अपुन ने तकरीबन एक माह पहले ही संभावना जता दी थी कि जैसे ही कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पार्टी संगठन अथवा सरकार में बड़ी जिम्मेदारी संभालेंगे, उनके करीबी व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट का भी कद बढ़ जाएगा। वह संभावना अब साकार होती नजर आने लगी है। यदि ऐन वक्त पर कोई समीकरण नहीं बदले तो सचिन को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी दी जा सकती है। ज्ञातव्य है कि इन दिनों केन्द्रीय मंत्रीमंडल के साथ कांग्रेस संगठन में फेरबदल की चर्चा जोरों पर है। हालांकि राहुल गांधी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे सरकार में अहम जिम्मेदारी संभालेंगे या संगठन में, मगर आसार यही बताए जा रहे हैं कि वे संगठन का दायित्व उठाने को तैयार हो गए हैं। यदि ऐसा होता है तो वे अपने हिसाब से अपनी टीम के अहम सदस्यों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाएंगे। और यह सर्वविदित है कि सचिन उनके बेहद करीब हैं तो उनका भी कद बढऩा ही है।
यह पहले से समझा जा रहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव या संसद सत्र के समाप्त होने के बाद राहुल महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालेंगे और इसी के साथ संगठन व सरकार में व्यापक परिवर्तन किया जा जाएगा। जहां तक सचिन का सवाल है, उनके लिए चार विकल्प माने जाते हैं। एक पदोन्नत कर केबीनेट मंत्री बनाया जाए। दूसरा केन्द्र में संगठन की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाए। तीसरा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद सौंपा जाए। और चौथा, राजस्थान में उप मुख्यमंत्री पद से नवाजा जाए। यद्यपि ज्यादा संभावना यही है कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का दायित्व दिया जाएगा, मगर फिलहाल पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। समझा जाता है कि सचिन को राजस्थान में अहम जिम्मेदारी देने के साथ ही नाराज गुर्जर समाज को राजी करने की जिम्मेदारी भी दी जाएगी।
यूं कुछ लोग तो उन्हें राजस्थान के भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं। हालांकि उनका मुख्यमंत्री बनना प्री मैच्योर डिलेवरी और बचकानी लगती है, मगर इसे सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता। आपको ख्याल होगा कि पूर्व विधायक व अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के अध्यक्ष गोपीचंद गुर्जर तो मांग तक रख चुके हैं कि पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाए। इसी प्रकार गहलोत मंत्रीमंडल के सदस्य मुरारीलाल मीणा भी कह चुके हैं कि पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष या मुख्यमंत्री, दोनों में किसी एक पद पर आरूढ़ किया जाना चाहिए।
असल में यह तो शुरू से ही दिख रहा था कि जैसे-जैसे कांग्रेस के राजकुमार राहुल गांधी सत्ता का केन्द्र बनेंगे, उनकी टीम के सचिन पायलट की अहमियत भी बढ़ेगी। हालांकि स्वर्गीय राजेश पायलट के पुत्र होने के कारण उनका पाया मजबूत था, लेकिन साथ ही राहुल की पसंद होने के कारण उन्हें केन्द्रीय मंत्रीपरिषद में शामिल कर लिया गया। दिल्ली के पास बुराड़ी गांव में आयोजित कांगे्रस में राष्ट्रीय अधिवेशन में राहुल ब्रिगेड की पर्सनल किचन केबिनेट के सदस्य पायलट को जूनियर होते हुए भी मंच से बोलने का मौका दिया गया। यह इस बात का साफ संकेत था कि आने वाले दिनों में सचिन और उभर कर आएंगे। राजस्थान में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने का अहसास तब भी हुआ था, जब यहां गुर्जर आंदोलन की वजह से संकट में आई सरकार की मदद के लिए उन्हें रातों रात जयपुर भेजा गया।
भले ही सचिन को मुख्यमंत्री बनाने की बता अभी हवाई लगे, मगर इतना तो तय है कि इस पद के लिए उनकी दावेदारी तो कायम हो ही गई है। अभी नहीं तो कुछ समय बाद में। वैसे भी राजनीति में दावा ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। और एक बार बस दावा स्थापित हो जाए तो यूं समझिये कि आधा रास्ता पार हो गया, क्योंकि उसके लिए लोगों की मानसिक तैयारी शुरू हो जाती है। बाकी काम कांग्रेस की कल्चर कर देती है, जिसमें कैडर उतना महत्वपूर्ण नहीं, जितना कि हाईकमान की पसंद।
-तेजवानी गिरधर
यह पहले से समझा जा रहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव या संसद सत्र के समाप्त होने के बाद राहुल महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालेंगे और इसी के साथ संगठन व सरकार में व्यापक परिवर्तन किया जा जाएगा। जहां तक सचिन का सवाल है, उनके लिए चार विकल्प माने जाते हैं। एक पदोन्नत कर केबीनेट मंत्री बनाया जाए। दूसरा केन्द्र में संगठन की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाए। तीसरा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद सौंपा जाए। और चौथा, राजस्थान में उप मुख्यमंत्री पद से नवाजा जाए। यद्यपि ज्यादा संभावना यही है कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का दायित्व दिया जाएगा, मगर फिलहाल पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। समझा जाता है कि सचिन को राजस्थान में अहम जिम्मेदारी देने के साथ ही नाराज गुर्जर समाज को राजी करने की जिम्मेदारी भी दी जाएगी।
यूं कुछ लोग तो उन्हें राजस्थान के भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं। हालांकि उनका मुख्यमंत्री बनना प्री मैच्योर डिलेवरी और बचकानी लगती है, मगर इसे सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता। आपको ख्याल होगा कि पूर्व विधायक व अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के अध्यक्ष गोपीचंद गुर्जर तो मांग तक रख चुके हैं कि पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाए। इसी प्रकार गहलोत मंत्रीमंडल के सदस्य मुरारीलाल मीणा भी कह चुके हैं कि पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष या मुख्यमंत्री, दोनों में किसी एक पद पर आरूढ़ किया जाना चाहिए।
असल में यह तो शुरू से ही दिख रहा था कि जैसे-जैसे कांग्रेस के राजकुमार राहुल गांधी सत्ता का केन्द्र बनेंगे, उनकी टीम के सचिन पायलट की अहमियत भी बढ़ेगी। हालांकि स्वर्गीय राजेश पायलट के पुत्र होने के कारण उनका पाया मजबूत था, लेकिन साथ ही राहुल की पसंद होने के कारण उन्हें केन्द्रीय मंत्रीपरिषद में शामिल कर लिया गया। दिल्ली के पास बुराड़ी गांव में आयोजित कांगे्रस में राष्ट्रीय अधिवेशन में राहुल ब्रिगेड की पर्सनल किचन केबिनेट के सदस्य पायलट को जूनियर होते हुए भी मंच से बोलने का मौका दिया गया। यह इस बात का साफ संकेत था कि आने वाले दिनों में सचिन और उभर कर आएंगे। राजस्थान में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने का अहसास तब भी हुआ था, जब यहां गुर्जर आंदोलन की वजह से संकट में आई सरकार की मदद के लिए उन्हें रातों रात जयपुर भेजा गया।
भले ही सचिन को मुख्यमंत्री बनाने की बता अभी हवाई लगे, मगर इतना तो तय है कि इस पद के लिए उनकी दावेदारी तो कायम हो ही गई है। अभी नहीं तो कुछ समय बाद में। वैसे भी राजनीति में दावा ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। और एक बार बस दावा स्थापित हो जाए तो यूं समझिये कि आधा रास्ता पार हो गया, क्योंकि उसके लिए लोगों की मानसिक तैयारी शुरू हो जाती है। बाकी काम कांग्रेस की कल्चर कर देती है, जिसमें कैडर उतना महत्वपूर्ण नहीं, जितना कि हाईकमान की पसंद।
-तेजवानी गिरधर
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