रविवार, 16 सितंबर 2012

अजमेर में अभी खूंटा गाढ़ रखा है नितेश आत्रेय ने


वह विज्ञप्ति जो अखबारों को जारी की गई थी
अजमेर शहर जिला भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनने से वंचित नितेश आत्रेय को भले ही बाद में राजी करने के लिए भारतीय जनता युवा मोर्चा के कोटा सम्भाग का प्रभारी बना दिया गया हो, मगर उनकी लॉबी को अजमेर से खत्म नहीं किया जा सका है। आज भी उसका वजूद है। उन्होंने अब भी अजमेर में अपना खूंटा गाढ़ रखा है। और यही वजह है कि डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी को लेकर मोर्चा की अजमेर इकाई कुछ करे न करे, उन्होंने जरूर विरोध में रैली निकाल कर यूपीए सरकार का पुतला फूंका और जता दिया कि वे अजमेर में तो अपना दखल जारी रखेंगे ही। जाहिर सी बात है कि इसमें अधिसंख्य कार्यकर्ता वे ही हैं, जो कि आत्रेय लॉबी के माने जाते हैं। इतना ही इससे भी रोचक बात ये है कि उन्होंने इस विरोध प्रदर्शन की जो विज्ञप्ति अखबारों को भेजी, वह भारतीय जनता युवा मोर्चा शहर जिला अजमेर के लेटर हेड पर भेजी है। उसमें साफ लिखा है कि भारतीय जनता युवा मोर्चा शहर जिला अजमेर का यह प्रदर्शन संभाग प्रभारी नितेश आत्रेय के नेतृत्व में आयोजित किया गया। विज्ञप्ति में नीचे जहां आत्रेय के हस्ताक्षर हैं, वहां संभाग प्रभारी युवा मोर्चा लिखा है, मगर यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वे कोटा के संभाग प्रभारी हैं। विज्ञप्ति से यही आभास होता है कि वे अजमेर के संभाग प्रभारी हैं। इस प्रदर्शन से शहर जिला अध्यक्ष शेखावत तो सिर पीट ही रहे होंगे, उनके आकाओं के दिमाग में भी घंटियां बज रही होंगी। वे समझ रहे थे कि उन्होंने बड़ी आसानी से शेखावत का कांटा निकाल दिया, मगर ये तो उससे भी बड़ा सिरदर्द हो गया।
ज्ञातव्य है कि भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी लॉबी डेमेज करने के लिए उनके विरोधियों ने आत्रेय को शहर जिला भाजपा युवा मोर्चा का अध्यक्ष नहीं बनने दिया गया और उनके स्थान पर देवेन्द्र सिंह शेखावत की नियुक्ति करवा दी। इस पर आत्रेय लॉबी ने जम कर हंगामा मचाया और एक बारगी तो पार्टी अनुशासन को ताक पर रख कर जता दिया था कि पार्टी ने गलत फैसला किया है। हकीकत तो ये है कि काफी समय तक अजमेर समानांतर मोर्चा कायम रहा। पिछले दिनों को आत्रेय का पटा-पटू कर कोटा संभाग प्रभारी बनने को राजी कर लिया गया। कदाचित आत्रये की भी मजबूरी थी कि पार्टी की मुख्य धारा में बने रहें, सो वे मान गए। मगर भाजपा नेताओं को अंदाजा नहीं था कि आत्रेय उसके बाद भी अजमेर में अपना झंडा फहराते रहेंगे। हुआ भी यही, जैसे ही मौका मिला आत्रेय ने अजमेर में अपनी ताकत का झंडा फहरा दिया, वो भी अपने विरोधियों की छाती पर।
-तेजवानी गिरधर

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