मंगलवार, 29 मई 2012

रासासिंह जी, ये अजमेर बंद तो ठीक नहीं लगता

पेट्रोल के दाम में भारी बढ़ोत्तरी के विरोध में भाजपा नीत एनडीए के राष्ट्रव्यापी आह्वान के तहत अजमेर शहर जिला भाजपा ने भी 31 मई को अजमेर बंद कराने का ऐलान किया है, मगर शहर में चर्चा है कि उर्स के मद्देनजर इस बंद को कामयाब करना आसान काम नहीं होगा और यह जायरीन व व्यापारियों के लिए बेहद तकलीफदेह होगा।
असल में बंद वाले दिन ही दरगाह में बड़े कुल की रस्म है, जिसमें बड़ी तादाद में बाहर से आने वाले जायरीन शिरकत करेंगे। यूं तो अधिसंख्य जायरीन छोटे कुल की रस्म के बाद यहां से लौट चुके हैं, मगर अब भी उर्स मेला क्षेत्र में खासी तादाद में जायरीन मौजूद हैं। विशेष रूप से बड़े कुल के दिन भी काफी जायरीन यहां होंगे। यहां तक कि आगामी एक सप्ताह में जायरीन की चहल-पहल बरकरार रहेगी। जाहिर सी बात है कि यदि बंद करवाया जाता है तो जायरीन को तो परेशानी होगी ही, उससे भी ज्यादा दरगाह बाजार, नलाबाजार, देहली गेट बाहर, मदार गेट, पड़ाव व कवंडसपुरा के दुकानदारों इस कारण मलाल रहेगा कि मेले के दौरान उनकी एक दिन की कमाई मारी जाएगी। उसे वे शायद ही बर्दाश्त करें। वस्तुत: इन इलाकों की होटल वाले व दुकानदार उर्स मेले के दौरान ही अच्छी खासी कमाई करते हैं, फिर भले ही पूरा साल मंदी रहे। सबसे ज्यादा मार पड़ेगी उन दुकानदारों पर, जिन्होंने भारी किराया एडवांस में देकर अस्थाई दुकानें खोल रखी हैं। वे भी विरोध कर सकते हैं। बंद होने पर आटो रिक्शा वाले भी कसमासाएंगे, क्योंकि विश्राम स्थलियों से दरगाह तक जायरीन को लाने ले जाने में उनको अच्छी खासी कमाई होती है। उनकी भी एक दिन की कमाई मारी जाएगी, जायरीन परेशान होगा, सो अलग। सवाल ये भी है कि बंद के दौरान विश्राम स्थलियों में ठहरे जायरीन का क्या होगा? उन्हें खाने-पीने की वस्तुएं कहां से मिलेंगी? एक विचार ये भी उभरा है कि उर्स मेला क्षेत्र को बंद से मुक्त रखा जाए, मगर एक तो यह व्यावहारिक नहीं है और ऐसे में बंद की सफलता के कोई मायने ही नहीं रह जाएंगे।
जहां तक प्रशासन का सवाल है, उसके लिए बंद के दौरान कानून व्यवस्था को बनाए रखना बड़ा ही चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। अजमेर पहले से ही संवेदनशील शहर की श्रेणी में आता है, उर्स में विशेष रूप से, और अगर किसी बंद समर्थक ने किसी जायरीन के साथ बदसलूकी कर दी व मामला बिगड़ा तो उसे संभलना कितना कठिन होगा? यह स्थिति स्वयं भाजपा के लिए भी सुखद नहीं होगी। कुल मिला कर कम से कम अजमेर में बंद का आह्वान न तो शहर के हित में है और न ही व्यावहारिक। बेहतर तो यह होता कि भाजपा की स्थानीय इकाई अजमेर के विशेष हालात के मद्देनजर यहां बंद न करवाने की अनुमति हाईकमान से लेता। इसके अतिरिक्त उर्स के मद्देनजर जायरीन व व्यापारियों की सुविधा के आधार पर बंद करने के निर्णय पर पुनर्विचार किया जाता है तो जायरीन में भी अच्छा संदेश जाएगा और उर्स मेला क्षेत्र के व्यापारी तबके के दिल में भी भाजपा का सम्मान बढ़ेगा कि वह उनकी परेशानी को समझती है। रहा सवाल भाजपा का विरोध दर्ज करवाने का तो उसका कोई और तरीका भी निकाला जा सकता है। कलेक्ट्रेट पर एक दिन का धरना अथवा मेला क्षेत्र से इतर रैली भी निकाली जा सकती है।
बहरहाल, अब देखना ये है भाजपा हालात के मद्देनजर कुछ रद्दोबदल करती है या फिर शहर बंद करवाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकती है।

-तेजवानी गिरधर
7742067000

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