शुक्रवार, 16 मई 2014

क्या एनसीपी के सांवरलाल को मिला नाम का फायदा?

अजमेर संसदीय क्षेत्र के चुनाव में जिस प्रकार नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सांवरलाल को 12 हजार 149 वोट मिले हैं, उस पर कानाफूसी  है कि कहीं उन्हें अपने नाम का तो फायदा नहीं मिला, क्योंकि उनका नाम ईवीएम मशीन पर भाजपा के प्रो. सांवरलाल जाट के ठीक नीचे था?
ज्ञातव्य है कि अजमेर में मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच ही था। हालांकि अन्य राष्ट्रीय दल भी मैदान में थे, मगर उनका अजमेर संसदीय क्षेत्र में कोई खास असर नहीं माना जाता, ऐसे में सांवरलाल को 12 हजार से ज्यादा वोट मिलना चौंकाता तो है ही। जहां तक बहुजन समाज पार्टी का सवाल है, उसको चाहने वाले जरूर कुछ संख्या में हैं, इसी कारण इस पार्टी के प्रत्याशी जगदीश को 7 हजार 974 वोट मिलना गले उतरता है, मगर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का न तो यहां कोई असर है और न ही सांवरलाल कोई जाना पहचाना नाम है, फिर भला उन्हें 12 हजार 149 वोट कैसे मिल गए? यहां बता दें कि अखिल भारत हिन्दू महासभा के मुकुल मिश्रा को एक हजार 869, अखिल भारतीय आमजन पार्टी के रामलाल को 1 हजार 40,  निर्दलीय अनिता जैन को 910, कृष्ण कुमार दाधीच को 1 हजार 15, जगदीश सिंह रावत को 1 हजार 374, नारायण दास सिंधी को 3 हजार 518, भंवर लाल सोनी को 4 हजार 970 तथा निर्दलीय सुरेन्द्र कुमार जैन को 5 हजार 184 मत मिले। इन सब में से सांवरलाल ही ऐसे हैं, जिनको सबसे ज्यादा वोट हासिल हुए हैं। ऐसे में यह कानाफूसी होना लाजिमी है कि कहीं प्रो. सांवरलाल जाट के नाम के ठीक नीचे सांवरलाल का नाम होने के कारण मतदाता को कन्फ्यूजन तो नहीं हुआ? ये तो गनीमत रही कि प्रो. जाट मोदी लहर पर सवार होने के कारण एक लाख 71 हजार 983 वोटों से जीते हैं, अगर मतांतर कम होता तो सांवरलाल को मिले वोट उनके लिए दिक्कत पैदा कर सकते थे।
-तेजवानी गिरधर

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