आनासागर बहुत सुरम्य झील है, लेकिन वह अरसे से उपेक्षा का शिकार है। झील की दुर्दशा देख कर तो रोना आता है। कभी यह नियमित सफाई के अभाव में बदबू मारती है तो कभी जलकुंभी अपने पांव पसार लेती है। झील के किनारे सेवन वंडर्स पर्यटकों को आकर्षित करने की दिशा में एक अच्छा कदम है, वहां जायरीन की आवक देखी जा सकती है। यह बात अलग है कि उसे आनासागर की जमीन को पाट कर बनाने के कारण वह विवाद में है और उसे तोडने के आदेश हो रखे हैं।
आनासागर से भी अधिक आकर्षक है तारागढ़, मगर उसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। वहां आमतौर पर दरगाह जियारत को आने वाले जायरीन ही आते हैं, जब कि वह बहुत खूबसूरत पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है। सच तो यह है कि अनेक अजमेर वासियों तक नहीं देखा होगा। वह ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। तारागढ संपर्क सडक पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान स्मारक बना तो दिया गया, मगर उसे देखने इक्का दुक्का लोग ही जाते हैं। साल में दो बार जरूर वहां कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें आयोजकों को ही भीड जुटानी होती है। तारागढ पर यदि भोजन व ठहरने की पर्याप्त सुविधाएं हों तो पर्यटक उस सुरम्य दर्शनीय स्थल को देखे बिना नहीं लौटेगा। कम से कम एक दिन तो बिताना चाहेगा। तारागढ़ से ढ़ाई दिन के झौंपड़े तक रोप-वे बनाने से भी पर्यटक आकर्षित हो सकता है। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह राठौड ने तारागढ पर स्थित रेलवे के एक भवन को होटल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव रखा था, मगर वह राजनीति की भेंट चढ गया।
यदि पर्यटकों को कम से कम एक दिन ठहरने के लिए आकर्षित करना है तो अजमेर व पुष्कर में हर आय वर्ग के लिए बजट होटल विकसित किए जाने चाहिए। सरकार को इसके लिए सबसीडी की घोषणा कर निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना चाहिए।
एक बात और। ऐतिहासिक अकबर के किले और महाराणा प्रताप स्मारक पर लाइट एंड साउंड शो आरंभ तो किए गए, पर न जाने क्यों वे पर्यटकों को आकर्षित करने में कामयाब नहीं हुए। शायद ठीक से प्रचार-प्रसार न करने की वजह से।
देसी-विदेशी पर्यटकों की सुविधा के लिए किशनगढ के पास हवाई अड्डा तो बना दिया गया, मगर उसकी अपेक्षित उपयोगिता साबित नहीं हो पाई। बीच बीच में उसकी ओर आकर्षित करने के छिटपुट प्रयास तो हुए हैं, मगर नतीजा ढाक के तीन पात।
-तेजवाणी गिरधर 7742067000