सोमवार, 27 जनवरी 2025
अजमेर के विकास पर अंग्रेजी हुकूमत की छाप
दरगाह और पुष्कर को छोड़ कर अगर अजमेर कुछ है तो उसमें अंग्रेज अफसरों का योगदान है। सीपीडब्ल्यूडी, सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एज्युकेशन, कलेक्ट्रेट बिल्डिंग, सेन्ट्रल जेल, पुलिस लाइन, टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, लोको-केरिज कारखाने, डिविजन रेलवे कार्यालय बिल्डिंग, मार्टिन्डल ब्रिज, सर्किट हाउस, अजमेर रेलवे स्टेशन, क्लॉक टावर, गवर्नमेन्ट हाई स्कूल, सोफिया कॉलेज व स्कूल, मेयो कॉलेज बिल्डिंग, लोको ग्राउण्ड, केरिज ग्राउण्ड, मिशन गर्ल्स स्कूल, अजमेर मिलिट्री स्कूल, नसीराबाद छावनी, सिविल लाइंस, तारघर, आर.एम.एस., गांधी भवन, नगर निगम भवन, जी.पी.ओ., विक्टोरिया हॉस्पिटल, मदार सेनीटोरियम, फॉयसागर, भावंता से अजमेर की वाटर सप्लाई, पावर हाउस की स्थापना, रेलवे हॉस्पिटल, दोनों रेलवे बिसिट आदि का निर्माण ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों के विजन का ही परिणाम था, जिससे अजमेर के विकास की बुनियाद पड़ी। आज अजमेर का जो स्वरूप है, उस पर अंग्रेजों की छाप स्पष्ट देखी जा सकती है। अजमेर में शिक्षा के विकास में आर्य समाज का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन ईसाई मिशनीज की भूमिका भी कम नहीं है। सच्चाई तो ये है कि ऊंचे-ऊंचे ओहदों पर पहुंचे अनेक लोगों की शिक्षा में ईसाई मिशनरीज की स्कूलों का रोल रहा है। आज भी हालत ये है कि अधिसंख्य संपन्न घराने अपने बच्चों को मिशनरीज में पढ़ाने के लिए एडी-चोटी का जोर लगा देते हैं। मोटा-मोटा चंदा देने तक को राजी रहते हैं। यहां तक कि महान भारतीय संस्कृति के झंडाबरदार और मिशनरीज के खिलाफ समय-समय पर आंदोलन छेडने वाले नेताओं के बच्चे भी मिशनरी स्कूलों में ही पढ़ते हैं।
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