गुरुवार, 20 सितंबर 2012

समझाइश से नहीं, सख्ती से हटेगा स्कार्फ

मोटर साइकिल पर स्कार्फ पहले युवकों द्वारा चेन स्नेचिंग की वारदातें किए जाने के बाद पुलिस को लग रहा है कि अब स्कार्फ पहनने वाले युवक-युवतियों को समझाना होगा कि वे ऐसा न करें, क्योंकि उनकी आड़ में बदमाश असामाजिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि वैशाली नगर क्षेत्र में हाल ही एक महिला के गले से झपट्टा मारकर सोने की चेन तोडऩे वाले बाइकर्स ने चेहरे पर स्कार्फ बांध कर हैलमेट लगा रखा था। इसी प्रकार की और घटनाएं पूर्व में भी हो चुकी हैं। चेन स्नेचिंग की वारदातें 25 से 30 साल उम्र के शातिर युवक कर रहे हैं, जो स्कार्फ पहन कर बाइक से आते हैं और गले पर झपट्टा मारकर चेन तोड़ ले जाते हैं। इस पर पुलिस ने युवाओं से अपील की है कि पैदल चलते वक्त अथवा मोटर साइकिल चलाते समय स्कार्फ से मुंह न ढ़कें। सभी थाना प्रभारियों ने अपने-अपने इलाके में शिक्षण संस्थाओं के प्राचार्यों से भी आग्रह किया है कि वे इस बारे में युवाओं को समझाएं।
इस बारे में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल का यह कहना वाजिब है कि स्कार्फ बांधकर चलने वाले युवक युवतियों के कारण पुलिस को नाकाबंदी में परेशानी होती है। उनको जब रोक पूछताछ की जाती है तो उन्हें अच्छा नहीं लगता। बेहतर यही है कि स्कार्फ पहनना बंद ही कर दिया जाए।
बेशक, इस बारे में कुछ समय तक समझाइश की जानी चाहिए, मगर जैसे हालत हैं, लगता नहीं कि नई पीढ़ी आसानी से मानने वाली हैं। सच तो ये है कि कई युवक युवतियां स्कार्फ बांधते ही इस कारण हैं, वे गलत रास्ते पर होते हैं। वे नहीं चाहते कि कोई परिचित उन्हें देख ले। वर्तमान में अजमेर शहर यह एक ऐसा काला और घिनोना अध्याय है, जिस पर चर्चा करना भी बेहूदा लगता है। असल में इसी स्कार्फ की आड़ में काल गल्र्स का धंधा पनप रहा है और जवानी के नशे में युवा पीढ़ी बहक रही है। इस प्रवृत्ति को थोड़ा सख्ती बरतने पर ही रोका जा सकेगा।

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