गुरुवार, 20 सितंबर 2012

वजूद बरकरार है डॉ. राजकुमार जयपाल का


अजमेर के सांसद व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट के आशीर्वाद से शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर महेन्द्र सिंह रलावता के काबिज होने के बाद भले ही पूर्व उपाध्यक्ष व अजमेर क्लब के अध्यक्ष डॉ. राजकुमार जयपाल फिलहाल हाशिये पर आ गए हैं, मगर कोई यह समझे कि उनका वजूद समाप्त हो गया है, तो यह उसकी भूल ही होगी। हाल ही जिस प्रकार उनके नेतृत्व में निगम के दस पार्षदों ने कांग्रेस पार्षद दल के नेता प्रतिपक्ष नरेश सत्यावना के चयन को गलत करार देते हुए पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान को इस्तीफे की पेशकश की है, वह इस बात का प्रमाण है कि आज भी एक धड़ा उनके नेतृत्व में विश्वास रखता है और उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि इससे सचिन पायलट नाराज हो जाएंगे। वैसे भी  असंतुष्ट पार्षदों के पास एलएलए लेवल के नेता के रूप में डॉ. जयपाल को आगे रखने के अलावा कोई चारा नहीं था।
हालांकि विरोधी पार्षदों में सबसे मुखर विजय नागौरा नगर सुधार न्यास के सदर नरेन शहाणी भगत के खासमखास हैं और भगत को पायलट खेमे का माना जाता है, मगर इस मामले में नागौरा का फ्रंट फुट पर आना तनिक संदेह उत्पन्न करता है। इससे इस बात के संकेत भी मिलते हैं कि भले ही निगम मेयर कमल बाकोलिया, शहर कांगे्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता व न्यास सदर भगत पायलट लॉबी के हैं, मगर इनमें स्थानीय मुद्दों को लेकर एकजुटता नहीं है।  जाहिर सी बात है कि केवल भगत की वजह से नागौरा अपनी खुद की राजनीति को अलमारी में बंद करके थोड़े ही रख देंगे। आखिरकार वे आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर दक्षिण से टिकट की दावेदारी करने के मूड में है, तो अपनी राजनीतिक तलवार की धार भी तेज करेंगे ही।
नेता प्रतिपक्ष सत्यावना की लॉबी डॉ. जयपाल पर तो हमला कर नहीं सकती और उसका कोई तुक भी नहीं बनता, इस कारण असंतुष्ट पार्षदों की अगुवाई कर रहे नागौरा उनके निशाने पर आ गए हैं। नेता प्रतिपक्ष नरेश सत्यावना समर्थकों ने नागौरा पर निशाना साधते हुए उनके ब्लॉक अध्यक्ष पद पर भी काबिज होने को पार्टी संविधान का उल्लंघन बताया है। गौरतलब है कि नागौरा पार्षद होने के साथ वर्तमान में ब्लॉक अध्यक्ष तथा कांग्रेस सेवादल में प्रदेश संगठक भी हैं। कांग्रेस पार्टी चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष आस्कर फर्नांडिस को भेजे पत्र में कहा गया है कि पार्टी संविधान की व्यवस्था के उलट नागौरा लगातार तीसरी बार ब्लॉक अध्यक्ष बने हैं, जबकि संविधान की धारा 6 की उप धारा 3 के अनुसार ब्लॉक, जिला और प्रदेश स्तर पर पार्टी का कोई भी पदाधिकारी लगातार दो कार्यकाल से अधिक अपने पद पर नहीं रहेगा। नागौरा की खिलाफत और सत्यावना के समर्थन में कोली समाज ने भी मोर्चा खोल दिया है।
यहां यह भी गौर करने लायक बात है कि असंतुष्ट खेमा शुरू से ही सत्यावना के चुनाव को गलत ठहरा रहा है। यह बात पहले ही प्रदेश नेतृत्व तक पहुंची लेकिन मेयर व अध्यक्ष के खेमे ने कुछ दिन पहले प्रदेश नेतृत्व के सामने सुलह होने की बात कही थी। मगर ताजा गतिविधि से यह साफ हो गया है कि सुलह की बात झूठी थी। गतिरोध अब भी बरकरार है।
वैसे एक बात तो है। असंतुष्ट पार्षदों की बात में दम तो हैै। इन पार्षदों का कहना है कि शहर में दो विधानसभा क्षेत्र है, जिनमें से अजमेर दक्षिण एसी वर्ग के लिए आरक्षित है। इसी के साथ नगर निगम में मेयर पद भी एससी वर्ग के लिए ही आरक्षित है। लिहाजा नेता प्रतिपक्ष पद किसी अन्य जाति वर्ग के व्यक्ति को दिया जाना चाहिए, जिससे सभी वर्ग का लाभ पार्टी को मिल सके। ऐसा नहीं होने के कारण शहर की जनता में गलत संदेश गया है। जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है।
-तेजवानी गिरधर

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