- मुज़फ्फर अली
मंगलवार, 14 जनवरी 2025
पान नहीं खाए अब सैंया हमार ..
मुस्लिम समुदाय में पान खाने का शौक अन्य वर्ग के मुकाबले कुछ ज्यादा रहा है। तीस चालीस साल पहले मुस्लिमों के लगभग सभी घरों में पानदान हुआ करते थे। आज की युवा पीढ़ी शायद पानदान नहीं जानती होगी। घर की बड़ी, बुजुर्ग महिलाओं के पास पानदान हुआ करता था। बैठक में कोई मेहमान आता तो पुरुष आवाज़ लगाकर मेहमान के लिए पान भिजवाने को कहा करते थे। सत्तर के दशक तक घर आने जाने वालों को चाय नहीं बल्कि पान खिलाना मेहमाननवाजी मानी जाती थी। आशिक मिजाज़ लोग अपनी प्रेमिका को सुगंधित मीठा पान भेजा करते थे। प्रेमिकाओं का रुठना पान के स्वाद पर निर्भर करता था। पान खाए सैंया हमारो.. , खई के पान बनारस वाला जैसे बहुचर्चित फिल्मी गीत पुराने दौर में पान खाने के शौक को ही उजागर करते हैं। दरअसल पान स्वस्थ्यवर्धक व पेट की कई बिमारियों के लिए बहुत लाभकारी है। अजमेर के परकोटे में पान के शौकीनों के लिए पान की दुकानें सामाजिक राजनीतिक चर्चाओं का केन्द्र भी हुआ करती थीं। अजमेर में क्लॉक टॉवर क्षेत्र में पानों के दरीबा, उसके सामने इंडिया पान हाउस, नला बाज़ार में चौरासिया पान हाउस, लंगरखाना गली के नुक्कड़ पर रियाज़ पान वाले, फूल गली के नुक्कड़ पर, लंगरखाना दरगाह गेट के पास दिलदार पान हाउस, बिस्मिल्ला होटल के सामने लंगरखाना गली में, छतरीगेट के सामने, डोली वाले चौक में निसार पान वाले, पन्नीग्राम चौक में, अन्दरकोट में अनवार पान वाले, त्रिपोलिया गेट के पास लद्दा पान वाले, उसके आगे बिन्देसरी पान वाले, दीवान साहब की हवेली के सामने अजमेर पान हाउस के रईस पान वाले बहुत मशहूर पान की दुकानें रही हैं जिनमें अब अधिकतर बंद हो गई हैं क्योंकि पान के शौकीन लोग नहीं रहे। दरगाह के मात्र आधे किलोमीटर के दायरे में दर्जन भर पान की दुकानें थीं जो उस समय खूब चला करती थीं। जिस तरह आज बाजार में अपने मिलने वालों को लोग चाय पिलाते हैं पहले पान खिलाया करते थे। दरगाह क्षेत्र की घनी आबादी में पान खाने के शौकीन रात को खाना खाने के बाद टहलने निकलते पान की दुकान पर दोस्त मिल जाते थे। किसी को मद्रासी पान पसंद आता तो किसी को देसी तो कोई बनारसी पान की गिलौरी बनवाता। कोई किमाम के साथ तो कोई जर्दा तो कोई मीठा पान पसंद करता। अगर पान की दुकान के बाहर दो तीन स्टूलें होतीं तो वहीं दोस्तों के साथ महफिल जमा लेते। पनवाड़ी भी मजे ले लेकर उनसे बतियाते, शेरो-शायरी या राजनीतिक चर्चा छिड़ जाती तो लंबी चलती, इस बीच कभी आस पास कहीं चाय की दुकान होती तो चाय का भी दौर चलता। कई शौकीन पान के साथ विल्स सिगरेट के हल्के हल्के कश लेते जाते और महफिल शबाब पर पहुंचती जाती। कहने को तो आज भी शहर में क्लॉक टावर के पास इंडिया पान हाउस, रेल्वे माल गोदाम के पास और वैशाली नगर में गुप्ता पान हाउस पर पान खूब बिकते हैं, कई शादी समारोह में पान की स्टॉल भी लगती है लेकिन वहां पुरानी पीढ़ी के लोग या मीठा पान पसंद करने वाले बच्चे या कुछ महिलाओं को ही देखा जा सकता है।
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