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गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
सिख समाज की पहचान थे स्वर्गीय श्री जोगेन्द्र सिंह दुआ
पूर्व कांग्रेस पार्षद स्वर्गीय श्री जोगेन्द्र सिंह दुआ अजमेर में सिख समाज के जाने-माने समाजसेवक थे। असल में वे सिख समाज की पहचान थे। जब भी सर्व धर्म सम्मेलन अथवा बैठक होती थी तो उनको जरूर बुलाया जाता था। वे अत्यंत सरल व सहज स्वभाव के मालिक थे। उनका जन्म 1 जनवरी 1939 को श्री मेला सिंह उर्फ मानसिंह दुआ के घर हुआ। उन्होंने दसवीं कक्षा तक अध्ययन किया और व्यवसाय के रूप में भवन निर्माण सामग्री बेचने का काम शुरू किया। वे फर्शी पट्टी विक्रेता एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व संरक्षक, श्री गुरु सिंह सभा, अजमेर के सचिव, राज्य खालसा पंथ के सदस्य, पहाडग़ंज श्री गुरु तेग बहादुर स्कूल के अध्यक्ष, नशा मुक्त अजमेर एसोसिएशन के अध्यक्ष, दक्षिण ब्लाक कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अजमेर जिला भ्रष्टाचार निरोधक बोर्ड के पूर्व सदस्य और जिला स्थाई लोक अदालत के पूर्व सदस्य थे।
शोक सभाओं का दुर्भाग्यपूर्ण आयोजन
प्रमुख समाजसेवी व भारतीय सिंधु सभा के उपाध्यक्ष श्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने एक विचारणीय पोस्ट भेजी है। आप भी पढियेः- शोक सभाएं आजकल दुःख बांटने और मृतक के परिवार को सांत्वना देने के अपने मूल उद्देश्य से भटक गईं हैं। आजकल शोक सभाओं के आयोजन के लिए विशाल मंडप लगाए जा रहे हैं। सफेद पर्दे और कालीन बिछाई जाती है या किसी बड़े बैंक्वेट हाल में भव्य सभा का आयोजन किया जाता है, जिससे यह लगता है कि कोई उत्सव हो रहा है। इसमें शोक की भावना कम और प्रदर्शन की प्रवृत्ति ज्यादा दिखाई देती है। मृतक का बड़ा फोटो सजा कर भव्यता के माहौल में स्टेज पर रखा जाता है। यहां तक कि मृतक के परिवार के सदस्य भी अच्छी तरह सज-संवर कर आते हैं। उनका आचरण और पहनावा किसी दुःख का संकेत ही नहीं देता।
समाज में अपनी प्रतिष्ठा दिखाने की होड़ में अब शोक सभा भी शामिल हो गई है। सभा में कितने लोग आए, कितनी कारें आईं, कितने नेता पहुंचे, कितने अफसर आए, इसकी चर्चा भी खूब होती है। ये सब परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार बन गए हैं। उच्च वर्ग को तो छोड़िए, छोटे और मध्यमवर्गीय परिवार भी इस अवांछित दिखावे की चपेट में आ गए हैं। शोक सभा का आयोजन अब आर्थिक बोझ बनता जा रहा है। कई परिवार इस बोझ को उठाने में कठिनाई महसूस करते हैं पर देखा-देखी की होड़ में वे न चाह कर भी इसे करने के लिए मजबूर होते हैं।
इस आयोजन में खाना, चाय, कॉफी, मिनरल वाटर, जैसी चीजों पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। पूरी सभा अब शोक सभा की बजाय एक भव्य आयोजन का रूप ले रही है। यह उचित नहीं है। शोक सभाओं को अत्यंत सादगीपूर्ण ही हो होना चाहिए।
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