राज्य में सभी स्वायत्तशासी संस्थाओं व पंचायतों के चुनाव एक साथ करवाने की कवायद के बीच यह कौतुहल बना हुआ है कि अजमेर नगर निगम के चुनाव कब होंगे? कुछ लोगों का मानना है कि अगर अन्य निकायों के साथ चुनाव करवाए गए तो जुलाई-अगस्त में ही चुनाव हो जाएंगे, जबकि निगम का कार्यकाल दिसम्बर तक है। यानि छह माह पहले ही चुनाव हो जाएंगे। दुबारा चुनाव लडने के इच्छुक पार्षद व नए दावेदार इसी के तहत तैयारियां कर रहे हैं। लॉटरी की वजह से वार्डों में आरक्षण परिवर्तन होता है तो उसका विकल्प तलाश रहे हैं। दूसरी ओर कुछ जानकारों का अनुमान है कि मौजूदा निगम बोर्ड का कार्यकाल कम नहीं किया जाएगा, क्योंकि अगर कार्यकाल घटाया गया तो कुछ पार्षद कोर्ट चले जाएंगे कि वे तो पूरे पांच साल के लिए चुन कर आए थे। सरकार नहीं चाहेगी कि इस प्रकार की कोई स्थिति आए। यानि चुनाव नियत समय पर ही होंगे। अलबत्ता, इस बात की भी संभावना है कि चुनाव कुछ और विलंब से हों। ऐसे में मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने पर चुनाव होने तक प्रशासक नियुक्त किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त इस बात की संभावना है कि पार्षदों का मनोनयन नहीं होगा। भला साल भर के लिए मनोनीत पार्षद कौन बनना चाहेगा। क्यों कि मनोनीत पार्षद का कार्यकाल बोर्ड के कार्यकाल तक होता है। अर्थात उन नेताओं को एक साल इंतजार करना होगा, जो मनोनीत पार्षद बनना चाहते हैं। जानकारी है कि मनोनयन के प्रस्ताव सरकार को भेजे जा चुके हैं। वैसे यह बात तर्कपूर्ण लगती है कि चुनाव हो जाने के बाद ही स्थिति साफ होगी कि कौन कौन नेता पार्षद बनने से वंचित रह गए हैं, उन्हें मनोनीत पार्षद बनाया जाएगा।
जहां तक अजमेर विकास प्राधिकरण का सवाल है, उसके बारे में भी यही कयास है कि फिलवक्त अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होगी। हालांकि इसके लिए पैनल बन चुका है, मगर नियुक्ति को लेकर संशय बना हुआ है। संभव है कि परिस्थिति विशेष ऐसी बन जाए कि प्राधिकरण अध्यक्ष की घोषणा निगम चुनाव से पहले हो जाए।