक ही सीमित था। जब यह मेरवाड़ा स्टेट का मुख्यालय होता था, लेकिन आज का ब्यावर शहर चवदा किलोमीटर परिधि मे लगभग 150-200 कोलोनियो के साथ लगभग दो लाख से ऊपर जनसंख्या के साथ और इसके चारों ओर आसपास के 300-400 गांवों की मण्डी है तथा इस क्षेत्र की आबादी लगभग 7-8 लाख है।
80. ब्यावर क्षेत्र चूंकि अंग्रेजीकाल में मेरवाड़ा स्टेट हुआ करता था। स्वतन्त्रता के बाद यह क्षेत्र विशाल भू-सम्पदा का क्षेत्र है, जहां आज भी जमीनी व्यवस्था के लिये कोई सरकारी संस्थान कार्यरत नहीं है, जैसे नगर सुधार न्यास। अंग्रेज तो यहां से चले गए लेकिन गण और तन्त्र की बन्दरवाट से तन्त्र का कोई भी मुलाजिम यहां पर आने के बाद जाने की इच्छा नहीं करता और यहीं पर बस कर सदा के लिये यहीं का हो जाता है। अत: जमीन के लिये जो सरकारी होनी चाहिये, कोई व्यवस्था नहीं है। खनिज सम्पदा, वनसम्पदा व भू-सम्पदा तीनों सम्पदाओं की, मिलीभगती से पिछले पचपन सालों से, बन्दरवाट हो रही है और प्रजा जो जनतंत्र में राजा होती है, वह तो तत्काल से निरन्तर शेषित हो रही है और तन्त्र जो सेवक होना चाहिये, वह जनता का शोषण कर रहा है। अत: इसे तुरन्त प्रभाव से जिला घोषित किया जाना अति आवश्यक है। यहां पर न खनिज कार्यालय है, न वन कार्यालय है और न ही भू-सम्पदा निस्तारण कार्यालय है। अंगे्रजी काल में यही ब्यावर मेरवाडा स्टेट भारत वर्ष में सब क्षेत्रों में पहीले नम्बर का विकसित क्षेत्र था, जिसकी स्वतन्त्रता के बाद क्या दुर्दशा हुई, यह तो आने वाली पीढियों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा। अत: समय की पुकार और तार्किक तथ्यों को मद्देनजर इसे जिला घोषित किया जाना चाहिये।
श्री वासुदेव मंगल का संपर्क सूत्र इस प्रकार है:-गीता कुंज, रामगढिय़ा शेखावाटी-नोहरा, गोपालजी मोहल्ला, ब्यावर, फोन: 01462-252597 मोबाइल: 9772222882, ई-मेल:vasudevmangal@geetavision.com, बेव साइट: www.beawarhistory.com
श्री मंगल ने जब यह रिपोर्ट बनाई, उसमें संभव है अब कुछ परिवर्तन हो गया हो, मगर स्थानीय राजनेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए यह एक सशक्त मार्गदर्शिका के रूप में काम में आ सकती है। उन्हें इसे आधार बना कर सरकार पर दबाव बनाना होगा, तभी सफलता हाथ लगेगी।

-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

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