गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025

औंकारसिंह लखावत सिंधी हैं?

औंकारसिंह लखावत सिंधी हैं? आपको यह जानकर निश्चित ही आश्चर्य होगा कि राजस्थान पुरा धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत मूलतः सिंधी हैं। यह तथ्य किसी अन्य ने नहीं, अपितु स्वयं लखावत ने उद्घाटित किया। इतना ही नहीं उन्होंने खुद के सिंधी होने पर गर्व भी अभिव्यक्त किया।

दरअसल स्वामी न्यूज के एमडी कंवलप्रकाश किशनानी की पहल पर सिंधुपति महाराजा दाहरसेन विकास व समारोह समिति की ओर से महाराजा दाहरसेन के 1308वें बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर फेसबुक लाइव पर अंतरराष्ट्रीय ऑन लाइन परिचर्चा आयोजित की गई थी। ज्ञातव्य है कि अजमेर में महाराजा दाहरसेन के नाम पर एक बड़ा स्मारक बनाने का श्रेय लखावत के खाते में दर्ज है। तब वे तत्कालीन नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष थे। जब उन्होंने यह स्मारक बनवाया, तब अधिसंख्य सिंधियों तक को यह पता नहीं था कि महाराज दाहरसेन कौन थे? लखावत ने दाहरसेन की जीवनी का गहन अध्ययन करने के बाद यह निश्चय किया कि आने वाली पीढियों को प्रेरणा देने के लिए ऐसे महान बलिदानी महाराजा का स्मारक बनाना चाहिए।

लखावत परिचर्चा के दौरान अपने धारा प्रवाह उद्बोधन में बहुत विस्तार से दाहरसेन के व्यक्तित्व व कृतित्व तथा सिंध के इतिहास की जानकारी दी। इसी दरम्यान प्रसंगवश उन्होंने बताया कि इन दिनों वे अपने पुरखों के बारे में पुस्तक लिख रहे हैं। प्राचीन पांडुलिपियों का अध्ययन करने पर उन्हें ज्ञात हुआ कि उनके पूर्वज पाराकरा नामक स्थान के थे। जब और अध्ययन किया तो पता लगा कि पाराकरा सिंध में ही था। अर्थात वे मूलतः सिंधी ही हैं। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि उनके पूर्वज सिंध के थे और वे अपने आपको सिंधी होने पर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। अपनी बात रखते हुए उन्होंने चुटकी भी ली कि उनका मन्तव्य न तो राजनीति करना है और न ही वे टिकट मांगने जा रहे हैं।

बेशक, लखावत का रहस्योद्धाटन करने का मकसद कोई राजनीति करना नहीं होगा, मगर उनके सिंधी होने का तथ्य राजनीतिक हलके में चौंकाने वाला है। साथ ही रोचक भी। ऐसा प्रतीत होता है कि मूलतः सिंधी होने के कारण ही उनकी अंतरात्मा में सिंध के महाराजा दाहरसेन का स्मारक बनवाने का भाव जागृत हुआ होगा। दाहरसेन स्मारक बनवा कर अपने पूर्वजों व महाराजा दाहरसेन के ऋण से उऋण होने पर वे कितने कृतकृत्य हुए होंगे, इसका अनुभव वे स्वयं ही कर सकते हैं।

यहां यह स्पष्ट करना उचित ही होगा कि सिंधी कोई जाति या धर्म नहीं है। विभाजन के वक्त भारत में आए सिंधी हिंदू हैं और सिंधियों में भी कई जातियां हैं। जैसे राजस्थान में रहने वाले विभिन्न जातियों के लोग राजस्थानी कहलाते हैं, गुजरात में रहने वाले सभी जातियों के लोग गुजराती कहे जाते हैं, वैसे ही सिंध में रहने वाले और उनकी बाद की पीढियों के सभी जातियों के लोग भी सिंधी कहलाए जाते हैं। अतः लखावत के सिंधी होने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

यहां यह उल्लेख करना अप्रासंगिक नहीं होगा कि अजमेर नगर निगम के मेयर पद के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार कमल बाकोलिया को उनके पिताश्री स्वतंत्रता सैनानी स्वर्गीय हरीशचंद्र जटिया के सिंध से होने का राजनीतिक लाभ हासिल हुआ था।

लखावत खुद को सिंधी बताते हुए कितने गद् गद् थे, इसको जानने के लिए आप निम्नांकित लिंक पर जा कर पूरी परिचर्चा यूट्यूब पर देख सकते हैं

https://www.youtube.com/watch?v=2rpcVNnMccA