रविवार, 22 सितंबर 2013

प्रशासन की नासमझी से हुई पायलट की फजीहत

जिला प्रशासन की नासमझी और लापरवाही के चलते पिछले दिनों अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट की फजीहत हो गई। अजमेर जिले के जाटली गांव में सरकारी भूमि के संबंध में ग्राम पंचायत की उपेक्षा से उपजे ग्रामीणों के आक्रोष को ठीक से नहीं भांप पाने  की वजह से शिलान्यास कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। अपने ही संसदीय क्षेत्र में इस प्रकार की स्थिति से रूबरू होने का यह बेहद गंभीर मामला है।
असल में जिला प्रशासन हालत की गंभीरता को समझ ही नहीं पाया। ऐसा भी नहीं था कि लोगों का गुस्सा अचानक फूटा, जिसे काबू करना कठिन था। यह मुद्दा काफी दिन से चल रहा था। उससे भी बड़ी बात ये कि ठीक एक दिन पहले भी गांव वालों ने शिलान्यास नहीं होने देने की चेतावनी तक दे दी। इसके बावजूद प्रशासन ने उसे हल्के में लिया। कदाचित उसे गुमान था कि अव्वल तो वह गांव वालों को शांत करवा लेगा और अगर जरूरत पड़ी तो पुलिस की मदद ले ली जाएगी। इसी चक्कर में विरोध के बावजूद उसने शिलान्यास का कार्यक्रम तक कर दिया। मगर मौके के हालत इतने बेकाबू हो गए कि प्रशासन मूक दर्शक बना देखता ही रह गया। किसी केन्द्रीय मंत्री का कार्यक्रम इस प्रकार विरोध के चलते रद्द करने की नौबत प्रशासन की पूर्ण विफलता साबित करती है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन को चलाने वाले दो आला अफसर जिला कलेक्टर वैभव गालरिया व पुलिस अधीक्षक गौरव श्रीवास्तव न तो दूरदर्शिता है और न ही किसी विवाद से निपटने की अक्ल। इस प्रकार की लापरवाही व कमअक्ली वह इससे पहले सरवाड़ के तनाव के दौरान भी दिखा चुका है।
प्रशासन की नासमझी के बाद जाटली की घटना को लेकर प्रस्तावित डाक प्रशिक्षण केंद्र के निर्माण में बाधा पहुंचाने के आरोप में गांव के लोगों के खिलाफ थाना प्रभारी रामेश्वर भाटी की शिकायत पर राजकार्य में बाधा डालने और समारोह के अतिथियों के लिए बनाया गया खाना उठा कर ले जाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है, मगर यह सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटने के समान ही है।
जहां तक इस घटना के राजनीतिक पहलु का सवाल है, यह अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट के लिए बेहद शर्मनाक है कि खुद उनके ही संसदीय क्षेत्र में इस प्रकार हो रहे विरोध को ठीक से न तो प्रशासन हल कर पाया और न ही उनके राजनीतिक शागिर्द  सही तरीके से हैंडल कर पाए। या तो उनके चेलों ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया, या फिर उनकी जमीन पर पकड़ ही नहीं थी। वैसे बताया जाता है कि आंदोलन के अगुवा हरिराम व अन्य पायलट के जगजाहिर राजनीतिक दुश्मन अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी के लोग हैं। इस कारण इसमें साजिश की बू भी आ रही है। बताया जाता है कि हरिराम के पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती के भी गुडफेथ में हैं, मगर मौके पर वे डॉ. बाहेती की एक नहीं माने। कुल मिला कर सचिन की जो यह अपने ही संसदीय क्षेत्र में फजीहत हुई है, यह भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं है। इसे उन्हें गंभीरता से लेना होगा।
-तेजवानी गिरधर

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