सोमवार, 25 जून 2012

गालरिया साहब, ऐसी ही सख्ती की दरकार है मातहतों को

नवनियुक्त जिला कलेक्टर वैभव गालरिया ने आते ही अपने मातहत अफसरों पर सख्ती दिखा कर यह संकेत दे दिया है कि वे सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों में किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नही करेंगे। सबसे पहले उन्होंने नंबर लिया राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना के तहत निर्माणाधीन पुष्कर (कपिल कुंड) फीडर निर्माण कार्य का। चूंकि वे इस परियोजना के डायरेक्टर रह चुके हैं, इस कारण उन्हें पहले से जानकारी थी कि यहां संबंधित अफसरशाही पूरी लापरवाही बरत रही है, इस कारण भिड़ते ही उनका नंबर लिया। अजमेर वासियों के लिए यह एक सुखद संकेत है।
सब जानते हैं कि पुष्कर फीडर व खरेखड़ी फीडर का काम कितना महत्वपूर्ण है। यह काम पवित्र पुष्कर सरोवर के वजूद को कायम रखने के लिए हुए अब तक हुए और हो रहे कामों में से एक है। इसके बावजूद सरोवर में यदि कुंड बना कर स्नान की व्यवस्था करनी पड़ रही है, तो इसका मतलब यह है कि जितनी भी योजनाएं बनीं और जितना भी पैसा आया, वह सब पानी में चला गया। कदाचित इसी वजह से आमजन में यह भावना भी घर कर गई है कि सरकार हिंदू तीर्थस्थल के रखरखाव पर तो ध्यान देती नहीं और तुष्टिकरण के तहत दरगाह के विकास और उर्स मेले पर पूरा ध्यान देती है।
ज्ञातव्य है कि गालरिया ने परियोजना की नोडल एजेंसी यूआईटी सचिव पुष्पा सत्यानी, एईएन केदार शर्मा व ठेकेदार के प्रतिनिधियों की जम कर क्लास ली अैर यूआईटी सचिव को ठेकेदार द्वारा फीडर निर्माण की गति तेज नहीं करने पर ठेका निरस्त कर यूआईटी स्तर पर फीडर का काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसी प्रकार खरेखड़ी फीडर से सटी नाग पहाड़ी क्षेत्र में परियोजना के तहत मनमाने तरीके से बनाए गए गैबियन स्ट्रक्चर की दीवारों को तोड़कर पाइप नहीं लगाने पर पंचकुंड नर्सरी के वनपाल को फटकार लगाई तथा डीएफओ को तत्काल प्रभाव से ऐसे गैबियन स्ट्रक्चर को चिह्नित कर पाइप लगाने के निर्देश दिए जहां गैबियन की वजह से पहाड़ी से बहकर आने वाला बरसाती पानी रुक रहा है। साथ ही सरोवर किनारे व फीडरों में से जमा मिट्टी हटाने के निर्देश दिए। दौरे के दौरान श्री ब्रह्मा गायत्री तीर्थ विकास संस्थान के अध्यक्ष राकेश पाराशर, सचिव अरुण पाराशर, एनएलसीपी की जिला निगरानी समिति के सदस्य गोविंद पाराशर, समाजसेवी जगदीश कुर्डिया आदि ने ब्रह्मा मंदिर में चढ़ावे की राशि का दुरुपयोग रोकने, उर्स की तर्ज पर पुष्कर मेले के लिए अतिरिक्त बजट दिलाने, खरेखड़ी में अरावली पहाड़ी में हो रहे अवैध खनन पर प्रतिबंध लगाने, बूढ़ा पुष्कर-बाड़ी घाटी तक बाईपास का निर्माण मेले से पहले कराने सहित अनेक सुझाव दिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि गालरिया तीर्थराज पुष्कर की धार्मिक व ऐतिहासिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए इन मामलों में भी सख्ती बरतेंगे।
सब जानते हैं कि पुष्कर के सरकारी अस्पताल के क्या हाल हैं और उसने कितना नाम कमाया है। गालरिया ने वहां का भी औचक दौरा किया, मगर उसकी मुखबिरी हो जाने के कारण चिकित्सा स्टाफ पूरी तरह से मुस्तैद हो गया। उन्होंने सारी व्यवस्थाएं ऐसी दुरुस्त कर दीं मानों वे सदैव रहती हों। इसी कारण गालरिया को कोई खास कमी नजर नहीं आई। कैसी विडंबना है कि चिकित्साकर्मी मुख्य गेट पर कलेक्टर के स्वागत के लिए हाथों में माला लेकर ऐसे खड़े हो गए, मानों वहां कलेक्टर का अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया हो। अच्छा हुआ कि उन्होंने मालाएं नहीं पहनीं।
यदि यही रवैया उन्होंने रखा तो कोई आश्चर्य नहीं कि बदहाल आनासागर झील संरक्षण, कछुआ छाप सीवरेज सिस्टम, दुर्घटना जोन बना गौरव पथ सहित बिगड़ी यातायात व्यवस्था को अपनी नियती समझ चुके अजमेर वासियों को अहसास हो जाएगा कि अदिति मेहता जैसे और अफसर भी हैं आईएएस जमात में। 

-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

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