शुक्रवार, 16 मई 2014

हारने के बाद सचिन पायलट की भूमिका क्या होगी?

अजमेर संसदीय क्षेत्र से हारने के साथ प्रदेश की सभी 25 सीटों पर कांग्रेस की करारी हार के बाद अब यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की क्या भूमिका रहेगी? क्या उन्हीं के नेतृत्व में प्रदेश की कांग्रेस को नया अध्याय शुरू करने का मौका मिलेगा या फिर किसी और वरिष्ठ नेता को यह जिम्मेदारी दी जाएगी? क्या इस हार के लिए सीधे तौर पर सचिन को ही जिम्मेदार माना जाएगा कि वे अपेक्षा पर खरे नहीं उतरे?
हालांकि सचिन विरोधियों का यही मानना है कि अब ये जिम्मेदारी उनसे ले ली जाएगी क्योंकि वे अपनी सीट तक नहीं बचा पाए, मगर सचिन समर्थकों का तर्क ये है कि इस करारी हार के लिए सचिन अकेले जिम्मेदार नहीं हैं क्योंकि उन्हें जिस हालत में कांग्रेस संगठन का काम सौंपा गया और चंद माह बाद ही लोकसभा चुनाव थे, इस कारण उनसे बेहतर परिणाम की अपेक्षा करना बेमानी है। उन्हें इतना भी वक्त नहीं मिला कि अपनी नई टीम गठित कर पाते, ऐसे में पुरानी टीम, जो कि कहीं न कहीं अन्य वरिष्ठ नेताओं के इशारों पर चल रही थी, ने सहयोग नहीं किया और विधानसभा चुनाव जैसे ही परिणाम सामने आ गए। एक तर्क ये भी है कि राजस्थान ही क्या, पूरे देश में ही कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है, ऐसे कांग्रेस विरोधी माहौल में वे कर भी क्या सकते थे। अत: उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहरा कर कांग्रेस में जान फूंकने का मौका मिलना ही चाहिए। उनके तर्क में दम है। सचिन को हटाया जाना इस कारण भी गले नहीं उतरता क्योंकि वे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी हैं और बहुत सोच विचार ही उन्हें जिम्मा सौंपा गया था। सचिन समर्थक तो यहां तक कहते हैं कि असल में राहुल गांधी ने सचिन को जिम्मेदारी यह सोचते हुए दी थी कि राजस्थान में करारी हार के बाद चेहरा बदलना जरूरी था, ताकि कुछ तो असर पड़े। उनसे बहुत अपेक्षा की भी नहीं गई थी। मगर दूसरी ओर समझा ये जाता है कि चूंकि पूरे देश में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है, ऐसे में संभव है कांग्रेस हाईकमान नए सिरे से सारे पत्ते फैंटे, संगठन में आमूलचूल परवर्तन किया जाए, केन्द्रीय कार्यकारिणी में नए चेहरे लाए जाएं और प्रदेशों में भी व्यापक परिवर्तन हो। ऐसे में यह भी हो सकता है कि राजस्थान के बारे में भी नए सिरे से विचार किया जाए।
-तेजवानी गिरधर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें