शुक्रवार, 7 जून 2013

आखिर आ ही गए भगत लपेटे में

जिस बात की अपुन ने अरसे पहले ही आशंका जता दी थी, आखिर वह सच साबित हो ही गई। भले ही सीधे तौर पर नहीं, कथित दलाल मनोज गिदवानी के जरिए ही अजमेर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष नरेन शहाणी भगत एसीबी के लपेटे में आ ही गए। भले ही एसीबी की कार्यवाही लीक होने से कथित दलाल मनोज गिदवानी को रंगे हाथों गिरफ्तार नहीं किया जा सका, मगर एसीबी के पास मौजूद रिकार्ड से इस बात की तो पुष्टि होती ही है कि लेन-देन का तानाबान तो बुना ही गया था, वरना एसीबी हवा में ही गिदवानी के घर पर छापा मारने नहीं पहुंच गई।
आपको याद होगा कि अपुन ने नरेन शहाणी भगत के न्यास अध्यक्ष पद पर काबिज होते ही इस बात की आशंका जताई थी कि उनकी नियुक्ति से तकलीफ पाए अन्य दावेदार उन्हें फंसाने का कोई मौका नहीं चूकेंगे, भाजपा के निशाने पर तो रहेंगे ही। ऐसे में उन्हें इस काजल की कोठरी में बड़ी सावधान से काम करना होगा। अपुन ने यह भी आशंका जता दी थी कि भगत राजनीतिक रूप से चतुर नहीं हैं, जबकि न्यास के अधिकारी बेहद घाघ, ऐसे में वे उन्हें कभी भी फंसवा सकते हैं।
होली के मौके पर ठिठोली के बहाने भी अपुन ने इशारा कर दिया था कि वे एसीबी की निगरानी में हैं। उनका मोबाइल फोन लंबे अरसे से सर्विलांस पर था। अजमेर के पुलिस टाइगर तक को गिरफ्त में लेने वाली एसीबी ताजा कार्यवाही में भले ही चूक गई, मगर एसीबी के डीएसपी भीम सिंह बीका का कहना है कि उनके पास परिवादी अजमत की नरेन शाहनी, निशु अग्निहोत्री, साहिबराम जोशी और एक अन्य प्रापर्टी डीलर महेश अग्रवाल के साथ रिश्वत राशि के लेनदेन को लेकर लंबी बातचीत के रिकार्ड हैं।
बीका ने बताया कि 28 जनवरी 2012 को चौरसियावास निवासी अजमत खान ने मामले में शिकायत दी थी। अजमत ने बताया था कि माकड़वाली रोड पर उसकी पुश्तैनी 20 बीघा जमीन राज्य सरकार ने अवाप्त कर ली थी। जमीन के बदले जमीन के लिए उसने नगर सुधार न्यास को आवेदन किया था। इस मामले में वह शाहनी से मिला। उन्होंने जमीन आवंटित करने के एवज में चार प्लॉट व 20 लाख रुपए की मांग की और उसे प्रॉपर्टी डीलर मनोज गिदवानी से इस बारे में संपर्क करने को कहा था। इसके बाद उसने कार्यवाहक सचिव निशु अग्निहोत्री, उप नगर नियोजक साहिब राम जोशी से भी संपर्क किया। सभी प्लाट और रुपए की डिमांड कर रहे थे। अग्निहोत्री ने एक लाख रुपए की मांग की थी, इसमें से 35 हजार रुपए वह दो दिन पहले उन्हें दे चुका है। तीन महीने पहले राज्य सरकार की एम्पॉवर्ड कमेटी में उसे 4800 वर्ग गज जमीन का आवंटन किया गया, जबकि 5200 वर्ग गज जमीन का आवंटन किया जाना था। शाहनी ने कार्यवाहक सचिव निशु अग्निहोत्री और गिदवानी से मिलने को कहा। बातचीत में दो प्लॉट और 12 लाख रुपए में सौदा तय हुआ था। जांच अधिकारी बीका ने बताया कि 28 जनवरी 2012 से मामले की जांच के दौरान संबंधित लोगों के टेलीफोन ट्रेस किए गए। एसीबी से चूक हो गई कि उसने मामले के एक आरोपी न्यास के उप नगर नियोजक साहिब राम जोशी को स्वतंत्र गवाह बनाने का फैसला किया, वही उलटा पड़ गया।
बहरहाल अब भले ही भगत यह तर्क दें कि चुनावी वर्ष के दौरान राजनीतिक द्वेष के चलते उन्हें बदनाम करने की साजिश रची गई है, मगर  पूर्व न्यास अध्यक्ष धर्मेश जैन ने न्यास में चल रहे गोरखधंधे का जो आरोप दो दिन पहले लगाया था, वह तो पुष्ट हुआ ही है। ऐसे में उन सहित भाजपा के अन्य नेताओं को भगत से इस्तीफा लेने की मांग का मौका मिल गया है।
-तेजवानी गिरधर

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