सोमवार, 8 दिसंबर 2014

वसुंधरा से प्रो. जाट की दूरी के क्या मायने निकाले जाएं?

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के अजमेर दौरे के दौरान हाल तक राज्य के जलदाय मंत्री रहे व अब केन्द्र के मौजूदा जलदाय राज्य मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट की गैर मौजूदगी के भाजपा नेता भले ही कोई जायज कारण गिनाएं, मगर राजनीतिक हलकों में यह जुगाली के सुपुर्द हो गया है कि आखिर ऐसी क्या वजह रही कि प्रो. जाट ने वसुंधरा ने उनके केन्द्र में मंत्री बनने के बाद इस पहले दौरे में क्यों कन्नी काटी? चाहे कैसी भी मजबूरी रही हो, मगर जब केन्द्र ने अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की है, और उसके बाद मुख्यमंत्री पहली बार अजमेर आई हैं व जाहिर तौर पर इस मौके पर अजमेर के सभी प्रमुख नेता व प्रशासन का पूरा लवाजमा मौजूद रहेगा तो क्या उनका यहां उपस्थित रहना जरूरी नहीं था, ताकि उस पर कोई ठोस चर्चा हो जाती? सवाल उठ रहे हैं कि क्या केन्द्र में मंत्री बनने के लिए ऐन वक्त पर पाला बदलने की कानाफूसियों व उनकी इस दूरी के बीच कोई अंतर्संबंध है? गर भाजपा वसुंधरा व प्रो. जाट के बीच हाल ही बनी दूरी को कोरी कपोल कल्पित चर्चा मानती है तो क्या यह जरूरी नहीं था कि उस कथित भ्रांति को ही दूर करने के लिए ही प्रो. जाट को यहां आना चाहिए था? क्या भाजपा के थिंक टैंकरों को इस बात की कत्तई परवाह नहीं कि प्रो. जाट की इस अनुपस्थिति से आम जन में गलत संदेश जाएगा? क्या उन्हें इसकी चिंता भी नहीं कि इससे भाजपा कार्यकर्ताओं में भी मतभेदों का कौतूहल जागेगा? कौतुहल ही क्यों गुटबाजी को भी बढ़ावा मिल सकता है।
यहां आपको बता दें कि पिछले दिनों जब काफी जद्दोजहद के बाद प्रो. जाट को केन्द्रीय मंत्रीमंडल में स्थान मिला था तो राजनीतिक हलकों यह चर्चा आम थी कि उन्हें इसके लिए ऐन वक्त पर पाला ही बदलना पड़ा। कहने की जरूरत नहीं है कि प्रो. जाट वसुंधरा के खासमखास माने जाते रहे हैं और उन्हीं कहने पर उन्होंने राज्य में केबीनेट मंत्री पद का मोह त्याग कर लोकसभा चुनाव लड़ा। स्वाभाविक रूप से इस वादे के बाद कि केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें जरूर मंत्री बनवाएंगी। मगर सूत्र लगातार ये ही बताते रहे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व वसुंधरा के बीच जो ट्यूनिंग बिगड़ी है, उसके चलते प्रो. जाट का मंत्री बनना बेहद कठिन हो गया है। इसी दौरान प्रो. जाट ने जिस प्रकार मोदी के खासमखास कथित हनुमान पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर से मेलजोल बढ़ा दिया और प्रो. जाट के मंत्री बनने के पीछे माथुर की पैरवी को ही अहम माना जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि प्रो. जाट की अनुपस्थिति कोई यूं ही चर्चा का विषय नहीं बनी है। उन्हें कोई वसुंधरा की लटकन के रूप में थोड़े ही घूमना था, उन्हें बाकायदा जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में आईसीयू यूनिट के लोकार्पण और  तोपदड़ा स्थित आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्र के शुभारंभ समारोहों में विधिवत निमंत्रण मिला हुआ था। यहां तक कि दोनों कार्यक्रमों के बोर्डों पर भी उनका नाम लिखा था। जानकारी के अनुसार प्रशासन के स्तर पर भी उनका निमंत्रण दिया गया था। वसुंधरा के दौरे से एक दिन पहले जब प्रो. जाट अजमेर आए तो यही माना गया कि वे उनके साथ रहने के लिए ही अजमेर आए हैं, मगर वे दौरे के दिन केकड़ी होते हुए फागी की ओर चले गए। संभव है उनकी गैर मौजूदगी की टीका करने को बाल की खाल निकालना माना जाए, मगर राजनीतिक हलकों में हो रही फुसफुसाहट को भला कौन रोक पाएगा?
-तेजवानी गिरधर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें