बुधवार, 25 सितंबर 2013

कांग्रेस का सिंधी को ही टिकट देने का मानस

आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का अजमेर उत्तर से किसी सिंधी को ही टिकट देने का मानस बन गया है। सुविज्ञ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धांत: यह मान लिया है कि राज्य की दो सौ सीटों में से एक सीट पर सिंधी को चुनाव लड़ाना चाहिए, ताकि सिंधी समुदाय को यह संदेश दिया जा सके कि वह सिंधियों की उपेक्षा नहीं करना चाहती।
असल में गैर सिंधियों का तर्क था कि एक तो अजमेर उत्तर में जितने सिंधी गिनाए जा रहे हैं, उतने हैं नहीं, दूसरा अधिसंख्य सिंधियों का झुकाव भाजपा की ओर होता है, ऐसे में सिंधी को टिकट देने से क्या फायदा। इस पर प्रतितर्क ये दिया गया कि यदि कांग्रेस एक भी सीट सिंधी को नहीं देगी तो उसे मिलने वाले सिंधियों के न्यूनतम प्रतिशत वोट की उसे उम्मीद नहीं करनी चाहिए। वैसे भी छत्तीस कौमों को साथ ले कर चलने का दावा करने वाली कांग्रेस पर यह दबाव था कि वह सिंधियों को भी अपने साथ लेकर चले, वरना पूरा समुदाय उसके खिलाफ लामबंद हो जाएगा। सिंधियों के वोटों को लेकर भी प्रतिदावे हुए।
तर्कों की इस जद्दोजहद के बीच एक तर्क ये भी आया कि अगर कांग्रेस ने अजमेर उत्तर से किसी सिंधी को चुनाव मैदान में नहीं उतारा तो इस सीट पर तो सिंधी विरोध में आ जाएगा, साथ ही सटी हुई सीट अजमेर दक्षिण के सिंधी भी लामबंद हो सकते हैं, जिससे कांग्रेस को वह सीट भी खोनी पड़ेगी। कुल मिला कर कांग्रेस हाईकमान ने फौरी तौर पर तय कर लिया है कि अजमेर उत्तर से किसी सिंधी को ही टिकट दिया जाएगा। इसमें विशेष परिस्थिति तब उत्पन्न होगी जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने चहेते पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती के लिए अड़ जाएंगे। इसी प्रकार कांग्रेस महासचिव व मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने खासमखास अजमेर शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता के लिए दबाव बना सकते हैं। हालांकि माना ये जाता है कि कम से कम अजमेर संसदीय क्षेत्र में स्थानीय सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट का वीटो इस्तेमाल होगा। बावजूद इसके यदि गैर सिंधी को टिकट न दे पाने की स्थिति बनी तो संभव है कि जयपुर की सांगानेर सीट सिंधियों को दे दी जाए, ताकि सिंधियों की कम से कम एक सीट की मांग को पूरा किया जा सके। ज्ञातव्य है कि वहां भाजपा के दिग्गज घनश्याम तिवारी सिंधी वोटों के दम पर ही जीत कर आते रहे हैं। वैसे जानकारी ये भी है कि सिंधियों को आकर्षित करने के लिए जयपुर के सांसद महेश शर्मा जयपुर में एक सीट सिंधी को देने का दबाव बना रहे हैं।
जहां तक अजमेर जिले के जातीय समीकरण का सवाल है, जिस प्रकार पुष्कर की विधायक श्रीमती नसीम अख्तर का विरोध हुआ है और अगर इसी आधार पर उनका टिकट काटा जाता है तो वहां डॉ. बाहेती को भेजा जा सकेगा। ऐसे में सिंधियों के लिए राह आसान हो जाएगी। उधर मुसलमानों को संतुष्ट करने के लिए पूर्व विधायक हाजी कयूम खान को मसूदा से टिकट दिया जा सकता है। यूं भी इस बार टिकट हासिल करने के लिए उन्होंने पूरी ताकत झोंक रखी है। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि अजमेर जिले की सीटें जातीय लिहाज से इंटरलिंक्ड हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है, वह यूं तो किसी सिंधी को ही टिकट देने वाली है, मगर गैर सिंधियों ने भी दबाव बना रखा है। मगर कांग्रेस के सिंधी को ही टिकट देने की खबर से अब वह गैर सिंधी को टिकट देने का दुस्साहस नहीं करेगी।
-तेजवानी गिरधर

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